Post Viewership from Post Date to 07-Feb-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
356 27 383

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जानवरों में शिकार से बचने के लिए पाया जाता है मौत के ढोंग का व्यवहार

लखनऊ

 07-01-2022 06:44 AM
व्यवहारिक

“आभासी मृत्यु” (Apparent death)‚ जिसे आम बोलचाल की भाषा में ‘मृत खेलना’ (playing dead)‚ ‘मृत्यु का बहाना’ करना (feigning death) या ‘पोसम खेलना’ (playing possum) कहा जाता है‚ जानवरों में पाया जाने वाला एक ऐसा व्यवहार है‚ जिसमें जानवर मृत होने का रूप धारण कर लेते हैं। यह एक ऐसी गतिहीन अवस्था है जो अक्सर शिकारी हमलों के कारण उत्पन्न होती है और इसे कीड़ों और क्रस्टेशियंस (crustaceans) से लेकर स्तनधारियों‚ पक्षियों‚ सरीसृपों‚ उभयचरों और मछलियों की एक विस्तृत श्रृंखला में पाया जा सकता है। आभासी मृत्यु को थानाटोसिस (thanatosis)‚ पशु सम्मोहन (animal hypnosis)‚ स्थिरीकरण कैटेटोनिया (immobilization catatonia) या टॉनिक गतिहीनता (tonic immobility) के रूप में भी जाना जाता है। आभासी मृत्यु कुछ जानवरों में देखे जाने वाले ‘ठंड के व्यवहार’ से अलग है‚ यह पशु धोखे का एक रूप है जिसे शिकारी-विरोधी रणनीति माना जाता है‚ और इसे ‘आक्रामक नक़ल’ के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ‘पशु सम्मोहन’ का सबसे पहला लिखित रिकॉर्ड वर्ष 1646 में अथानासियस किरचर (Athanasius Kircher) की एक रिपोर्ट से मिलता है‚ जिसमें उन्होंने मुर्गियों को वश में किया था। ‘टॉनिक गतिहीनता’ एक ऐसा व्यवहार है जिसमें कुछ जानवर स्पष्ट रूप से अस्थायी रूप से लकवाग्रस्त हो जाते हैं और बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति अनुत्तरदायी हो जाते हैं। आमतौर पर इसे भी एक शिकारी-विरोधी व्यवहार माना जाता है क्योंकि यह अक्सर एक खतरे के जवाब में होता है। हालांकि‚ इसका उपयोग शिकारियों द्वारा शिकार को आकर्षित करने‚ या प्रजनन की सुविधा के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए‚ व्यवहार प्रदर्शित करने वाले शार्क में‚ कुछ वैज्ञानिक इसे संभोग से जोड़ते हैं‚ यह तर्क देते हुए कि नर द्वारा काटने से मादा स्थिर हो जाती है और इस प्रकार संभोग की सुविधा मिलती है।
शिकारियों से बचने के लिए जानवरों ने जितने भी तरीके विकसित किए हैं‚ उनमें आभासी मृत्यु या मौत का ढोंग करना सबसे रचनात्मक और जोखिम भरा हो सकता है। एक डेथ फेकर (Death Faker) के रूप में‚ शायद सबसे प्रसिद्ध डेथ फेकर उत्तरी अमेरिका (North America’s) का वर्जीनिया ओपोसम (Virginia opossum) है‚ जो अपना मुंह खोलता है‚ अपनी जीभ बाहर निकालता है‚ अपनी आंतों को खाली करता है‚ और एक शिकारी को यह समझाने के लिए कि उसकी समाप्ति तिथि बीत चुकी है‚ वह दुर्गंधयुक्त तरल पदार्थ उत्सर्जित करता है। गिनी सूअर (Guinea pigs) और खरगोशों की कई प्रजातियाँ भी साँपों की तरह मरने का दिखावा करती हैं‚ जैसे कि टेक्सास इंडिगो साँप (Texas indigo snake)। दर्जनों अकशेरूकीय ‘टॉनिक गतिहीनता’ का अभ्यास करते हैं‚ जिससे वे ऐसा करने वाली सबसे आम या कम से कम सबसे अधिक अध्ययन-प्रजातियों में से एक बन जाते हैं। उदाहरण के लिए जापान में पिग्मी टिड्डे (pygmy grasshoppers)‚ जब एक शिकारी के संपर्क में आते है‚ तो वे अपने पैरों को कई दिशाओं में चिपकाकर ‘मृत खेलते’ हैं‚ जिससे मेंढकों के लिए उन्हें निगलना लगभग असंभव हो जाता है। कई कीड़े एक शिकारी द्वारा पकड़े जाने के बाद भी मौत का बहाना बनाते हैं‚ एक व्यवहार या घटना जिसे संपर्क के बाद की गतिहीनता कहा जाता है। उदाहरण के लिए‚ यूरोलियोन नोस्ट्रास एंटीलियन (Euroleon nostras antlions) का लार्वा‚ जो एक भयंकर प्रकार के शिकारी पंखों वाला कीट है‚ वह आश्चर्यजनक रूप से 61 मिनट तक ‘मृत खेल’ सकता है। मध्य अमेरिकी (Central American) चिक्लिड (cichlid) मछली शिकार को लुभाने के लिए झील के तल पर मृत होने का दिखावा करते है‚ जब और मछलियां शव को काटने के लिए आती है‚ तो चिक्लिड जाग जाते हैं और हमला कर देते हैं। इसी तरह‚ ब्राजील (Brazil) का कॅाम्ब ग्रूपर (comb grouper) युवा मछलियों को आकर्षित करने के लिए अपनी मौत का ढोंग करता है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल (University of Bristol) में विजिटिंग व्यक्ति एना सेंडोवा-फ्रैंक्स (Ana Sendova-Franks) कहती हैं‚ “यह आपके जीवन का आखिरी मौका है।” सेंडोवा-फ्रैंक्स कहती हैं‚ “संपर्क के बाद की गतिहीनता क्षणिक रूप से स्थिर रहने से अलग है‚ जैसे कि जब कोई चोर आपके घर में प्रवेश करता है‚ तो आप खुद को दिखने से बचाने के लिए मौके पर ही जम जाते हैं।” यह अक्सर एक अनैच्छिक शारीरिक परिवर्तन होता है‚ जैसे हृदय गति को धीमा करना। सामान्य तौर पर‚ वैज्ञानिकों को इस पेचीदा व्यवहार के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है‚ यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय (University of St. Andrews) में स्नातकोत्तर छात्र रोसलिंड हम्फ्रीज़ (Rosalind Humphreys) कहती हैं‚ की जंगल में रिकॉर्ड करना मुश्किल है‚ और प्रयोगशाला प्रयोग बनाने के बारे में नैतिक चिंताएं हैं‚ जिनमें शिकारी शिकार पर हमला करते हैं। हम्फ्रीज़ कहता हैं‚ टॉनिक गतिहीनता “एक ‘अंतिम उपाय’ रक्षा के रूप में अजीब लग सकती है‚ यह देखते हुए कि हम शिकार जानवरों से संघर्ष और दूर जाने की उम्मीद करेंगे।” “हालांकि‚ ऐसे कई साधन हैं जिनके द्वारा टॉनिक गतिहीनता आगे के हमले की संभावना को कम करने में सफल हो सकती है।” उदाहरण के लिए‚ ब्रिटिश एंटीलियन प्रयोगों (British antlion experiments) में‚ वैज्ञानिकों ने पाया कि लार्वा जो अन्य लार्वा की तुलना में अधिक समय तक मरे हुए थे‚ उनके लिए एक शिकारी द्वारा खाए जाने की संभावना कम थी‚ जो या तो मूर्ख थे या लार्वा की प्रतिक्रिया से निराश थे। और यही कारण है कि कीड़े दुनिया पर राज करते हैं। 1975 के एक प्रयोग में‚ वैज्ञानिकों ने देखा कि कैसे बंदी लाल लोमड़ियों ने पांच अलग-अलग बतख प्रजातियों का शिकार किया‚ जिनमें से अधिकांश बतखों ने पकड़े जाने पर तुरंत मरने का दिखावा किया। लोमड़ियों ने बाद में खाने के लिए बत्तखों को वापस अपनी मांद में ले लिया। अनुभवी लोमड़ियाँ बत्तखों को तुरंत मारना या अपंग करना जानती थीं‚ लेकिन अनुभवहीन लोमड़ियों ने कथित रूप से मृत बत्तखों को छोड़ दिया‚ जिससे उनके शिकार को भागने की अनुमति मिली और वे बच गए। इसलिए सेंडोवा-फ्रैंक्स इस व्यवहार को ‘अंतिम मौका’ कहते हैं। हिलना-डुलना मृत्यु की गारंटी देता है‚ लेकिन ‘मृत खेलना’ जीवित रहने की एक संभावना प्रदान करता है।
वाक्यांश “पोसम खेलना” (playing possum) एक खतरे का सामना करने पर मौत का ढोंग करने की ओपोसम्स (opossums) की आदत से निकला है‚ इस उम्मीद में कि एक शिकारी लाश में रुचि खो देगा। ओपोसम्स सबसे प्रसिद्ध चिकित्सक हो सकते हैं‚ लेकिन कई तरह के जानवर‚ जिनमें कई कीड़े‚ मेंढक और सांप शामिल हैं‚ सभी “मृत्यु-द्वेष” व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। मौत का बहाना लंबे समय से रहस्यमय रहा है‚ इसमें भारी जोखिम शामिल हैं। जैसा कि प्रोसीडिंग्स: बायोलॉजिकल साइंस (Proceedings: Biological Science) में जीवविज्ञानी अत्सुशी होनमा (Atsushi Honma) ने उल्लेख किया है‚ की मौत का बहाना करने के लिए‚ बहुत सी चीजों को अच्छी तरह से जानना होगा। यदि शिकारी को मरे हुए जानवर को खाने में कोई समस्या नहीं है तो यह व्यवहार बेकार है। यदि कुछ शिकारी खाने में देरी करेंगे या लंगड़े शिकार को अलग तरह से संभालेंगे‚ तो ऐसे में मौत का ढोंग करने से बचने का मौका मिल सकता है।
लेकिन कभी स्थिति और भी बदतर हो सकती है‚ जिसमें मौत का ढोंग करने वाले शिकार‚ शिकारियों के काम को आसान बना सकता है। होनमा ने यह भी देखा कि छोटे टिड्डे‚ जब मौत का नाटक कर रहे थे‚ गतिहीन थे लेकिन वास्तविक रूप से मृत नहीं लग रहे थे। करीब से निरीक्षण करने पर‚ ऐसा प्रतीत हुआ कि वास्तव में टिड्डों की “मृत्यु” मुद्रा ने उन्हें विभिन्न उपांगों को अलग-अलग दिशाओं में चिपका दिया‚ जिससे उनकी बाह्य रूपरेखा बढ़ गई और उन्हें निगलने में बहुत मुश्किल हो गई। तो इस मामले में ‘मौत का बहाना’ सिर्फ मानवीय व्याख्या पर आधारित एक शब्द है। टिड्डा वास्तव में मरने का नाटक नहीं कर रहा है‚ बस खुद को खाने के लिए कठिन बना रहा है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3HDRMqp
https://on.natgeo.com/3zCUWYP
https://bit.ly/3n2r9Uf
https://bit.ly/3eWxLzc

चित्र संदर्भ   
1. मौत के ढोंग का व्यवहार करते सांप, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. पकडे जाने पर मृत होने का ढोंग करती चिड़िया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मौत के ढोंग का व्यवहार करते वीविल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. एक पूर्वी हॉग-नाक वाला सांप मरा हुआ खेल रहा है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मौत के ढोंग का व्यवहार करते घोड़े को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id