भारतीय मध्यपाषाण काल, मानव विकास में गुफा चित्रों का महत्व

रामपुर

 28-05-2021 08:08 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

पाषाणयुग में मनुष्य स्वयं को वर्षा, बिजली, ठंड और चमचमाती गर्मी से बचाने के लिए गुफाओं में निवास करते थे। विश्व भर के वैज्ञानिकों द्वारा सदियों से इन गुफाओं से प्राचीन मानव के इतिहास के बारे में जानकारी खोजने का प्रयास किया जा रहा है और वे कुछ हद तक इस प्रयास में सफल भी हुए हैं।गुफा चित्रकला को मानव के द्वारा पशु की सुंदरता की प्रशंसा और जीवन के लिए एक रहस्यवादी या अलौकिक पहलू का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली अभिव्यक्तियों में से एक माना जाता है। दुनिया भर में चट्टानों पर प्रागैतिहासिक कला दीर्घा में जीवंत रंग और आकर्षक बनावट में जानवरों की सैकड़ों छवियां देखी जा सकती हैं। फ्रांस और स्पेन में इसके कई उदाहरण देखें जा सकते हैं।
बीसवीं शताब्दी के दौरान, वैज्ञानिकों ने पश्चिमी यूरोप (Europe) में कई शैलचित्रों की खोज की थी और आज तक हमारे समक्ष अलंकृत स्थलों की ज्ञात संख्या लगभग 400 है, जिनमें से कई फ्रांस (France) और स्पेन (Spain) के पहाड़ों में केंद्रित हैं।हाल ही में किए गए कुछ अनवेषण को देखें तो,2019 में इंडोनेशिया (Indonesia) में गुफा कला का रहस्योद्घाटन किया गया था, ऐसा माना जाता है कि ये गुफा कला कम से कम 36,000 वर्ष पुरानी है और इसने प्रारंभिक मनुष्यों के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। क्योंकि इंडोनेशिया में पाई जाने वाली गुफा कला पश्चिमी यूरोप में पाई गई गुफा कला के साथ समानताएं साझा करती है,कई वैज्ञानिकों का मानना है कि गुफा में अलंकृत गुफा चित्र का कार्य इतना प्रभावशाली है कि वे इस बात को प्रमाणित करते हैं कि मानव मस्तिष्क एक ही समय में दुनिया के विभिन्न और दूर के हिस्सों में कैसे एक समान विकसित हुए।
इंडोनेशिया में पाई जाने वाली गुफा कला को मध्यपाषाण युग के समय का माना जा रहा है, दरसल मध्य पाषाण युगपाषाण युग का दूसरा भाग था। मध्य पाषाण युग मनुष्य के विकास का वह अध्याय है, जो पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के मध्य में आता है। भारत में यह युग 9,000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व तक रहा, और इस युग में माइक्रोलिथ्स (Microliths - छोटे धार वाले पत्थर के औजार) की उपस्थिति की विशेषता भी दर्ज की गई है।इस युग के लोग शिकार, मछली पकड़ने और भोजन एकत्र करके अपना जीवन यापन करते थे; हालांकि बाद में उन्होंने पालतू जानवरों को भी अपनी आवश्यकता अनुसार पालना शुरू कर दिया था। इंडोनेशिया में पाई जाने वाली शैलचित्र में भी कई जानवरों के चित्र देखने को मिले हैं। कई शैलचित्रों में लाल और काले रंग के रंग काफी आम हैं, और यह माना जाता है कि लाल रंग को गेरू रंग से प्राप्त किया गया होगा।लाल गेरू, जिसे हेमटिट (Hematite) या आयरन ऑक्साइड (Iron oxide - एक रासायनिक यौगिक जिसे Fe203 के रूप में जाना जाता है) के रूप में भी जाना जाता है, शैलचित्रों से जुड़ा सबसे आम और व्यापक रंग है।गुफा कला बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक और आम उपकरण कोयला भी है, फ्रांस (France) में चौवेट पोंट डी-आर्क (Chauvet Pont d-Arc) गुफा (जहां यूरोप में सबसे पुरानी ज्ञात गुफा चित्र स्थित हैं) में दिखाई देने वाले कई चित्रों में कोयले का इस्तेमाल किया गया है।
भारत के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाए गए दमदमा और भीमबेटका शैलाश्रय मध्यपाषाण काल के सबसे महत्वपूर्ण स्थल हैं।वे भारतीय उपमहाद्वीप पर प्रारंभिक मानव जीवन के निशान प्रदर्शित करते हैं।
भीमबेटका भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है और इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में रखा गया है, यहाँ सात पहाड़ियाँ और 750 से अधिक शैलाश्रय हैं जो 10 किमी में फैले हुए हैं। ऐसा अनुमान है कि यहाँ मौजूद आश्रय स्थल 100,000 साल से भी पहले बसे हुए थे।भीमबेटका के कुछ शैलाश्रयों में लगभग 10,000 वर्ष पुराने प्रागैतिहासिक शैलचित्र भी देखने को मिलते हैं,जो भारतीय मध्यपाषाण काल के अनुरूप हैं।ये शैलचित्र जानवरों, नृत्य और शिकार के प्रारंभिक साक्ष्य जैसे विषयों को दर्शाते हैं और इन शैल चित्रों में गहरे लाल, हरे, सफेद और पीले रंग का प्रयोग किया गया है।
वहीं आदमगढ़ शैलाश्रय से गैंडे के शिकार के दृश्य से पता चलता है कि मनुष्य बड़ा समूह बनाकर बड़े जानवरों का शिकार करते थे। भारत में मध्यपाषाण काल के विभिन्न स्थल गुजरात में लंघनाज, राजस्थान में बागोर, सराय नाहर राय, चोपानीमांडो, महदाहा, और उत्तर प्रदेश में दमदमा, मध्य प्रदेश में भीमबेटका और आदमगढ़, उड़ीसा, केरल और आंध्र प्रदेश में स्थित हैं। राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में स्थलों के निवासी समुदाय शिकारी, भोजन-संग्रहकर्ता और मछुआरे हुआ करते थे।हालाँकि, इन स्थलों पर कुछ कृषि पद्धतियों का भी प्रमाण मिलता है।राजस्थान में बागोर और गुजरात में लंघनाज के स्थल स्पष्ट करते हैं कि ये मध्यपाषाण समुदाय हड़प्पा और अन्य ताम्रपाषाण संस्कृतियों के लोगों के संपर्क में थे और एक दूसरे के साथ विभिन्न वस्तुओं का व्यापार करते थे।हालांकि, पूर्ववर्ती ऊपरी पुरापाषाण काल और बाद के नवपाषाण काल की तुलना में, मध्यपाषाण काल से अपेक्षाकृत कम जीवित कला हमारे समक्ष मौजूद है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/34kBTnf
https://bit.ly/3oShFe0
https://bit.ly/3bR1Uij
https://bit.ly/3bX1AOT
https://bit.ly/2RMN6dG
https://bit.ly/2RHd6r0

चित्र संदर्भ
1. भीमबेटका रॉक शेल्टर मध्य भारत में एक पुरातात्विक स्थल है जो प्रागैतिहासिक पुरापाषाण और मध्य पाषाण काल तक फैला हुआ है जिसका एक चित्रण (wikimedia)
2. एलोरा की गुफाओं में कला का एक चित्रण (wikimedia)
3. भीमबेटका रॉक  का एक चित्रण (wikimedia)


RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id