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उत्तर प्रदेश का पक्षी महोत्सव पिछले वर्ष फरवरी में लखनऊ चिड़ियाघर द्वारा आयोजित किया गया
था। प्रत्येक वर्ष इसका आयोजन किया जाता है, इस आयोजन के पीछे का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को एक
अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए पक्षियों को देखने के अभिप्राय के रूप में बढ़ावा देना है और उत्तर प्रदेश
को तेजी से उभरते हुए इको-टूरिज्म (Eco- tourism)अभिप्राय के रूप में बढ़ाना है। 2016 में उत्तर प्रदेश
का पक्षी महोत्सव देश के सबसे बड़े महोत्सव में से एक था । जिसमें भाग लेने वाले 26 देशों के 68
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि और 324 भारतीय प्रतिनिधि थे, जिनमें हर एक भारतीय राज्य के प्रतिनिधि
शामिल थे, आगंतुकों और सैकड़ों स्कूली बच्चें मौजूद थे। प्रतिनिधि प्रमुख लेखकों और वैज्ञानिकों से
लेकर उत्साही और जानकार शौकीनों तक भिन्न थे।
साथ ही उस वर्ष की प्रस्तुतियों का एक प्रमुख विषय यह था कि नागरिक और वैज्ञानिक भारत के
पक्षियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।उदाहरण के लिए, सुमंत राजगुरु द्वारा उड़ीसा
के एक जलाशय में दुर्लभ स्किमर्स (Skimmers) के झुंड के घोंसले के मैदान का अध्ययन किया गया
और उनकी आबादी के कम होने के पीछे का कारण का पता लगाया।यह एक ऐसा स्थल था जिसे वन
अधिकारी बीस वर्षों से खोजने की कोशिश कर रहे थे। स्किमर्स, विषमता में सुंदरता के उदाहरण,
काले और सफेद पक्षी हैं, जिनकी चमकीले नारंगी-लाल चोंच हैं।उनके लुप्तप्राय होने के कारणों में से
एक यह है कि वे रेत के किनारों पर घोंसला बनाते हैं जिन्हें आसानी से मवेशियों द्वारा रौंदा जा
सकता है, मनुष्यों द्वारा परेशान किया जा सकता है, या बस जलमग्न हो जाते हैं।ये उदाहरण
जानकार नागरिक और वैज्ञानिक द्वारा उन पक्षियों के लिए समय और प्रयास समर्पित करने में
सक्षमता को दर्शाते हैं।
अन्य प्रस्तुतियों ने दिखाया कि भारतीय पक्षी प्रेमी अंतरराष्ट्रीय पक्षियों के जीवन में कैसे योगदान दे
सकते हैं। जैसे रूसी (Russian) आर्कटिक (Arctic) में काम करने वाले एक क्षेत्र जीवविज्ञानी एवगेनी
सिरोचकोवस्की ने दुनिया के सबसे दुर्लभ पक्षियों में से एक, 35-ग्राम केस्पून-बिलवाले सैंडपाइपर
(Spoon-billed sandpiper) को बचाने के अपने काम के बारे में बताया। इसकी जनसंख्या पिछले
तीस वर्षों में 90% घट कर केवल 100 और 200 जोड़े के बीच रह गई है। हर साल छोटे सैंडपाइपर
अपने 8,000 किमी प्रवास पर आर्कटिक घोंसले के मैदान से दक्षिण की ओर निकलते हैं। रास्ते में वे
भोजन करने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर रुकते हैं। हालांकि इनको बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में देखे
जाने की सूचना तो मिली, लेकिन भारत में इसे देखे जाने की कोई सूचना नहीं मिली, तब एवगेनी ने
भारतीय पक्षी प्रेमियों से अपील की कि वे उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के तटों पर कड़ी निगरानी रखें
ताकि उनके रुकने के क्षेत्रों का पता लगाया जा सकें। वहीं चंबल अभयारण्य में पर्यटकों ने भारतीय
स्किमर, सारस क्रेन और अन्य पक्षियों को भी देखा।
दुनिया में पक्षियों की लगभग 10,000 प्रजातियां हैं।जिसमें से भारत में लगभग 1,300 प्रजातियां पाई
जाती हैं।और इनमें से, उत्तर प्रदेश में 550 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां हैं। वहीं उत्तर प्रदेश पक्षियोंके संरक्षण काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए हुए है क्योंकि यह 13 खतरे में और निकटवर्ती पक्षियों
की प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करता है, जिनमें पतले-बिल वाले गिद्ध (Slender-billed vulture),
बंगाल फ्लोरिकन (Bengal florican), सारस क्रेन (Sarus crane) और काली गर्दन वाले सारस
(Black-necked stork) शामिल हैं। वहीं दुधवा-सोनारीपुर क्षेत्र में भी कई प्रकार के प्रवासी पक्षियों को
देखा जा सकता है जो सर्दियों के दौरान यहां बस जाते हैं।
पक्षियों को देखने का शौक आज के समय में दुनिया भर में न केवल सबसे लोकप्रिय हो गया है,
बल्कि इससे होने वाला पर्यटन लाभ किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में छह गुना तेजी से बढ़ने का
अनुमान है।डिजिटल फोटोग्राफी (Digital photography), ऑनलाइन (Online) समूहों और संसाधनों
और स्थानीय पक्षी और संरक्षण क्लबों (Club) द्वारा प्रेरित भारतीय पंछी को देखने के पर्यटन में
काफी तेजी से विस्तार हो रहा है।वहीं फेसबुक ग्रुप (Facebook group) इंडियन बर्ड्स (Indian
Birds) में अकेले लगभग 90,000 सदस्य हैं और ओरिएंटल बर्ड क्लबहाउस (Oriental Bird
Clubhouse) जैसी अंतर्राष्ट्रीय साइटें (Sites) पहचान के लिए आसानी से सुलभ छवियों का एक
आंकड़ा आधार प्रदान करती हैं।और अब ई-बर्ड इंडिया (E-Bird India) पोर्टल(Portal)पक्षी प्रेमियों को
न केवल छवियों को अपलोड (Upload) करने की अनुमति देता है, बल्कि उनके द्वारा देखे गए
पक्षियों की जाँच-सूची और उनके देखे गए स्थान का विवरण भी अपलोड करते हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3LsVNjE
https://bit.ly/3IU8ulM
https://bit.ly/3wSe8Ct
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ चिड़ियाघर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. जलाशय में दुर्लभ स्किमर्स (Skimmers) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. काली गर्दन वाले सारस (Black-necked stork) को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
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