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प्राचीन काल से ही कवक का औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है

जौनपुर

 12-01-2022 03:29 PM
फंफूद, कुकुरमुत्ता
हमारे पूर्वजों ने हजारों वर्षों से मशरूम को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया है।ग्रीक (Greek) चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates) , लगभग 450 ईसा पूर्व, ने अमादौ मशरूम (Amadou mushroom) को एक प्रबल सूजन रोधी और घावों को कम करने के रूप में वर्गीकृत किया गया है।5 वीं शताब्दी के कीमियागर ताओ होंगजिंग ने कई औषधीय मशरूम का वर्णन किया, जिनमें लिंग ज़ी (Ling Zhi) और झू लिंग (Zhu ling) शामिल हैं, कुछ का उपयोग कई शताब्दियों पहले शेनॉन्ग (Shennong) द्वारा कथित तौर पर किया गया था।उत्तरी अमेरिका के पहले लोगों ने घाव भरने के लिए पफबॉल मशरूम (Puffball mushroom - कैल्वेटिया जीनस (Calvatia genus)) का उपयोग किया गया। कवक की विभिन्न प्रजातियां उपापचयों का उत्पादन करती हैं जो औषधीय रूप से सक्रिय दवाओं में एक प्रमुख स्रोत के रूप में उपयोग किए जाते हैं।दवाओं के रूप में या अनुसंधान के तहत सफलतापूर्वक विकसित किए गए यौगिकों में जीवाणुनाशक, कैंसर (Cancer) रोधी दवाएं, रक्तवसा और कवकसांद्रव संश्लेषण अवरोधक, प्रतिरक्षादमनकारी और कवकनाशी शामिल हैं।

यद्यपि कवक उत्पादों का पारंपरिक चिकित्सा में लंबे समय से उपयोग किया जाता रहा है,लेकिन कवक के लाभकारी गुणों की पहचान करने और फिर उससे सक्रिय संघटक निकालने की योग्यता 1928 में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Alexander Fleming) द्वारा पेनिसिलिन (Penicillin- जो संरचनात्मक रूप से संबंधित बीटा-लैक्टम (β-lactam)जीवाणुनाशक दवाओं का समूह है जो छोटे पेप्टाइड (Peptide) से संश्लेषित होते हैं) की खोज के साथ ही प्रारंभ हुआ। हालांकि प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाली पेनिसिलिन जैसे पेनिसिलिन जी (Penicillin G -पेनिसिलियम क्राइसोजेनम (Penicillium chrysogenum) द्वारा निर्मित) में जैविक गतिविधि का एक अपेक्षाकृत संकीर्ण वर्णक्रम होता है, जबकि अन्य पेनिसिलिन की एक विस्तृत श्रृंखला प्राकृतिक पेनिसिलिन के रासायनिक संशोधन द्वारा उत्पादित की जा सकती है।वहीं यदि देखा जाएं तो उस समय से, कई संभावित जीवाणु नाशक दवाओं की खोज की गई और विभिन्न नैदानिक उपचारों में उपयोगी जैविक रूप से सक्रिय अणुओं को संश्लेषित करने के लिए कवक की विभिन्न क्षमताओं पर शोध किया गया है।जिसके परिणाम स्वरूप औषधीय अनुसंधान द्वारा कवक से कवकरोधी, प्रतिविषाणुज और एंटीप्रोटोजोअन (Antiprotozoan - एक कोशिकीय जंतुओं को नष्ट करने वाला) यौगिकों की पहचान कीगई है।

फिर भी, मशरूम चिकित्सा क्षेत्र में कई लोगों के लिए एक पहेली बना हुआ है, लेकिन यह अज्ञानता तेजी से बदल रही है।मशरूम चिकित्सा क्षेत्र में वृद्धि न केवल उनके उपयोग के गहरे सांस्कृतिक इतिहास से संबंधित है, बल्कि यह कवक जाल के ऊतकों की वृद्धि के आधुनिक तरीकों और व्यक्तिगत घटकों की गतिविधि और उनके तालमेल के परीक्षण के लिए नए तरीकों के कारण भी है।जैसा कि हम जानते हैं कि जी ल्यूसिडम (G lucidum) में कम से कम 16,000 वंशाणु हैं जो 2,00,000 से अधिक यौगिकों के लिए संग्रहीत हैं, जिनमें से 400 "सक्रिय घटक" हैं।मशरूम की प्रजातियों से अब तक 150 से अधिक नए एनज़ीमों (Enzyme)की पहचान की जा चुकी है।स्पष्ट रूप से, मशरूम चिकित्सा जांच के योग्य कई नए घटकों का निर्माण करते हैं। मशरूम प्रकृति की लघु फार्मास्युटिकल फैक्ट्रियां (Pharmaceutical factories) हैं, जो नए घटकों की एक विस्तृत श्रृंखला में समृद्ध हैं और अन्वेषण के लिए व्यापक रूप से खुले होते हैं।आधुनिक विज्ञान के लिए मशरूम के औषधीय गुणों का पता लगाने के लिए समय में अंतराल शायद उनकी प्रकृति के कारण है।कुछ मशरुमों का हम सेवन कर सकते हैं और कुछ हमको ठीक करने का सामर्थ्य रखते हैं, तो कुछ हमारे लिए हानिकारक होते हैं।

जबकि अधिकांश मांसल मशरूम कवकजाल से निकलते हैं और कुछ दिनों में ही प्रजनन करते हैं,जिस कवकजाल से वे उत्पन्न होते हैं वह दशकों से सैकड़ों वर्षों तक जीवित रह सकते हैं।पृथ्वी पर सबसे बड़ा ज्ञात जीव पूर्वी ओरेगॉन (Oregon) में 890 हेक्टेयर और 2000 वर्ष से अधिक पुराना शहद मशरूम (Armillaria ostoyae) की एक कवकजाल है।यद्यपि कवकजाल सदियों तक जीवित रह सकता है,लेकिन मशरूम का मांसल फलशरीर केवल कुछ ही दिनों तक चलते हैं।ये महीन कवकजाल धागे 12.9 किमी से अधिक इन कवक तंतुओं के साथ एक घन इंच मिट्टी में प्रवेश कर सकते हैं।लाखों भूखे रोगाणुओं से घिरे होने के बाद भी कवकजाल का शिकार करना बहुत मुश्किल है। वास्तव में, यह संभावना है कि मशरूम का रोगाणुओं से बचाव के लिए उन्होंने स्वयं को औषधीय बना लिया है। इससे हम यह समझ सकते हैं कि मशरूम मनुष्यों के लिए दवा बनने के लिए विकसित नहीं हुए, बल्कि अपने शिकारियों से बचने के लिए विकसित हुए हैं।वनस्पति से आने वाली दवाओं की तरह, जंगल में पनपनेवाले मशरूम में मौजूद कई रसायन जो कवक उत्पन्न करते हैं, वे भी मनुष्यों में सक्रियरूप से पाए जा सकते हैं।इन दवाओं का उपयोग करने के लिए जहरीले बनाम सुरक्षित मशरूम के बारे में एक कार्यसाधक ज्ञान और उनके द्वारा उत्पादित रसायनों के लिए शारीरिक रूप से प्रतिक्रिया करने की क्षमता की आवश्यकता होती है।

पिछले 2-3 दशकों में जापान (Japan), चीन (China), कोरिया (Korea) और हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका (United State Of America) में किए गए वैज्ञानिक अध्ययनों ने औषधीय मशरूम की श्रेणी के यौगिकों और अर्क के शक्तिशाली और अद्वितीय स्वास्थ्य वर्धक गुणों का तेजी से प्रदर्शन किया है।हालांकि, भारत में अब तक केवल कुछ ही मशरूम के औषधीय गुणों की जांच की गई है।फिर भी, हमारी प्रयोगशाला में हाल की जांच से पता चला है कि दक्षिण भारत में पाए जाने वाले कई औषधीय मशरूम नामत: गैनोडर्मा ल्यूसिडम (Ganoderma lucidum), फेलिनस रिमोसस (Phellinus rimosus), प्लुरोटस फ्लोरिडा (Pleurotus florida) और प्लुरोटस पल्मोनरिस (Pleurotus pulmonaris)में आशाजनक प्रतिउपचायक और कैंसर रोधी गुण हैं।फेलिनस (Phellinus) हाइमेनोचेटेसी (Hymenochetaceae) परिवार का एक बड़ा और व्यापक रूप से वितरित वंश है।इसकी प्रजातियां ज्यादातर मैदानी/उष्णकटिबंधीय जंगलों तक ही सीमित हैं। तापमान, आर्द्रता, प्रकाश और परपोषी वृक्ष जैसे पर्यावरणीय कारक बेसिडियोकार्प्स (Basidiocarps) के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

प्रमुख और सबसे अधिक बार पाई जाने वाली प्रजातियां फेलिनस(Phellinus), पी.रिमोसस (P. rimosus), पी.बैडियस (P. badius), पी.फास्टुओसस (P. fastuosus), पी.एडामेंटिनस (P. adamantinus), पी.कैरियोफिली (P. caryophylli) और पी.ड्यूरिसिमस (P. durrissimus) हैं।केरल में लगभग 18 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से अधिकांश लकड़ी में रहने वाली हैं।पी. रिमोसस (P. rimosus) पिलाट केरल में कटहल के पेड़ के तने पर उगता हुआ पाया जाता है। केरल में, यह मशरूम आमतौर पर जीवित मोरेसी (Moraceae)अवयव पर पाया जाता है।चीनी चिकित्सा में फेलिनस प्रजाति के फल उत्पन्न करने वाले शरीर को गर्म पानी के अर्क का उपयोग व्यापक बीमारियों के लिए किया जाता है और यह माना जाता है कि यह मानव शरीर को तरोताजा करने और लंबी उम्र को बढ़ाने वाली चमत्कारिक दवा के रूप में काम करता है।जांच से यह भी पता चला कि इनमें महत्वपूर्ण एंटीमुटाजेनिक (Antimutagenic) और एंटीकार्सिनोजेनिक (Anticarcinogenic) गतिविधि थी।इस प्रकार, भारतीय औषधीय मशरूम प्रतिउपचायक और कैंसर रोधी यौगिकों के संभावित स्रोत हैं। हालांकि, उनके मूल्यवान चिकित्सीय उपयोग का फायदा उठाने के लिए गहन और व्यापक जांच की आवश्यकता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3f7mfkx
https://bit.ly/3r67sfu
https://bit.ly/3F9Hf4U
https://bit.ly/34CICwj

चित्र संदर्भ:
1.औषधीय मशरूम उपचार यौगिकों की भारी खुराक ले जाने के लिए अपना नाम बना रहे हैं(youtube)
2.औषधीय मशरूम का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा के रूप में किया गया है और यह निर्धारित करने के लिए कभी भी गंभीर रूप से अध्ययन नहीं किया गया है कि क्या वास्तव में बीमारियों का इलाज किया जा सकता है(youtube)


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