दीवारों पर चित्रकला अर्थात भित्तिचित्रों का सफर

जौनपुर

 29-10-2021 06:56 PM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

आपने यह तो अवश्य सुना होगा की "दीवारों के कान होते हैं"। हालांकि इस बात में कितनी प्रमाणिकता है, यह तो नहीं कहा जा सकता किंतु यह अवश्य साबित किया जा सकता है की "दीवारों की अपनी एक जुबान अथवा भाषा" भी होती है, जिसके माध्यम से वे किसी एक पीढ़ी के संदेश दूसरी पीढ़ी को संप्रेषति करती हैं। इस मूक भाषा को हम "भित्ति चित्र (Murals)" के नाम से संबोधित करते हैं।
दीवारों पर की जाने वाली चित्रकारी को भित्तिचित्र कहा जाता है। भित्तिचित्र कला (Mural) को चित्रकारी की सबसे पुरानी चित्रकला माना जाता है। प्रागैतिहासिक युग के ऐतिहासिक रिकॉर्ड में मिट्टी के बर्तनों के निर्माण के कुछ समय बाद लोग, मिट्टी का प्रयोग दीवारों पर चित्र बनाने के लिये करने लगे। भित्तिचित्र शब्द इतालवी भाषा से आया है और "भित्तिचित्र" का शाब्दिक अर्थ "खरोंच" होता है। प्राचीनतम भित्तिचित्र लिखित भाषा के विकास से पहले बनाए गए थे। अर्जेंटीना के सांताक्रूज (Santacruz, Argentina) में स्थित "क्यूवा डे लास मानोस (Cueva de las Manos)" (हाथों की गुफा), प्राचीनतम आकर्षक प्राचीन भित्तिचित्रों में से एक है। यह भित्ति पेंटिंग 13,000 से 9,000 ईसा पूर्व की है। प्राचीन यूनानी शहर इफिसुस (आधुनिक तुर्की में स्थित) में "आधुनिक शैली" भित्तिचित्र का पहला ज्ञात उदाहरण प्राप्त होता है। इसमें एक पैर, एक हाथ, एक दिल और एक संख्या का चित्र शामिल है, स्थानीय गाइड के अनुसार यह तत्कालीन वेश्यावृत्ति का विज्ञापन है। प्राचीन रोमवासियों ने भी दीवारों और स्मारकों पर भित्तिचित्रों को उकेरा था। रोम, इटली के पास स्थित एक कमरे की दीवार पर अलेक्सामेनोस भित्तिचित्र, 200 ईस्वी के आसपास बनाया गया था और यह ईसा मसीह की सबसे पुरानी ज्ञात छवि भी है। भारतीय भित्ति चित्रों का इतिहास दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 8वीं - 10वीं शताब्दी ईस्वी तक प्राचीन और प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में शुरू होता है। पूरे भारत में लगभग 20 से अधिक ऐसे स्थान ज्ञात हैं जिनमें इस अवधि के भित्ति चित्र मौजूद हैं। भित्ति चित्र मुख्य रूप से प्राकृतिक गुफाओं और रॉक-कट कक्षों में बनाए गए हैं। इनमें अजंता की गुफाएं, बाग, सिट्टानवसल, अरमामलाई गुफा (तमिलनाडु), एलोरा गुफाओं में कैलासनाथ मंदिर, रामगढ़ और सीताबिनजी शामिल हैं। इस अवधि के भित्ति चित्र मुख्य रूप से बौद्ध, जैन और हिंदू धर्मों के धार्मिक विषयों को दर्शाते हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी ज्ञात चित्रित गुफा और रंगमंच शामिल जैसे जोगीमारा और सीताबेंगा गुफाओं जैसे कुछ स्थानों में पेंटिंग धर्मनिरपेक्ष थीं। भारत विश्व की महानतम चित्रकारी की परंपराओं में से एक है। हमारे द्वारा प्राचीन समय में ही चित्रकारी में उच्च स्तर की तकनीकी उत्कृष्टता हासिल कर ली गई थी। जिसके कुछ बेहतरीन उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
1.अजंता भित्तिचित्र :अजंता भित्तिचित्र (चट्टानों या गुफाओं जैसे ठोस पदार्थों पर उकेरी गई पेंटिंग), भारत के सबसे पुराने चित्रों में से हैं। अजंता चित्रों की रचना दो चरणों में की गई थी, प्रारंभिक चित्रों को दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में विकसित किया गया था, जबकि दूसरा चरण 5 वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास शुरू हुआ था। यह गुफा चित्रकारी मुख्य रूप से बुद्ध और जातकों के जीवन पर केंद्रित है, जिसमें कलाकारों द्वारा उकेरी गई सुंदरता और कोमलता का एक बड़ा हिस्सा है। इन अजंता चित्रों द्वारा विरासत में मिली चित्रकला की परंपरा को विष्णुधर्मोत्तारा पुराण के चित्रसूत्र के रूप में प्रलेखित किया गया था।
2.केरल भित्तिचित्र: केरल में चित्रकारी का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है, जिसमें विशेष रूप से भित्ति चित्र अर्थात दीवारों और पत्थरों पर की गई पेंटिंग शामिल हैं। केरल के सभी प्रमुख मंदिरों, महलों और चर्चों में ऐसे भित्ति चित्रों की सुंदर प्रदर्शनी स्थापित हैं। जानकारों के अनुसार केरल में दीवारों पर पेंटिंग की परंपरा इडुक्की जिले की अंजनाद घाटी में पाए जाने वाले प्रागैतिहासिक शैल चित्रों से शुरू हुई। पुरातत्वविदों के अनुसार ये चित्र ऊपरी पुरापाषाण काल ​​से लेकर प्रारंभिक ऐतिहासिक काल तक की अवधियों के हैं। वायनाड में एडक्कल और केरल में तिरुवनंतपुरम जिले के पेरुमकदविला में मेसोलिथिक काल के रॉक उत्कीर्णन के स्थल हैं।
3.बाग भित्तिचित्र: भारत में मध्य प्रदेश की बाग गुफाओं में मौजूद भित्तिचित्र बौद्ध वास्तुकला के सबसे प्रसिद्ध रूपों में से एक हैं। यह चित्रकारी अपनी स्थापत्य शैली के आधार पर 7वीं शताब्दी की मानी जाती हैं। मूल रूप से ये नौ गुफाएं थीं, किन्तु उनमें से केवल पांच ही समय की कसौटी पर खरी उतर सकीं अर्थात सुरक्षित रह सकी।
4. एलोरा में कैलासनाथ मंदिर: एलोरा में कैलासनाथ मंदिर 8 वीं शताब्दी के राष्ट्रकूट शासक कृष्ण के काल का माना जाता है। यह दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित एक विशाल रॉक कट अखंड मंदिर है। मंदिर अपनी स्थापत्य भव्यता और भित्तिचित्रों के साथ-साथ अपने मूर्तिकला वैभव के लिए जाना जाता है। भित्ति चित्रकला का चलन आज भी लोकप्रिय है, किन्तु आज यह अपना रूप पूरी तरह से बदल चुका है। आज दीवारों पर स्प्रे के जरिये चित्रकारी की जाती हैं और यह चित्रकला अनेक उद्द्येश्यों की पूर्ति करती है। हालांकि आधुनिक भित्ति चित्रकला का प्रचलन पश्चिमी देशों में अधिक था, किन्तु पिछले एक दशक से भी कम समय से हमारे देश में भी में स्ट्रीट आर्ट एक रोष का विषय बन गया है। भित्तिचित्र कलाकारों की संख्या में एक विस्फोट हुआ है, जिनमें से अधिकांश ने स्थापित पश्चिमी समकक्षों का अनुसरण किया है। भारत में आज भित्तिचित्र न केवल लोकप्रिय हो गए हैं , बल्कि एक संपन्न पेशा भी बन गया है। भित्ति चित्रों के माध्यम से अपनी भावनाओं और आक्रोश और किसी घटना को सम्प्रेषित करना बेहद आसान है। जिस कारण भारत में 'स्ट्रीट आर्ट' के रूप ने अपार लोकप्रियता हासिल की है, उदाहरण के लिए, बेंगलुरु के दृश्य कलाकार शीलो शिव सुलेमान, भित्ति चित्र और स्ट्रीट आर्ट बनाते हैं जो महिलाओं के मुद्दों को बढ़ावा देते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3jFMAJ1
https://bit.ly/3CpFgIS
https://bit.ly/3mlwpTb
https://bit.ly/3vZPpda
https://bit.ly/3Emhga9

चित्र संदर्भ
1.अजंता गुफाओं में जातक कथाओं को संदर्भित करता 7वीं शताब्दी ई. का एक भित्ति चित्र (wikimedia)
2. अर्जेंटीना के सांताक्रूज (Santacruz, Argentina) में स्थित क्यूवा डे लास मानोस (Cueva de lasManos) (हाथों की गुफा), प्राचीनतम आकर्षक प्राचीन भित्तिचित्रों में से एक चित्रण (wikimedia)
3. अजंता भित्तिचित्र (चट्टानों या गुफाओं जैसे ठोस पदार्थों पर उकेरी गई पेंटिंग), भारत के सबसे पुराने चित्रों में से हैं, जिनको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारत में मध्य प्रदेश की बाग गुफाओं में मौजूद भित्तिचित्र (wikimedia)
5. आधुनिक भित्तिचित्र (flickr)
 



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id