Post Viewership from Post Date to 04-Dec-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2500 103 2603

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

सृष्टि के सर्वश्रेष्ठ शिल्पकार विश्वकर्मा की पूजा होती है दिवाली के एक दिन बाद

लखनऊ

 05-11-2021 04:06 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

रामायण के खलनायक रावण और उसकी सोने की लंका से भला कौन परिचित नहीं होगा! माना जाता है की तत्कालीन समय में रावण की लंका, धरती पर सबसे भव्य ईमारत थी। सोने की लंका के महलों की बनावट और नक्कासी, देवताओं के राजा इंद्र द्वारा शाशित स्वर्ग के सामान ही उत्कृष्ट थी। अब प्रश्न यह उठता हैं की, आखिर सतयुग के दौरान, कौन व्यक्ति भला इतना श्रेष्ट वास्तुकार रहा होगा, जिसने रावण के लिए स्वर्ग से भी सुन्दर सोने के महलों का निर्माण कर दिया? दरसल केवल रावण की स्वर्णिम लंका ही नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका सहित अनेक हिंदू धार्मिक स्थानों और इमारतों के निर्माण का श्रेय हिंदू देवताओं के सबसे महान और श्रेष्ठतम वास्तुकार "विश्वकर्मा" को जाता हैं, जिनका स्मरण आज भी किसी नई ईमारत के निर्माण और नए काम को शुरू करने से पूर्व सर्वप्रथम किया जाता है।
देवशिल्पी विश्वकर्मा को विश्वकर्मन, रोमनकृत, के नाम से भी जाना जाता हैं। हिंदू धर्म में वें सर्वोत्तम शिल्पकार देवता और समकालीन हिंदू धर्म में देवताओं के दिव्य वास्तुकार माने जाते हैं। प्रारंभिक ग्रंथों में, शिल्पकार देवता को तवस्तार के रूप में जाना जाता था और "विश्वकर्मा" शब्द को मूल रूप से किसी भी शक्तिशाली देवता के लिए एक विशेषण के रूप में उपयोग किया जाता था। ग्रंथों में वर्णित है की, देव शिल्पी विश्वकर्मा ने भवनों और स्थानों के अलावा भगवान इंद्र के वज्र सहित दूसरे देवताओं के हथियारों एवं रथों को भी तैयार किया। मान्यता है की विश्वकर्मा ने सूर्य की ऊर्जा को खीचकर इसका उपयोग करके कई अन्य हथियार भी निर्मित किये। उन्होंने लंका, द्वारका और इंद्रप्रस्थ जैसे प्राचीन और देविक शहरों का भी निर्माण किया। रामायण में प्रभु श्री राम के लिए लंका तक पुल का निर्माण करने वाले वानर "नल" भी शिल्पकार विश्वकर्मा के ही पुत्र थे। हिंदू धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद के दो सूक्तों में विश्वकर्मन की व्याख्या सर्वशक्तिमान के रूप में की गई है, और जिसके हर तरफ आंखें, चेहरे, हाथ, पैर हैं और पंख भी हैं। उन्हें मृद्धि के स्रोत, विचारों में तेज और एक द्रष्टा, पुजारी और भाषण के स्वामी के रूप में दर्शाया गया है। ऋग्वेद के कुछ हिस्सों में वर्णन किया गया है की विश्वकर्मा परम वास्तविकता का अवतार थे,उन्हें पांचवीं एकेश्वरवादी ईश्वर अवधारणा माना जाता है। वे समय के आगमन से पहले से ही ब्रह्मांड के वास्तुकार और दिव्य अभियंता दोनों के रूप में मौजूद थे। देव शिल्पी विश्वकर्मा की प्रतिमाओं और चित्रणों में क्षेत्र के अनुसार भिन्नताएं देखी जाती हैं। हालांकि सभी क्षेत्रों में उन्हें सृजन उपकरण के साथ चित्रित किया जाता हैं। उनके सबसे प्रसिद्ध चित्रण में, उन्हें चार भुजाओं वाले और सफ़ेद दाढ़ी वृद्ध और बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है। उनके साथ हमेशा उनके वाहन, हम्सा (हंस) को भी चित्रित किया जाता हैं। भारत के पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी भागों में उन्हें उनके पुत्रों से घिरे हुए और सिहासन पर बैठे हुए भी दिखाया जाता है।हालांकि इसके विपरीत उनकी कई मूर्तियां ऐसी भी हैं जिनमें उन्हें एक युवा और बलवान व्यक्ति के रूप में दर्शाया जाता हैं, जिनमें उनकी सफ़ेद के बजाय घनी काली मूंछे हैं। इन मूर्तियों में हाथी को उनके वाहन के रूप में दर्शाया गया है, जो इंद्र या बृहस्पति के साथ उनके संबंध दर्शाता है। आमतौर पर विश्वकर्मा को ब्रह्मा के पुत्र से संदर्भित किया जाता है। हालांकि अलग-अलग ग्रंथों में इस संदर्भ में भी भिन्नताएं देखी जाती हैं। जैसे ब्राह्मणों ने उन्हें भुवन का पुत्र बताया गया है। महाभारत और हरिवंश में, वह वसु प्रभास और योग-सिद्ध के पुत्र हैं। पुराणों में, वह वास्तु के पुत्र हैं। विश्वकर्मा की तीन पुत्रियां हैं, जिनके नाम क्रमशः बरिष्मती, समझौता और चित्रांगदा है। भारत के कर्नाटक, असम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा और त्रिपुरा आदि प्रदेशों में यह आम तौर पर हर साल 17 सितंबर की ग्रेगोरियन तिथि को महान शिल्पकार विश्वकर्मा के सम्मान में विश्वकर्मा जयंती बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती हैं। यह त्योहार चंद्र कैलेंडर के बजाय सौर कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं, शास्त्रों और प्राचीन ज्योतिष पुस्तकों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा दुनिया के महानतम वास्तुकार हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया की रचना की। कई लोग दिवाली त्योहार के एक दिन बाद भी विश्वकर्मा पूजा मनाते हैं जिसे गोवर्धन पूजा भी कहा जाता है। जिसे मुख्य रूप से कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में आस्था के साथ मनाया जाता है। इंजीनियरिंग और वास्तु समुदाय विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर श्रद्धा के प्रतीक के रूप में प्रार्थना और पूजा करते हैं। सभी शिल्पकार, बढ़ई, इंजीनियर, यांत्रिकी, लोहार, चरवाहे, कारखाने के श्रमिक और औद्योगिक श्रमिक इस अवसर पर एकजुट हो जाते हैं, और भगवान विश्वकर्मा की प्रार्थना करते हैं। दरअसल भगवान विश्वकर्मा की पूजा, कारखाने और कार्यालयों की सुरक्षा, निर्माण इकाइयों, मशीनरी और वहां काम करने वाले लोगों की बेहतरी के लिए की जाती है। इस अवसर पर प्रत्येक कारखाने या कार्यस्थल के पास एक विशेष मूर्ति या मूर्ति स्थापित की जाती है। इन दिनों कुछ लोग वैदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को एक स्थान पर स्थापित करते हैं। ऋग्वेद में विश्वकर्मा को यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान का श्रेय दिया जाता है। विश्वकर्मा पूजा के तीसरे दिन हर्षोल्लास के साथ सभी लोग विश्वकर्मा जी की प्रतिमा विसर्जित करते हैं।

संदर्भ
https://www.astroguruonline.com/vishwakarma-puja/
https://en.wikipedia.org/wiki/Vishvakarma
https://en.wikipedia.org/wiki/Vishwakarma_Puja

चित्र संदर्भ
1. कार्यालय में स्थपित विश्वकर्मा मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (twitter)
2  मछलीपट्टनम, आंध्र प्रदेश में विश्वकर्मा मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विश्वकर्मा की प्रतिमा का एक चित्रण (wikimedia)
4. युवा रूप में विश्वकर्मा की प्रतिमा का एक चित्रण (wikimedia)
5. फेक्टरी में हो रही विश्वकर्मा पूजा का एक चित्रण (youtube)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id