पश्चिमी सभ्यता में मस्तिष्क की धारणा एवं मनोदशा बदलने वाला शक्तिशाली मनो सक्रिय पदार्थ साइकेडेलिक

फफूंदी और मशरूम
18-06-2022 10:06 AM
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पश्चिमी सभ्यता में मस्तिष्क की धारणा एवं मनोदशा बदलने वाला शक्तिशाली मनो सक्रिय पदार्थ साइकेडेलिक

भारत में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे, अमृत के बारे में पता न हो! हिंदू धार्मिक ग्रंथों की कई किवदंतियों में अमृत से जुड़ी कई घटनाओं का वर्णन मिलता है, जिससे यह ज्ञात होता है कि, “अमृत एक ऐसा तरल पेय था, जिसे पीकर कोई भी अमृत्व अर्थात अमरता को प्राप्त कर सकता था।” लेकिन आपको यह जानकर शायद और भी अधिक आश्चर्य होगा की, “अमृत के समान ही अमरता प्रदान करने वाले पवित्र पेय से जुड़ी मान्यताएं प्राचीन यूनानियों के बीच भी प्रचलित थी।”
माना जाता है कि, पश्चिमी सभ्यता की उत्पत्ति में साइकेडेलिक (psychedelic) ने बेहद भूमिका निभाई है। दरअसल साइकेडेलिक या सेराटोनर्जिक मतिभ्रम (seratonergic hallucinations), एक प्रकार के शक्तिशाली मनो-सक्रिय पदार्थ होते हैं, जो मानव मस्तिष्क की धारणा और मनोदशा को बदल देते हैं, और कई संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं (दिमाग से जुड़ी गतिविधियों) को भी प्रभावित करते हैं। वे आम तौर पर शारीरिक रूप से सुरक्षित माने जाते हैं, तथा किसी भी प्रकार की निर्भरता या लत कारण भी नहीं बनते हैं। पश्चिम में इनकी उत्पत्ति, लिखित इतिहास से भी पहले की मानी जाती है, जहां यह प्रारंभिक संस्कृतियों द्वारा कई सामाजिक-सांस्कृतिक और अनुष्ठान संदर्भों में प्रयोग किये जाते थे। 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली धार्मिक इतिहासकार, हस्टन स्मिथ (Huston Smith) ने इसे इतिहास में "सर्वश्रेष्ठ गुप्त रहस्य" के रूप में संदर्भित किया था।
प्राचीन यूनानियों के बीच यीशु के जन्म से भी पहले, तथाकथित प्राचीन रहस्यों के हिस्से के रूप में, पवित्र पेय का नियमित रूप से सेवन किया जाता था। माना जाता है कि, एथेंस और रोम से सबसे अच्छे और प्रतिभाषाली लोग आध्यात्मिक राजधानी एलुसिस (Spiritual Capital Eleusis) में आए, और यहाँ एक पवित्र बियर ने उन्हें दो हजार वर्षों तक अमृत्व प्रदान किया। लेकिन 1970 के दशक में, कई विद्वानों ने दावा किया कि, यह बीयर और वाइन (beer, wine), पश्चिमी सभ्यता के मूल संस्कार-मन को बदलने वाली दवाओं (psychedelic drug) से युक्त थी। पुरातत्व वनस्पति और रसायन विज्ञान के लगातार बढ़ते क्षेत्रों ने, प्राचीन काल में मतिभ्रम पेय के स्थायी उपयोग का संकेत दिया है, और उस पेय को साइलोसाइबिन की ही खुराक होने का दावा किया है।
अक्सर, भांग (cannabis) के वैधीकरण को भी साइकेडेलिक्स के लिए, एक मॉडल के रूप में देखा जाता है। आज एक छोटे लेकिन तेजी से बढ़ते आंदोलन में, इब्राहीम धर्मों के सदस्य अपने स्वयं के अभ्यासों में एंथोजेंस “anthogenes” (ऐसे पदार्थ जो आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं!) को शामिल कर रहे हैं, और ऐसा करने के लिए बाइबिल की परंपराओं को मिसाल के रूप में संदर्भित कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, प्लांट मेडिसिन लॉ ग्रुप (Plant Medicine Law Group) के संस्थापक एड्रियाना कोर्टज़र (adriana cortzer) द्वारा चलाए जा रहे, फेथ + डेलिक्स (Faith + Daleks) नामक तेजी से बढ़ते समूह को लें सकते हें, जो यहूदी धर्म, इस्लाम और ईसाई धर्म के रब्बियों, पुजारियों, विद्वानों और चिकित्सकों को जड़ी-बूटियों और कवक के माध्यम से मानव जाति को आध्यात्मिक क्षेत्रों में एकजुटता के प्रति आकर्षित करता है, और आधे साल से भी कम समय में दर्जनों सदस्यों तक बढ़ गया है। हम मनो-सक्रिय जड़ी-बूटियों और कवक के माध्यम से, मानव जाति को आध्यात्मिक क्षेत्रों में एकजुट पाते हैं। जैसे मैजिक मशरूम कल्ट (Magic Mushroom Cult) का, सबसे पहला प्रमाण हमें 9000 साल पहले मुख्यतः आज के अल्जीरिया, लीबिया और चाड (Algeria, Libya and Chad) में मिलता है, जहाँ, हमें मनो-सक्रिय दवाओं के अवशेषों के साथ ही व्यापक संगठित धर्म के प्रारंभिक पुरातत्व अवशेष भी प्राप्त होते हैं। इतिहासकारों का मानना ​​​​है कि “यद्यपि प्रारंभिक अनुष्ठानों में विभिन्न मनो-सक्रिय पदार्थ आम थे, जिसमें साइलोसाइबिन कुछ रहस्य पंथों का केंद्र रहा है। ये पंथ लगभग 3, 500 साल पहले भारत में आने से पहले, निकट पूर्व में उत्पन्न हुए थे। वहाँ, वे सोम पंथ में विकसित हुए, जिसने बाद में हिंदू धर्म को प्रभावित किया। बाद में मशरूम रहस्यवाद, साइबेरिया और लैटिन अमेरिका तक फैल गया, जहाँ प्राचीन पंथ के अवशेष आज भी पाए जाते हैं।
1950 के दशक में, स्व-शीर्षक नृवंशविज्ञानी गॉर्डन वासन (Ethnologist Gordon Wasson), मेक्सिको में एक मशरूम संप्रदाय के संपर्क में आए। वासन ने अनुमान लगाया कि, साइकेडेलिक ने मानव स्मृति, जटिल भाषा और आत्म-चेतना के अचानक विस्तार को भी प्रेरित किया। उन्होंने शिकारी-संग्रहकर्ता जनजातियों और उन समाजों में भी प्रेरित किया होगा, जो उस दौरान कला और संगीत का निर्माण करते थे, शहरों का निर्माण करते थे और बौद्धिक अमूर्तता विकसित कर रहे थे। साथ ही एक एथ्नोबोटानिस्ट टेरेंस मैककेना (Ethnobotanist Terence McKenna) का मानना ​​​​था कि, साइलोसाइबिन एक अलंकारिक "ज्ञान का फल" था, जो आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान करता था और जागरूकता को बढ़ाता था।

संदर्भ

https://bit.ly/3b8czHX
https://bit.ly/3MWXOF0
https://bit.ly/3tFFfym

चित्र संदर्भ
1. रंगीन भ्रम को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
2. साइकेडेलिक प्रभाव को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
3. पवित्र पेय को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
4. मशरूम साइकेडेलिक क्यूबेंसिस को दर्शाता चित्रण (Pixabay)