Post Viewership from Post Date to 16-Dec-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1893 87 1980

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

वायु, मृदा और जल में मौजूद सूक्ष्मजीवों के अध्ययन से जुड़ा है,पर्यावरण सूक्ष्म जीव विज्ञान

लखनऊ

 11-12-2021 10:39 AM
कोशिका के आधार पर

वायु, मृदा और जल हमारी प्रकृति के अभिन्न अंग है, क्यों कि ये सभी हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन एक कारक और है, जिसकी वजह से इनका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, और वो है सूक्ष्मजीव, जिन्हें वायु,मृदा और जल अपने आप में वहन करते हैं।वायु, मृदा और जल में मौजूद सूक्ष्मजीवों के अध्ययन को पर्यावरण सूक्ष्म जीव विज्ञान(Environmental Microbiology) कहा जाता है, तथा इसका महत्व एक ऐसे समय में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के विभिन्न रूपों से होने वाली समस्याओं का सामना कर रही है।ऐसा इसलिए है, क्यों कि महामारी की संक्रमण दर बहुत अधिक है, तथा महामारी को फैलाने वाला वायरस वायु,मृदा और जल के माध्यम से संचरित होता है।
पर्यावरण सूक्ष्म जीव विज्ञान, सूक्ष्मजीवों की पारिस्थितिकी है। यह सूक्ष्मजीवों का एक-दूसरे के साथ तथा इनका पर्यावरण के साथ मौजूद सम्बंध के अध्ययन को संदर्भित करता है। यह जीवन के तीन प्रमुख क्षेत्रों,यूकेरियोटा (Eukaryota), आर्किया (Archaea), और बैक्टीरिया (Bacteria) के साथ-साथ वायरस से भी संबंधित है। सूक्ष्मजीव अपनी सर्वव्यापकता से पूरे जीवमंडल को प्रभावित करते हैं। माइक्रोबियल जीवन हमारे ग्रह के लगभग सभी वातावरणों में जैव-भू- रासायनिक प्रणालियों को विनियमित करने में एक प्राथमिक भूमिका निभाता है। इस वातावरण में ठंडे बर्फीले वातावरण से लेकर अम्लीय झीलें,गहरे महासागरों के तल पर जलतापीय झरोखे, यहां तक कि मानव की छोटी आंत तक शामिल है।सूक्ष्म जीव, अकेले अपने बायोमास के आधार पर, एक महत्वपूर्ण कार्बन सिंक का निर्माण करते हैं।कार्बन स्थिरीकरण के अलावा, सूक्ष्मजीव प्रमुख सामूहिक चयापचय प्रक्रियाओं (नाइट्रोजन स्थिरीकरण, मीथेन चयापचय, और सल्फर चयापचय आदि) और वैश्विक जैव-भू-रासायनिक चक्रण को नियंत्रित करते हैं।सूक्ष्मजीवों के उत्पादन की विशालता ऐसी है कि, यूकेरियोटिक जीवन की कुल अनुपस्थिति में भी, ये प्रक्रियाएं संभवतः अपरिवर्तित रहती हैं। सूक्ष्मजीव सभी पारिस्थितिक तंत्रों की रीढ़ हैं, लेकिन इससे भी अधिक उन क्षेत्रों में जहां प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाता है,में ये रसायन संश्लेषक सूक्ष्मजीव अन्य जीवों को ऊर्जा और कार्बन प्रदान करते हैं।
ये कीमोट्रॉफ़िक (Chemotrophic) जीव अपने श्वसन के लिए अन्य इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता का उपयोग करके ऑक्सीजन की कमी वाले वातावरण में भी कार्य कर सकते हैं।कुछ सूक्ष्मजीव अपघटक होते हैं,जो अन्य जीवों के अपशिष्ट उत्पादों से पोषक तत्वों को पुन: चक्रित करने की क्षमता रखते हैं।नाइट्रोजन चक्र, फास्फोरस चक्र, सल्फर चक्र और कार्बन चक्र सभी किसी न किसी रूप में सूक्ष्मजीवों पर निर्भर हैं।वायु जो कि मिट्टी और पानी के साथ सूक्ष्मजीव का एक अन्य निवास स्थान है, सूक्ष्मजीवों के लिए एक ऐसा स्थान उपलब्ध कराती है, जहां वे अच्छी तरह से वृद्धि नहीं कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है, क्यों कि इसमें कम पोषक तत्व होते हैं और परिणामस्वरूप कम जीवों को वहन करते हैं।नतीजतन,एयरोमाइक्रोबायोलॉजी (Aeromicrobiology) अर्थात हवा में निलंबित जीवित सूक्ष्मजीवों के अध्ययन पर पारंपरिक रूप से जलीय या मिट्टी सूक्ष्म जीव विज्ञान की तुलना में कम ध्यान दिया जाता है।
हवा में निलंबित रहने वाले सूक्ष्मजीवों को बायोएरोसोल (Bioaerosols) भी कहा जाता है।सूक्ष्मजीव बायोएरोसोल संचरण और अस्तित्व के लिए भौतिक-रासायनिक गुणों जैसे तापमान, आर्द्रता, सौर विकिरण, हवा, वर्षा और वायु दाब पर निर्भर होते हैं।उदाहरण के लिए उच्च तापमान हवा में बैक्टीरिया और वायरस के अस्तित्व के लिए आम तौर पर प्रतिकूल है।जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण में वृद्धि की है, इस प्रकार संभावित रूप से यह एक भौगोलिक स्थान से दूसरे स्थान पर बायोएरोसोल को स्थानांतरित कर रहा है।क्षोभमंडल, या पृथ्वी के वायुमंडल की सबसे भीतरी परत,सूक्ष्मजीवों के विकास और अस्तित्व के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है, क्यों कि इसमें अन्य परतों की तुलना में अधिक जल वाष्प होता है। इस प्रकार यह कोशिकाओं के शुष्कीकरण को रोकता है और एक निश्चित स्तर की जैविक गतिविधि को बनाए रखने में सहायता करता है।हवा में पाए जाने वाले रोगाणु केवल किसी अन्य स्रोत से पेश किए जाने पर ही वहां पहुंचते हैं। वास्तव में, कुछ मानवीय गतिविधियों जैसे अपशिष्ट निपटान, अपशिष्ट उपचार,कृषि और उद्योगमें सूक्ष्मजीवों को वायु में संचरित करने की क्षमता होती है।मिट्टी बायोएरोसोल का एक प्रमुख स्रोत है क्योंकि एक ग्राम मिट्टी में लाखों या इससे भी अधिकजीवाणु और कवक कोशिकाएं मौजूद होती हैं।मृदा सूक्ष्म जीव विज्ञान मिट्टी में सूक्ष्मजीवों, उनके कार्यों और वे मिट्टी के गुणों को कैसे प्रभावित करते हैं, का अध्ययन है।ऐसा माना जाता है कि दो से चार अरब साल पहले पृथ्वी के महासागरों में सबसे पहले प्राचीन बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव आए थे। ये बैक्टीरिया समय पर नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते थे और परिणामस्वरूप वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ते थे।इससे अधिक उन्नत सूक्ष्मजीव पैदा हुए,जो महत्वपूर्ण हैं,क्योंकि वे मिट्टी की संरचना और उर्वरता को प्रभावित करते हैं।मृदा सूक्ष्मजीवों को बैक्टीरिया, एक्टिनोमाइसेट्स (Actinomycetes), कवक, शैवाल और प्रोटोजोआ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।इनमें से प्रत्येक समूह की विशेषताएं हैं जो उन्हें और मिट्टी में उनके कार्यों को परिभाषित करती हैं।इसी तरह पानी में भी अनेकों सूक्ष्मजीव निवास करते हैं, जिनकी उपस्थिति मानव जीवन को प्रभावित करती है।पानी जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन बहुत से लोगों के पास स्वच्छ और सुरक्षित पीने का पानी नहीं है, क्यों कि कई लोग जलजनित जीवाणु संक्रमण के कारण मर जाते हैं।पानी के माध्यम से प्रसारित होने वाले सबसे महत्वपूर्ण जीवाणु रोगों में हैजा, टाइफाइड बुखार और पेचिश आदि शामिल हैं।ढाई अरब लोगों के पास बेहतर स्वच्छता तक पहुंच नहीं है, और हर साल 1.5 मिलियन से अधिक बच्चे डायरिया सम्बंधी बीमारियों से मर जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पानी से होने वाली बीमारियों से हर साल 5 मिलियन से भी अधिक लोग मारे जाते हैं। इनमें से, 50% से अधिक लोग सूक्ष्मजीवों द्वारा हुए आंतों के संक्रमण से ग्रसित होते हैं। इसे कम करने के लिए पीने के पानी का सूक्ष्मजैविक नियंत्रण हर जगह होना चाहिए, जिसके लिए पानी में मौजूद सूक्ष्मजीवों या रोगजनकों का विस्तृत अध्ययन अत्यंत आवश्यक है।पर्यावरण सूक्ष्म जीव विज्ञान मिट्टी,पानी और हवा में मौजूद सूक्ष्मजीवों के अध्ययन और जैव उपचार में उनके अनुप्रयोग से संबंधित है। हालांकि अनेकों सूक्ष्मजीव अन्य जीवों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, लेकिन अनेकों सूक्ष्मजीव पर्यावरण की महत्वपूर्ण क्रियाओं को संचालित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।पर्यावरण सूक्ष्म जीव विज्ञान के क्षेत्र में सूक्ष्मजैविक रूप से प्रेरित जैवसंक्षारण,निर्माण सामग्री का जैवविघटन और बाह्य तथा आंतरिक वायु की सूक्ष्मजैविक गुणवत्ता जैसे विषय भी शामिल होते हैं, जो इसके अध्ययन को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3y6H5cu
https://bit.ly/3oyjH4t
https://bit.ly/3Iz3FPN
https://bit.ly/33dFaaO
https://bit.ly/3GtTVV4

चित्र संदर्भ
1. मिट्टी के शुक्ष्म विज्ञानं को दर्शाता एक चित्रण (elifesciences)
2. 10,000 गुना बढ़ाये गए एस्चेरिचिया कोलाई बैक्टीरिया के एक समूह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अपवाह में आयरन बैक्टीरिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक्टिनोमाइसेट्स (Actinomycetes) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id