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आपको जानकर आश्चर्य होगा की, वर्तमान के राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक,
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश नामक क्षेत्र आज से करोड़ों वर्ष पूर्व दैत्याकार डायनासोर के पसंदीदा
स्थानों में से एक थे! भारत डायनासोर के विलुप्त होने से पहले विकास और प्रजनन के लिए एक
प्रमुख हॉटस्पॉट था।
हालांकि यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि डायनासोर के विलुप्त होने का कारण क्या है? कुछ का
कहना है कि एक विशाल क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया और उसने डायनासोर की सभी प्रजातियों का
सफाया कर दिया, जबकि अन्य का दावा है कि जलवायु परिवर्तन ने उनके अस्तित्व को ध्वस्त कर
दिया।
आगे 10 डायनासोर की सूची दी गई हैं, जो कभी आज के भारत में घूमते थे।
1. राजसोरस (Rajasaurus): इसके जीवाश्म गुजरात के खेड़ा और मध्य प्रदेश के जबलपुर से
खोजे गए थे। 30 फीट लंबे और एक टन वजन वाले, विलुप्त डायनासोर प्रजातियों का यह प्रकार
क्रेटेशियस काल (Cretaceous period), लगभग 70-65 मिलियन वर्ष पहले का है। यह एक
मांसाहारी जानवर था जो लगभग सभी जानवरों को खा जाता था, इस प्रकार यह सभी में सबसे
घातक माना जाता है।
2. इंडोसुचस (Indosuchus): मध्य प्रदेश के जबलपुर में खोजा गया, इंडोसुचस, लगभग 70-65
मिलियन वर्ष पहले के क्रेटेशियस काल के अंत में अस्तित्व में था।
3. जैनोसॉरस (Jainosaurus): यह जानवर 70.5 फीट लंबा था और इसका वजन तीन टन था।
जैनोसॉरस, एक भारतीय पैलियोन्टोलॉजिस्ट (paleontologist) सोहन लाल जैन के नाम पर रखा
गया एक विशाल सौरोपोड (sauropod) था।
4. इसिसॉरस (Isisaurus): यह सौरोपोड परिवार का एक शाकाहारी सदस्य था, जिसका नाम
भारतीय सांख्यिकी संस्थान के नाम पर रखा गया था। यह 69 फीट तक लंबा हो सकता था और
टाइटेनोसॉरस (titanosaurus) से संबंधित था। तथा इसकी गर्दन लंबी और मोटी थी।
5. लैमेटासॉरस (Lametasaurus): यह विशेष प्रकार क्रेटेशियस (Cretaceous) था। इसका नाम
कुछ एबेलिसॉरिड हड्डियों (abelisaurid bones) के साथ पाए गए मगरमच्छ और टाइटेनोसॉर
कवच के मिश्रण के कारण रखा गया था।
6. राहियो लिसॉरस (Rhaeolisaurus): यह भारत के लेट क्रेटेशियस काल (late Cretaceous
period) से एबेलिसॉरिड डायनासोर (abelisaurid dinosaur) की एक प्रजाति है। यह रहियोली
गांव के पास खोजा गया था। यह लगभग 70-65 मिलियन वर्ष पूर्व क्रेटेशियस अवधि के दौरान
घूमता था और 2010 में खोजा गया था।
7. ब्रुहथकायोसॉरस (Bruhatkayosaurus): ग्रीक में इसका अर्थ एक विशाल शरीर वाली
छिपकली होता है। यह भारत के प्रारंभिक मास्ट्रिचियन से, एक विशाल सैरोपोड डायनासोर है और
यह अब तक का दूसरा सबसे बड़ा डायनासोर है, जिसकी लंबाई 45 मीटर है। इसके अवशेष 1980
के दशक के उत्तरार्ध में भारत के दक्षिणी सिरे पर, कल्लामेडु गाँव के उत्तर-पूर्व में पाए गए थे।
दुर्भाग्य से, इसकी खोज के तुरंत बाद अवशेष मानसून में खो गए।
8. कोटा सारस (Kotasaurus): कोटा सारस आंध्र प्रदेश में कोटा गठन से खोजा गया। यह 180-
175 मिलियन वर्ष पहले मध्य जुरासिक काल के दौरान पृथ्वी पर रहा। यह 30 फीट तक लंबा और
10 टन तक वजन का होता था और प्रारंभिक जुरासिक काल से सैरोपोड डायनासोर का एक जीनस
था। सभी सरूपोडों की तरह, यह लंबी गर्दन और पूंछ वाला एक बड़ा शाकाहारी जीव था।
9. बारापासोरस (Barapasaurus): यह एक बड़ी टांगों वाली छिपकली का ग्रीक नाम है, इसे
पोचमपल्ली, तेलंगाना में खोजा गया था। इसका ऐतिहासिक काल लगभग 190-175 मिलियन वर्ष
पूर्व प्रारंभिक-मध्य जुरासिक का है। यह एक शाकाहारी जानवर था जो 60 फीट तक लंबा और 20
टन वजन का होता था।
10. लैम्पलुघसौरा (Lamplughsaura): इस संस्करण का नाम भारतीय सांख्यिकी संस्थान के
संस्थापक पामेला लैम्पलुग के नाम पर रखा गया है और इसे आंध्र प्रदेश में खोजा गया था। यह
प्रारंभिक जुरासिक काल लगभग 195 मिलियन वर्ष पहले का है। यह एक शाकाहारी जानवर था जो
33 फीट तक लंबा और पांच टन वजन का होता था।
पंजाब विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी आशु खोसला के अनुसार "भगवान ब्रह्मा, डायनासोर के
अस्तित्व से पूरी तरह वाकिफ थे और वेदों में भी उनका उल्लेख किया! विलुप्त होने से पहले, भारत,
डायनासोर के विकास और प्रजनन के लिए एक आकर्षण का केंद्र था। राजसोरस नाम के एक
डायनासोर की उत्पत्ति भारत में ही हुई थी।"
वयोवृद्ध भूविज्ञानी अशोक साहनी के अनुसार भारत में डायनासोर का अध्ययन तीन अलग-
अलग चरणों में 175 से अधिक वर्षों से किया जाता रहा है। रिकॉर्ड बताते हैं कि भारत में डायनासोर
लेट ट्राइसिक से क्रेटेशियस के अंत तक - या 200 मिलियन वर्ष और 65 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच
मौजूद थे। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में वर्षों
से डायनासोर के अवशेष पाए गए हैं। "हाल ही में, वे मेघालय और पाकिस्तान में भी खोजे गए हैं।
भारत में पहली डायनासोर हड्डियों की खोज 1828 में जबलपुर छावनी में बारा शिमला पहाड़ी की
तलहटी में ईस्ट इंडिया कंपनी के कप्तान मेजर जनरल विलियम हेनरी स्लीमैन (Major General
William Henry Sleeman) ने की थी।
क्रीटेशस-पैलियोजेने विलुप्ति घटना (Cretaceous–Paleogene extinction event), जिसे
क्रीटेशस-टरश्यरी विलुप्ति (Cretaceous–Tertiary extinction) भी कहते हैं, आज से लगभग
6.6 करोड़ साल पूर्व गुज़रा वह घटनाक्रम है जिसमें बहुत तेज़ी से पृथ्वी की तीन-चौथाई वनस्पति व
जानवर जातियाँ हमेशा के लिये विलुप्त हो गई।
सूक्ष्म रूप से इसे "के-टी विलुप्ति" (K–T
extinction) या "के-पीजी विलुप्ति" (K–Pg extinction) भी कहा जाता है। 66 मिलियन वर्ष
पहले एक आपदा आई जब 6 मील से अधिक दूरी तक फैले एक क्षुद्रग्रह, ने बड़े पैमाने पर धरती से
डायनासोर सहित कई जानवरों का सफाया कर दिया। लेकिन चोंच वाले पक्षी आपदा से बचने वाले
एकमात्र जीव थे। इसका प्रमुख कारण था की कई पक्षी वंश अपने मस्तिष्क के आकार को बनाए
रखते हुए आकार में छोटे हो गए। दांतेदार पक्षियों ने अंततः अपने दांत खो दिए, इसके बजाय अपने
भोजन को बिना दांत वाली चोंच से तोड़ना शुरू कर दिया। साथ ही वह बहुत सारे अलग-अलग
खाद्य पदार्थ खा सकते थे और उड़ने की उनकी क्षमता ने भी उनकी रक्षा की, जबकि डायनासोर इस
घटना में विलुप्त हो गए।
संदर्भ
https://bit.ly/3T3GEKi
https://bit.ly/2FeykVh
https://bit.ly/3A6jF8v
चित्र संदर्भ
1. नर्मदा नदी, जिसके पास राजसौरस के अवशेष मिले थे, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. राजसोरस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इंडोसुचस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जैनोसॉरस को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. इसिसॉरस की आकार तुलना, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. राजसौरस नर्मडेन्सिस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. राहियो लिसॉरस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. ब्रुहाथकायोसॉरस होलोटाइप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9.16 फुट ऊंचा 'कोटासॉरस यमनपल्लीएंसिस', जो आदिलाबाद जिले के यमनपल्ली क्षेत्र में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा खुदाई के दौरान मिला था। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. बारापासोरस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
11. लैम्पलुघसौरा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
12.टायरानोसोरस रेक्स होलोटाइप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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