पृथ्वी अंतरिक्ष का ही एक अंग है, अत: अंतरिक्ष में होने वाली खगोलीय घटनाओं का पृथ्वी पर
प्रभाव पड़ना स्वभाविक है।अक्सर अंतरिक्ष से चट्टानें पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती हैं।
कुछ समय पहले दिल्ली से आसमान में एक उल्का देखा गया जिसके तीव्र प्रकाश ने रात को दिन
में बदल दिया, हालांकि इसने किसी को हानि नहीं पहुंचायी।अनुमान लगाया जाता है कि एक बड़े
क्षुद्रग्रह या धूमकेतु में हमारी सभ्यता को मिटा देने की क्षमता मौजूद है- जिस प्रकार 65 मिलियन
वर्ष पहले छह मील चौड़े क्षुद्रग्रह ने पृथ्वी को नष्ट कर दिया था जिसके परिणामस्वरूप डायनासोर
(dinosaurs ) समाप्त हो गए थे, हालांकि इनकी पृथ्वी पर आने की संभावना लगभग असंभव है फिर
भी हम कह सकते हैं कि हमारी और आने वाली पीढ़ी के ऊपर एक अज्ञात खतरा हर पल मण्डरा
रहा है।पृथ्वी पर हर समय छोटे क्षुद्रग्रहों द्वारा बमबारी की जाती है जो वायुमंडल के संपर्क में आते
ही जल जाते हैं या बिना किसी को हानि पहुंचाए फट जाते हैं। अत: यह सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह या सबसे
छोटा क्षुद्रग्रह नहीं है जिसके बारे में हमें चिंता करने की ज़रूरत है: यह उनके मध्यके हैं।क्षुद्रग्रह और
उल्काएं वायुमंडल के संपर्क में आते ही विस्फोटित हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप तीव्र प्रकाश
उत्पन्न होता है, जिन्हें हम पृथ्वी से देख सकते हैं।
एक प्रमुख क्षुद्रग्रह की पृथ्वी से टकराने की
संभावनाएं लगभग बहुत कम होती है, लेकिन यह विनाशकारी संभावना असंभव नहीं है। राष्ट्रीय
वैमानिकी एवं अन्तरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration-NASA) का मानना
है कि हर साल 300,000 अवसरों में से एक अवसर ऐसा हो सकता है, जिसमें अंतरिक्ष चट्टान क्षेत्रीय
नुकसान पहुंचा सकती है।
जब तक हम इसे रोकने का कोई तरीका नहीं निकाल लेते,तब तक हमारे बीच निरंतर यह भय बना
हुआ है किसी दिन हमारी पृथ्वी किसी एक ऐसे क्षुद्रग्रह से टकराएगी जो हमारे लिए स्थानीय या
क्षेत्रीय विनाश का कारण बन जाएगा - या यहां तक कि हमारी पृथ्वी धूल और गैसों से भर
जाएगी क्षुद्रग्रह हमारे जलवायु परिवर्तन एक पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।यह घटना अब से 500 साल
बाद हो सकती है, या फिर किसी अगले ही क्षण में हो सकती है।इसलिए इसके लिए तैयार रहना
आवश्यक है। जब हमारे मस्तिष्क में इससे निपटने का विचार आता है तो दो उपाय हमें सुझते हैं
पहला परमाणु हथियार और दूसरा बारूद का गोला, जिससे पृथ्वी की ओर आने वाले क्षुद्रग्रह पर
हमला किया जाए, वास्तव में यह किस हद तक प्रभावी होगा यह तो समय ही बताएगा।
यह सच है कि पिछले दो दशकों में, संभावित रूप से पृथ्वी को खतरे में डालने वाले क्षुद्रग्रहों के
खिलाफ ग्रह-रक्षा कार्यक्रमों के लिए नासा के निधिकरण (Funding) में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है
लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। क्षुद्रग्रहों का पृथ्वी से टकराना सामान्य घटना नहीं है और शायद यह
पृथ्वी के सबसे बड़े खतरों में से एक है।
अंतरिक्ष संस्थाएं और अन्य क्षुद्रग्रह वैज्ञानिकों को यह
सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि लोग यह समझें कि यह खतरा बहुत वास्तविक है तथा
फिल्मों (Films) की भांति काल्पनिक बिल्कुल भी नहीं है। यह अंततः उस एकमात्र ग्रह की रक्षा करने
के बारे में है जिस पर हम जीवन जी रहे हैं। अभी तक शेलयाबिंस्क (Chelyabinsk) उल्का का टकराव
सदी का सबसे बड़ा ज्ञात उल्का टकराव है, जिसने 1,600 से अधिक लोगों को घायल किया था। नासा
के अनुसार, इसने लगभग 440,000 टन ट्राईनाईट्रोटॉलिन (Trinitrotoluene) के बराबर ऊर्जा उत्सर्जित
की थी।
जहां बड़े ग्रहों में संपूर्ण पृथ्वी को प्रभावित करने की क्षमता है वहीं छोटे क्षुद्रग्रह स्थानीय स्तर पर
अधिक प्रभाव डालते हैं। पृथ्वी को प्रभावित करने वाले क्षुद्रग्रहों से होने वाला जोखिम, व्यापक क्षति,
मृत्यु, और तबाही मचा सकता है, और यह खतरा नित दिन हमारे जीवन पर मण्डरा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार क्षुद्रग्रह या उनके समान 20 करोड़ वस्तुएं पृथ्वी के आस-पास की कक्षाओं में
हैं। हर दो साल में एक बार ये वस्तुएं पृथ्वी से टकराती हैं। मोटे तौर पर 100 लाख शेलयाबिंस्क
आकार (Shelyabinsk-sized) की वस्तुएं पृथ्वी के आस-पास की कक्षाओं में हैं और प्रभाव अंतराल 50
साल के करीब है। 1998 में अमेरिकी कांग्रेस (American Congress) ने नासा (NASA) को पृथ्वी के
निकट स्थित 1 किलोमीटर या उससे अधिक व्यास वाली कम से कम 90 प्रतिशत वस्तुओं की खोज
करने और उनका पीछा करने का निर्देश दिया था। 2005 में एक और निर्देश ने नासा को 140 मीटर
या उससे बड़े संभावित प्रभावों की पहचान करने का आदेश दिया। खगोलविदों ने बड़ी संख्या में पृथ्वी
के निकट स्थित वस्तुओं की खोज की, जिनकी संख्या वर्तमान में 12,000 से भी अधिक हैं।
लगभग
सभी ऐसी वस्तुओं को क्षुद्रग्रह कहा जाता है, लेकिन लगभग 1 प्रतिशत धूमकेतु हैं। इनमें से 868 बड़े
क्षुद्र ग्रह हैं, जिनका व्यास 1 किलोमीटर से अधिक है, और अगर वे पृथ्वी से टकराते हैं तो वे एक
वैश्विक तबाही पैदा करेंगे। खगोलविदों ने औसतन अनुमान लगाया है कि तुंगुस्का (Tunguska) के
आकार का क्षुद्रग्रह हर 500 साल में पृथ्वी से टकरायेगा जबकि सभ्यता का अंत करने वाले के-पीजी
(K-PG) प्रभाव के 10 किलोमीटर के क्षुद्रग्रह हर 10 करोड़ वर्षों में औसतन पृथ्वी से टकराएंगे। 10
किलोमीटर का यह क्षुद्रग्रह वैश्विक तबाही का कारण बनने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3qq1rcK
https://bit.ly/3vVdlNc
https://fxn.ws/3zXGEln
चित्र संदर्भ
1.पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रह का एक चित्रण (flickr)
2. जलते हुए क्षुद्रग्रह का एक चित्रण (pixabay)
3. महासागर क्षुद्रग्रह प्रभाव की कल्पना का एक चित्रण (flickr)
4. क्षुद्रग्रह विस्फोट का एक चित्रण (pixabay)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.