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2018 में, भारत में 3 बिलियन डॉलर की फल और सब्जियां आयात की गयी, जबकि 2019
में यह आंकड़ा गिरकर 1.2 बिलियन डॉलर हो गया। भारत में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य वृद्धि की
आपूर्ति अंतर्राष्ट्रीय खाद्य पदार्थों के घरेलू उत्पादन द्वारा की जा रही है, जो स्वयं 14-16
प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। भारत सरकार ने इस छोटे किंतु महत्वपूर्ण क्षेत्र को बढ़ावा देने
के लिए स्थानीय किसानों को विदेशी खाद्य सामग्री के बीज और पौधे उपलब्ध कराने की
घोषणा की। हाल ही में केन्द्र सरकार ने 10 विश्व स्तर पर लोकप्रिय विदेशी फल और उच्च
पोषण गुणों वाली 10 स्वदेशी फलों की पहचान की, जिसमें ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) और
एवोकैडो (avocado) भी शामिल हैं। इन फसलों ने 2020-21 में 331 मिलियन टन का
रिकॉर्ड बनाया जो कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 10.6 (3.3%) मिलियन टन
अधिक था। राज्य के बागवानी विभागों को वर्ष 2021-22 के लिए इन फसलों के क्षेत्र
विस्तार के लक्ष्य दिए गए हैं।
एवोकैडो मूलत: मध्य अमेरिका (Central America) का फल है जो आज दुनिया भर में
लोकप्रियता हासिल कर चुका है। दुनिया में इसके शीर्ष उत्पादक देश मेक्सिको (Mexico),
डोमिनिकन गणराज्य (Dominican Republic) और पेरू (Peru) हैं।हालांकि 2019 में एक
रिपोर्ट के अनुसार भारत में इसकी मांग बढ़ रही है किंतु इसे अभी वाणिज्यिक रूप से उगाना
प्रारंभ नहीं किया गया है। विदेशों से आयात करके मांग की आपूर्ति की जाती है।हाल ही के
आंकड़ों से पता चला है कि भारत सालाना 1000 टन एवोकाडो का आयात करता है, इसकी
मांग को स्थानीय उपज द्वारा आसानी से पूरा किया जा सकता है यदि किसान इसे बड़े
पैमाने पर लेते हैं।
चूंकि यह किस्म भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्वदेशी नहीं है, इसलिए पौधों के विस्तार
हेतु बीजों का उपयोग किया जाता है। यह बीज एक परिपक्व फल से प्राप्त होते हैं जो कि
रोपण हेतु लगभग 6-8 महीने में तैयार होते हैं। उत्पादन के समय इसमें समस्या शुरू होती
है क्योंकि यह किस्में देश में जीवित नहीं रह पाती हैं, शोधकर्ता अभी भी ऐसी किस्मों पर
काम कर रहे हैं जो देश की जलवायु के लिए बेहतर अनुकूल हो सकती हैं।भारतीय किसान
हाइड्रोपोनिक्स जैसी विदेशी तकनीकों को अपनाकर इसके उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, भारत
सरकार की मदद से इसके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
भारत में इसके उत्पादन में कमी का प्रमुख कारण किसानों, व्यापारियों और अनुसंधान
संस्थानों जैसे सभी हितधारकों द्वारा दिखाई गई उदासीनता रही है। कुछ किसानों की
शिकायत है कि हालांकि वे एवोकैडो उगाने में कामयाब होते हैं, लेकिन उन्हें पौधों को आयात
करना पड़ता है।भारत में इसके उत्पान में कमी का एक और कारण देरी से इसके आगमन
का है, इंडोनेशिया (Indonesia) जैसे देश जो एवोकैडो का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, को
18वीं शताब्दी के अंत में स्पेनिश (Spanish) खोजकर्ताओं के माध्यम से इस फल से
परिचित कराया गया था, जबकि भारत को 20वीं शताब्दी तक इस फल का कोई अनुभव
नहीं था। आज भारत एवोकैडो की खपत का पता लगाना शुरू कर रहा है और भारत के लिए
इन क्षेत्रों में आबादी के आधार पर, विस्तार और मांग में विकास के लिए बहुत बड़ा अवसर
है।
महामारी के दौरान लोगों ने एवोकाडो का उपभोग बढ़ा दिया। उद्योगिक अनुमानों के अनुसार
आने वाले समय में इसके आयात के आंकड़ों के मुताबिक, यूरोप (Europe) की खपत 12%
बढ़कर रिकॉर्ड 1.48 बिलियन पाउंड हो जाएगी, जबकि यू।एस। (U.S.) की मांग में 7% की
वृद्धि होगी। रैबोबैंक इंटरनेशनल (Rabobank International) के वरिष्ठ विश्लेषक डेविड
मगाना (David Magana) के अनुसार, वैश्विक एवोकैडो आयात का मूल्य पिछले एक दशक
में मुख्य फलों में सबसे तेजी से बढ़ा है।एवोकाडो को साल भर सुरक्षित रखने के लिए,
कैलिफोर्निया (California) स्थित कंपनी ग्वाटेमाला (Guatemala ) और पेरू (Peru) जैसे
देशों में निवेश कर रही है।
चीनी (Chinese) उपभोक्ता स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए इसकी ओर बहुत आकर्षित हो रहे
हैं। अभी, चीन (China) एवोकाडो को एक स्मूदी (smoothie) और बेबी-फूड (baby-food)
सामग्री के रूप में तैयार करने की सोच रहा है, जबकि अमेरिका एवोकैडो को टोस्ट (toast
) और गुआकामोल (guacamole) के रूप में देखता है, इसलिए आने वाले समय में जैसे-जैसे
इसका विस्तार होगा इसकी मांग में तीव्रता से वृद्धि होगी।कनाडा के लोग सालाना
लगभग 50 मिलियन एवोकाडो का सेवन कर रहे हैं। 2004 से 2013 तक कनाडा में
एवोकाडो का आयात 19 टन प्रति वर्ष से बढ़कर 57.5 टन हो गया। इसकी लोकप्रियता में के
पीछे प्रमुख कारण इसकी पर्याप्त उपलब्धता, रणनीतिक विपणन, मैक्सिकन भोजन की
लोकप्रियता में वृद्धि और वर्तमान स्वास्थ्य कल्याण प्रवृत्तियों का एक संयोजन है।
लंबे समय तक संयुक्त राज्य अमेरिका में उपभोग किए जाने वाले अधिकांश एवोकाडो
कैलिफोर्निया में उगाए जा रहे थे। यद्यपि मेक्सिको विश्व स्तर पर सबसे बड़ा एवोकैडो
उत्पादक था, मेक्सिको से यहां आयात प्रतिबंधित था। कैलिफ़ोर्निया में एवोकाडो को साल भर
नहीं उगाया जा सकता था और पश्चिमी तट के बाहर इसे ताज़ा भी नहीं बेचा जा सकता
था।1990 के दशक के अंत में आयात प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटा दिया गया, जिससे संयुक्त
राज्य में आयात में वृद्धि हुई। आज, संयुक्त राज्य अमेरिका में 90 प्रतिशत एवोकाडो
मेक्सिको से आते हैं; कनाडा में, यह 95 प्रतिशत से अधिक है। संयुक्त राज्य अमेरिका में
लगभग 10 प्रतिशत रेस्तरां अब मैक्सिकन रेस्तरां (Mexican restaurant) हैं।
हाल के वर्षों में लोगों की स्वस्थ खाने की प्रवृत्ति ने भी एवोकाडो की खपत को बढ़ाने में
मदद की है। एवोकैडो "अच्छी वसा" (मोनोअनसैचुरेटेड वसा (monounsaturated fat), जो
मुख्यत: शरीर में स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) के स्तर को बनाए रखने में मदद करता
है) के मुख्य स्रोत के रूप में जाना जाता है। ये मैग्नीशियम (Magnesium), पोटेशियम
(Potassium), फोलिक एसिड (Folic Acid), विटामिन सी (Vitamin C) और विटामिन ई
(Vitamin E) जैसे अन्य पोषक तत्वों से भरपुर होते हैं और इसमें उच्च फाइबर होते हैं।
इनकी वसा सामग्री के कारण, इन्हें कम मात्रा में खाया जाना चाहिए - एक दिन में एक
एवोकैडो की सलाह डॉक्टर देते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3GAbC54
https://bit.ly/3slch5l
https://bit.ly/3gpM287
https://bit.ly/3GtOBAD
चित्र संदर्भ
1. प्लेट में रखे एवोकैडो (avocado) को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. अंकुरित युवा एवोकैडो पोंधे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एवोकैडो (avocado) पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. टोफू और एवोकैडो सलाद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. चॉकलेट सिरप के साथ इंडोनेशियाई शैली का एवोकैडो मिल्कशेक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)