व्यापार की शुरुआत से, भारत में स्थापित पुर्तगाली, डच व् फ्रांसीसी औपनिवेशिक शक्तियों का इतिहास

मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक
15-08-2022 02:48 AM
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व्यापार की शुरुआत से, भारत में स्थापित पुर्तगाली, डच व् फ्रांसीसी औपनिवेशिक शक्तियों का इतिहास

आज भारत ब्रिटिश शासन से अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर चुका है, किंतु इसने कई यूरोपीय देशों का अतिक्रमण देखा है। भारत प्राचीन और मध्यकालीन युग में कई यूरोपीय (European) देशों के लिए एक प्रमुख व्यापारिक गंतव्य रहा है, जो देखते ही देखते औपनिवेश में परिवर्तित हो गया है।
अंग्रेज ही एकमात्र ऐसे यूरोपीय नहीं थे, जो भारत आए और यहां बस गए,बल्कि पुर्तगालियों ने नेविगेशन (navigation) में अपने विकास के साथ सबसे पहले भारत के लिए समुद्री मार्ग खोजा। अंवेषण के यूरोपीय युग की शुरुआत पुर्तगाली नाविकों के साथ हुई, जहां प्रिंस हेनरी द नेविगेटर (Prince Henry the Navigator) ने पुर्तगाल में एक मेरीटाइम (Maritime) स्कूल शुरू किया। इस तकनीकी और वैज्ञानिक खोजों के परिणामस्वरूप पुर्तगाल ने कारवेल (Caravel), कैरैक (Carrack) और गैलियन (Galleon) समेत सबसे उन्नत जहाजों को विकसित किया, जिससे इतिहास में पहली बार समुद्री नौवहन संभव हुआ। तो आइए आज भारत में स्थापित होने वाली फ्रेंच, डच और पुर्तगाली औपनिवेशिक शक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें तथा इन साम्राज्यों की जनसांख्यिकी को समझें। भारत आने वाले सबसे पहले यूरोपीय पुर्तगाली थे। पुर्तगाली साम्राज्य 15वीं शताब्दी से स्थापित हुआ था, जो अंततः अमेरिका से लेकर जापान तक फैला। पुर्तगालियों ने अपने साम्राज्य की शुरुआत मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीका (Africa) के सोने और फिर पूर्वी मसाले के व्यापार तक पहुंच के लिए की थी। इसके अलावा, उनको यह लगता था कि एशिया में ईसाई राज्य हो सकते हैं जो इस्लामी खलीफाओं के साथ ईसाई धर्म की चल रही लड़ाई में उपयोगी सहयोगी बन सकते हैं। पुर्तगाली साम्राज्य के सबसे महत्वपूर्ण उपनिवेशों में मदेरा (Madeira,स्थापना- 1420),अज़ोरेस (Azores - 1439),केप वर्डे (Cape Verde - 1462), साओ टोमे और प्रिंसिपे (São Tomé and Principe - 1486),पुर्तगाली कोचीन (Portuguese Cochin - 1503),पुर्तगाली मोज़ाम्बिक(Mozambique - 1506),पुर्तगाली गोवा(Goa - 1510),पुर्तगाली मलक्का (Malacca - 1511),पुर्तगाली होर्मुज (Hormuz- 1515),पुर्तगाली कोलंबो(Colombo - 1518),पुर्तगाली ब्राज़ील(Brazil - 1532),पुर्तगाली मकाओ (Macao - 1557),पुर्तगाली नागासाकी (Nagasaki - 1571) और पुर्तगाली अंगोला(Angola - 1571) हैं।
पुर्तगाली औपनिवेशिक साम्राज्य से अलग होने वाला अंतिम देश मकाओ (Macao) था।20 दिसंबर, 1999 को पुर्तगाल ने अपने विशाल विदेशी साम्राज्य से इस अंतिम उपनिवेश को रिहा कर दिया था। मकाओ जो एशिया की सबसे लंबी स्थायी यूरोपीय बस्ती थी, पुर्तगाली शासन के 442 वर्षों के बाद चीन (China) में वापस जा कर मिली। भारत आने वाले दूसरे यूरोपी डच थे। हॉलैंड (Holland), जिसे नीदरलैंड (Netherland) के नाम से जाना जाता है, के लोगों को डच कहा जाता है। ऐतिहासिक रूप से डच समुद्री व्यापारके विशेषज्ञ रहे हैं। 1602 में नीदरलैंड की यूनाइटेड ईस्ट इंडिया (United East India Company) कंपनी का गठन किया गया और भारत सहित ईस्ट इंडीज में व्यापार करने के लिए डच सरकार द्वारा अनुमति दी गई। पुर्तगालियों की तरह डचों द्वारा भी कई उपनिवेश स्थापित किए गए थे।
पूर्व डच औपनिवेशिक अधिकृत क्षेत्रों में कंपनी के शासन के साथ डच ईस्ट इंडीज (1603-1949), और डच न्यू गिनी (New Guinea - 1962 तक), डच भारत(1605-1825), डच गोल्ड कोस्ट (Gold Coast - 1612-1872),न्यू नीदरलैंड्स(1614- 1667, 1673-1674),डच गुयानास (Guianas - 1616-1975),डच फॉर्मोसा (Formosa - 1624-1662), और कीलुंग (Keelung) (फोर्ट नोर्ड-हॉलैंड - Fort Nord-Holland - 1663-1668),डच वर्जिन आइलैंड्स (Virgin Islands - 1625-1680),डच बंगाल (Bengal - 1627-1825),डच ब्राज़ील (Brazil - 1630-1654),डच मॉरीशस (Mauritius - 1638-1710),डच सीलोन (Ceylon - 1640-1796),डच मलक्का (Malacca - 1641- 1795, 1818-1825),डच केप कॉलोनी (Cape Colony - 1652-1806),डच मालाबार (Malabar - 1665-1795),डच सूरीनाम (Suriname - 1667-1954),न्यू हॉलैंड (1674- 1678) शामिल हैं। हालाँकि अधिकांश उपनिवेशों ने तब से डचों से स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है, लेकिन कुराकाओ (Curacao), बोनेयर (Bonaire) और अरूबा (Aruba) जैसे कुछ पूर्व उपनिवेशों ने नीदरलैंड के राज्य में अपनी सदस्यता बनाए रखने का विकल्प चुना। भारत आने वाले अगले यूरोपीय लोग फ्रांसीसी (French) थे। भारत के साथ व्यापार करने के लिए राजा लुईस XIV (Louis XIV) के शासनकाल के दौरान 1664 ईस्वी में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन किया गया था। 1668 ईस्वी में फ्रांसीसियों ने सूरत में अपना पहला कारखाना स्थापित किया और 1669 ईस्वी में मसौलिपट्टम में एक और फ्रांसीसी कारखाना स्थापित किया गया। 1673 में बंगाल के मुगल सूबेदार ने फ्रांसीसियों को चंद्रनगर (Chandernagore) में एक बस्ती बसाने की अनुमति दी।
27 लाख यूरोपीय (फ्रांसीसी और गैर-फ्रांसीसी नागरिक) और आत्मसात मूल निवासी (Assimilated natives) (गैर-यूरोपीय फ्रांसीसी नागरिक) 1936 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक साम्राज्य में रहते थे, इसके अलावा 664 लाख गैर-आत्मसात मूल निवासी थे, अधिकांश यूरोपीय उत्तरी अफ्रीका में रहते थे।19वीं और 20वीं शताब्दी के बीच, फ्रांस ने लगभग 4,980,000 वर्ग मील में फैले उपनिवेशों पर शासन किया। 1920 और 1930 के दशक के बीच फ्रांसीसी उपनिवेशों की अनुमानित आबादी लगभग 110 मिलियन थी, जो ब्रिटिश भारत की आबादी का आधा हिस्सा थी। स्पेनिश (Spanish) और पुर्तगालियों द्वारा सफलतापूर्वक उपनिवेश स्थापित करने के बाद पहले फ्रांसीसी उपनिवेश उत्तरी अमेरिका, भारत और कैरिबियन (Caribbean) में थे।फ्रांस द्वारा उपनिवेशित अन्य अफ्रीकी देशों में गाम्बिया (Gambia), चाड (Chad), माली (Mali), टोगो (Togo), सूडान (Sudan), गैबॉन (Gabon), ट्यूनीशिया (Tunisia), नाइजर (Niger), कांगो गणराज्य (Republic of Congo), कैमरून (Cameroon) और कई अन्य देश शामिल हैं। पूरे अफ्रीका में फ्रांस का आखिरी उपनिवेश फ्रांसीसी सोमालीलैंड (Somaliland), जिसे बाद में अफ़ार (Afars) और इस्सास (Issas) का फ्रांसीसी क्षेत्र कहा गया, को फ्रांस का आखिरी उपनिवेश माना जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3zKyu0c
https://bit.ly/3zP0Wy5
https://bit.ly/3bLzedP
https://bit.ly/2ksSKgD
https://bit.ly/3AhjnwZ
https://bit.ly/3Qjvu1X
https://bit.ly/3w28CMp
https://bit.ly/3QnogtO

चित्र संदर्भ
1. महाराजा फ़तेह बहादुर शाही के दरबार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. पिथ हेलमेट, उष्णकटिबंधीय भूमि में उपनिवेशवाद का प्रतीक। इसका उपयोग मेडागास्कर साम्राज्य द्वारा किया गया था, जो दूसरे फ्रांसीसी औपनिवेशिक साम्राज्य द्वारा उपयोग किए गए लोगों से प्रेरित था। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक पुंका वाहक। भारत की वेशभूषा। दिनांक: 1796-1845। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वीओसी जहाज डुयफकेन की प्रतिकृति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ईस्ट इंडिया कंपनी के यूस्टाचियस डी लैनॉय ने कोलाचेल की लड़ाई के बाद त्रावणकोर के भारतीय साम्राज्य के महाराजा मार्तंड वर्मा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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