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फैशन जगत में अपना एक नया स्‍थान बना रहा है मछली का चमड़ा

जौनपुर

 27-06-2022 09:29 AM
मछलियाँ व उभयचर

हाल के वर्षों में फ्लोरिडा (Florida) के तट से मछलियों और प्रवाल भित्तियों की रंगीन प्रजातियाँ गायब होती जा रही हैं। इनके गायब होने का एक महत्वपूर्ण कारण लॉयनफिश (lionfish) है, यह एक आक्रामक प्रजाति है जो हाल के दशकों में फ्लोरिडा से कैरिबियन (Caribbean) तक, अटलांटिक (Atlantic), ब्राजील (Brazil) और मैक्सिको (Mexico) से भूमध्य सागर तक ये आक्रामक मछली कई अन्य स्थानों में उफान पर है।
लायनफ़िश की अपनी मूल सीमा (हिंद, प्रशांत महासागरों और लाल सागर) बाहर कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं है, दुःख की बात तो यह है की लॉयनफिश के बारे में कोई भी कुछ भी करने में सक्षम नहीं है। जैसे ही ये आक्रामक प्रजाति एक कोरल रीफ सिस्टम (coral reef system) में प्रवेश करती है, केवल पांच सप्ताह के भीतर अनुमानित 79% समुद्री जीवन को खा जाती हैं। इसलिए पारिस्थितिक रूप से जागरूक कुछ स्कूबा (scuba) उत्साही लोगों की एक टीम ने इनवर्सा (Inversa) की स्थापना करके कार्य करने का फैसला किया, जो लॉयनफिश को एक नए उत्पाद: मछली के चमड़े में बदल देते है। बहुत से भौगोलिक क्षेत्रों, विशेष रूप से निम्न-आय वाले कैरिबियाई (Caribbean) क्षेत्र में, मछली का कोई बाज़ार नहीं है इसलिए यहां पर यह मछलीयां न केवल प्रवाल भित्तियों को नष्ट कर रही हैं, बल्कि मछली पकड़ने वाली सहकारी समितियों की आजीविका को भी प्रभावित कर रही हैं।
वर्तमान में मछली की खाल (चमड़ा) वैश्विक चमड़े की कुल बिक्री का 1% से भी कम है, संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) (FAO) दुनिया भर में मछली पकड़ने वाले समुदायों की आय को बढ़ावा देने के साधन के रूप में मछली की खाल के उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है। मछली के चमड़े की उपलब्धता बढ़ने से सांप और मगरमच्छ, जो लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल होने के कगार पर खड़े हैं, की खाल की मांग भी कम हो सकती है। मछली की खाल के उपयोग में वृद्धि से लंबे समय में यह संभव है कि यह गाय की खाल के उपयोग में भी कमी लाए। मछली का चमड़ा वास्तव में भेड़ के बच्चे या समान मोटाई के गाय के चमड़े की तुलना में नौ गुना अधिक मजबूत होता है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मछली की त्वचा में रेशे ऊपर-नीचे जाने की बजाय क्रिस-क्रॉस (criss-cross) होते हैं।यह जूते, बेल्ट और बैग जैसे उत्‍पादों के लिए अधिक टिकाऊ और मजबूत चमड़ा प्रदान करता है। मछली की चरम शोधन तकनीक में तीन से चार सप्ताह लगते हैं, और लगभग 19 कर्मचारी एक महीने में 10,000 खाल, या लगभग एक टन मछली के चमड़े का उत्पादन करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मछली की गंध प्रारंभिक अवस्था में समाप्‍त हो जाती है, फिर यह किसी भी अन्य चमड़े की तरह महकती है।अटलांटिक (Atlantic) चमड़े पर प्राकृतिक, गैर-प्रदूषणकारी रंगों का भी उपयोग किया जाता है। इसके चमड़े की कीमत मछली के आधार पर भिन्न होती है, यह चमड़ा प्रति वर्ग फुट लगभग 11 यूरो ($12.30; £9.42) में बिकता है।
प्राचीन समय में कई संस्कृतियों में मछली की खाल के चमड़े का उपयोग आम बात हुआ करती थी। यह गोर-टेक्स (Gore Tex) के प्रारंभिक रूप के समान ही था। अब, यह फिर से वापसी कर रहा है। मछली की खाल का चमड़ा भी फैशन की दुनिया में एक वस्तु के रूप में उभर रहा है; हाल के वर्षों में, इसने कई डिजाइनरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है जो इसे लक्जरी (luxury) वस्तुओं में शामिल करना चाहते हैं। अन्य पर्यावरण-दिमाग वाले उद्यमी चमड़े को बनाने के वैकल्पिक, टिकाऊ तरीके खोजने के लिए पारंपरिक चरम शोधन तकनीकों से प्रेरणा ले रहे हैं। अपने पुनरुद्धार के साथ, यह शिल्प पुराने विचारों को प्रतिबिंबित करने के अवसर प्रदान कर रहा है जो अभी भी आधुनिक जीवन के लिए प्रासंगिक हैं।
निर्मित कपड़ों के उदय से पहले, दुनिया भर के तटीय और नदी क्षेत्रों के लोगों ने मछली की खाल को सुखाया और उन्हें सिलकर वस्‍त्रों के रूप में उपयोग किया। यह वस्‍त्र मजबूत और जल प्रतिरोधी थे, जो कि जीवित रहने के लिए आवश्यक थे। जापान (Japan) के ऐनू (Ainu) लोगों ने इस खाल से जुते बनाए और उन्‍हें रस्‍सी से पैरों पर बांधा।
पूर्वोत्तर चीन (China) और साइबेरिया (Siberia) में अमूर नदी के किनारे, हेज़ेन और निवख लोगों ने इसकी खाल से कोट और धागे तैयार किए। उत्तरी कनाडा (Canada) में, इनुइट ने इनसे कपड़े बनाए, और अलास्का (Alaska) में, अलुतिइक, अथाबास्कन और युपिक सहित कई लोगों ने मछली की खाल का इस्तेमाल फैशन के जूते, मिट्टेंस (Mittens), कंटेनर और पार्कस बनाने के लिए किया। इसका उपयोग काफी व्यावहारिक और व्यापक था, 20 वीं शताब्दी में मछली की खाल के चमड़े को बनाने की प्रथा फीकी पड़ने लगी। जिसका प्रमुख कारण उपनिवेशवाद था। 1899 में, जापान ने होक्काइडो पूर्व आदिवासी संरक्षण अधिनियम लागू किया, जिसने ऐनू लोगों को जापानी समाज में मिला लिया–जिसके बाद ऐनू लोगों ने मछली पकड़ने, शिकार करने और इकट्ठे रहने वाली अपनी जीवन शैली खो दी।
अलास्का में, स्‍थानीय लोगों को पहले रूसी फर शिकारी द्वारा दास श्रम में मजबूर किया गया था और बाद में उनकी पारंपरिक जीवन शैली को खत्म करने के उद्देश्य से उन्‍हें अमेरिकी नीतियों के अधीन कर दिया गया था। हस्तनिर्मित मछली की खाल के कपड़ों ने रबर के जूते और कारखाने में बने रेन गियर (Rain Gear) को रास्ता दिया।

संदर्भ:
https://bbc.in/2IYbnYj
https://bit.ly/3HOd6Lu
https://bit.ly/3ydm69v

चित्र संदर्भ
1. मछली के रंगीन चमड़े और लायन फिश को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. लायन फिश को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. मछली के चमड़े को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. मछली से निर्मित उत्पादों को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
5. मछली पकडे दो जापानी महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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