जंतु भी करते हैं दुःख की भावना को प्रदर्शित

जौनपुर

 02-03-2020 12:00 PM
व्यवहारिक

दु:ख मनुष्यों में पायी जाने वाली एक सामान्य भावना है जिसका प्रकटीकरण मनुष्य तब करता है जब वह अत्यधिक भावनात्मक और शारीरिक पीड़ा में होता है। क्रोध से लेकर त्याग, दोषिता, उदासी, निराशा आदि में दु:ख का अनुभव होता है। मानव जीवन में हमेशा ऐसे क्षण आते रहते हैं जब मनुष्य इस भावना से ग्रसित होता है तथा इस व्यवहार का प्रदर्शन करता है। मनुष्य को सभी जीवों में श्रेष्ठ माना जाता है और शायद यह भी एक मुख्य कारण है जोकि उसे अन्य जीवों से अलग समझा जाता है, क्योंकि उसमें विभिन्न प्रकार की भावनाएं विद्यमान है, जिनमें से दुख भी एक है। किंतु क्या आप जानते हैं कि केवल मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी नहीं है जो दुख का अनुभव करता है। बल्कि पृथ्वी पर उसके आस-पास रहने वाले ऐसे कई जंतु हैं, जो दुख को महसूस करते हैं, यहां तक कि इसका प्रदर्शन भी करते हैं।

इस भावना को विशेषकर उस जंतु समूह में तब देखा जा सकता है जब उनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाती है और शोक के रूप में वे उस दुःख का प्रकटीकरण करते हैं। इस तरह का सबसे आश्चर्यजनक व्यवहार हाथियों में देखा जा सकता है। मृत्यु के सम्बंध में उनके कुछ अपने संस्कार या पद्धतियां होती हैं। जब वे किसी मृत हाथी की हड्डियों या अस्थियों के सम्पर्क में आते हैं, तो वे यह पहचानने में सक्षम प्रतीत होते हैं कि हड्डियाँ अन्य हाथी की हैं। वे बहुत ही सूक्ष्म और शांत तरीके से हड्डियों की जांच में बहुत समय व्यतीत करते हैं। हाथी अक्सर नियमित रूप से हाथी की कब्र-स्थल का दौरा करते हैं। वे कुछ समय के लिए भूखे और प्यासे अपने झुंड के मृत हाथी के पास रहते हैं। वे पत्तियों, मिट्टी, और शाखाओं के द्वारा मृत हाथी को आवरित करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि हाथी, मनुष्यों और कुत्तों जैसे अन्य जानवरों के मृत शरीर के साथ भी ऐसा ही करेंगे। इन सभी बातों से यह प्रमाण मिलता है कि हाथी अत्यंत आनुभविक प्राणी हैं। जानवरों को उन लोगों की मृत्यु की परवाह होती है जिन्हें वे प्यार करते हैं, और हाथी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। जब भी हाथियों के समूह की कोई वृद्ध मादा हाथी मर जाती है तो वे शोक प्रकट करने के लिए मृत शरीर को देखते, सूंघते, छूते और बार-बार उसके पास से गुजरते हैं। शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट के अनुसार हाथियों में खुद को शीशे में पहचानने की क्षमता भी होती है। मनुष्य के अलावा बन्दर, डॉल्फ़िन, हाथी आदि में इस तरह की आत्म-जागरूकता होती है।

हाथी के अलावा चिंपैंजी (Chimpanzee), मैगपी (Magpie), गाय आदि ऐसे जीव हैं जो अपने जैसे जीवों की मृत्यु के प्रति शोक प्रकट करते हैं। एक मामले में, देखा गया कि चिंपैंजी के एक छोटे समूह में से जब एक बुजुर्ग मादा की मृत्यु हुई तो एक चिंपैंजी ने मृत शरीर को जीवन के संकेतों के लिए जांचा और उसके बालों से घास के तिनके साफ़ किये। मादा चिंपैंजी की मृत्यु के कई दिनों बाद भी वे उस स्थान पर नहीं गए जहां उसकी मृत्यु हुई थी। मैगपी को भी अपने मृत सम्बन्धियों को घास की टहनियों के नीचे दफनाते देखा गया है। इसी प्रकार से अमेरिका के कुछ हिस्सों में पाए जाने वाले जंगली सुअर जैसे जानवर की एक प्रजाति, को भी अपने समूह के मृत सदस्य के प्रति शोक करते हुए देखा गया है। वे शव को बार-बार देखते हैं, उसे सहलाते हैं तथा उसके बगल में सो जाते हैं। निहितार्थ यह है कि जानवर भी अपने समूह के सदस्य की मृत्यु के बाद शोक करते हैं और शवों के प्रति कुछ संवेदनशीलता महसूस करते हैं। ये सभी साक्ष्य यह बताते हैं की जानवरों में भी सुख और दुःख की संवेदनाएँ होती है। हाथियों और इंसानों के बीच काफी समानताएं होती हैं, और यही कारण है कि हाथी उसी तरह की कई भावनाओं का अनुभव करते हैं जैसी इंसानों में होती हैं। हाथी उदासी, खुशी, प्रेम, ईर्ष्या, रोष, शोक, करुणा आदि भावनाएँ प्रकट करने में सक्षम हैं।

सन्दर्भ:
1.
https://www.nationalgeographic.com/news/2016/08/elephants-mourning-video-animal-grief/
2. https://www.smithsonianmag.com/science-nature/do-animals-experience-grief-180970124/
3. https://www.elephantsforever.co.za/elephant-emotions-grieving.html
4. https://www.livescience.com/4272-elephant-awareness-mirrors-humans.html



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id