क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है?

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क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है?

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity rover) ने हाल ही में एक डेटा भेजा है जिसने मंगल ग्रह पर पेचीदा कार्बन हस्ताक्षर दिखाए हैं। कार्बन का यह प्रकार पृथ्वी पर जैविक प्रक्रियाओं से जुड़ा है। क्यूरियोसिटी वैज्ञानिक असामान्य कार्बन संकेतों के लिए कई स्पष्टीकरण प्रदान करते हैं।नासा (NASA's - National Aeronautics and Space Administration) के क्यूरियोसिटी रोवर द्वारा मंगल की सतह से एकत्र किए गए पाउडर रॉक नमूनों का विश्लेषण करने के बाद,वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि कई नमूने एक प्रकार के कार्बन से समृद्ध हैं जो पृथ्वी पर जैविक प्रक्रियाओं से जुड़ा है।जबकि यह खोज पेचीदा है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन की ओर इशारा करता हो,क्योंकि वैज्ञानिकों को अभी तक वहां प्राचीन या वर्तमान जीव विज्ञान के वे निर्णायक सहायक प्रमाण नहीं मिले हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हों।जैसे प्राचीन बैक्टीरिया द्वारा निर्मित तलछटी चट्टानें, याजटिल कार्बनिक अणुओं की विविधता।मंगल ग्रह पर ऐसी कई चीजें ढूंढी जा रही हैं,जो दिलचस्प हैं, लेकिन वास्तव में यह कहने के लिए कि वहां पर जीवन है, और सबूतों की आवश्यकता है।किंतु एक प्रश्न यह भी उठता है कि,अगर मंगल ग्रह पर जीवन संभव नहीं है, तो कार्बन हस्ताक्षर के अन्य क्या कारण हो सकते हैं?वैज्ञानिकों ने इसके बारे में कई स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए हैं।उनकी परिकल्पना आंशिक रूप से पृथ्वी पर मौजूद कार्बन हस्ताक्षरों से ली गई है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है, कि ये दोनों ग्रह इतने अलग हैं कि पृथ्वी के उदाहरणों के आधार पर निश्चित निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।क्यूरियोसिटी वैज्ञानिकों ने अपने पेपर में जो जैविक व्याख्या दी है, वह पृथ्वी के जीवन से प्रेरित हैं।इसमें पृथ्वी की सतह में मौजूद प्राचीन बैक्टीरिया शामिल हैं जो एक अद्वितीय कार्बन हस्ताक्षर उत्पन्न करते थे,क्योंकि उन्होंने वातावरण में मीथेन (Methane) उत्सर्जित किया, जिसे पराबैंगनी प्रकाश ने बड़े, अधिक जटिल अणुओं में परिवर्तित कर दिया। ये नए अणु सतह पर बरसे होंगे और अब उन्हें मंगल की चट्टानों में अपने विशिष्ट कार्बन हस्ताक्षर के साथ संरक्षित किया गया है। जबकि अन्य परिकल्पनाएं गैर-जैविक स्पष्टीकरण प्रदान करती हैं। एक परिकल्पना के अनुसार कार्बन हस्ताक्षर मंगल ग्रह के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के साथ पराबैंगनी प्रकाश की परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप हो सकता है, जिससे नए कार्बन युक्त अणुओं का निर्माण हुआ जो सतह पर जम गये। जबकि अन्य परिकल्पना के अनुसार जब सौर मंडल एक ऐसे विशाल आणविक बादल से होकर गुजरा जो एक प्रकार के कार्बन से समृद्ध था, तब कार्बन लाखों साल पहले हुई इस दुर्लभ घटना के कारण वहां रह गया होगा।मंगल ग्रह की सतह में कार्बन का विश्लेषण करने के लिए एसएएम (SAM - Safety Administration Management System) प्रयोगशाला के अंदर ट्यूनेबल लेजर स्पेक्ट्रोमीटर (Tunable Laser Spectrometer) उपकरण का इस्तेमाल किया गया था।कार्बन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तत्व पृथ्वी पर सभी जीवन में पाया जाता है।मंगल ग्रह पर, क्यूरियोसिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके लगभग आधे नमूनों में आश्चर्यजनक रूप से बड़ी मात्रा में कार्बन-12मौजूद था, जो वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के वातावरण और उल्कापिंडों में मापा है।मंगल एक अद्वितीय ग्रह है,क्योंकि इसकी शुरुआत 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी की तुलना में कार्बन समस्थानिकों के एक अलग मिश्रण से हुई। मंगल छोटा है, ठंडा है, और यहां गुरुत्वाकर्षण बहुत कमजोर है।इसके वातावरण में विभिन्न गैसें हैं। इसके अतिरिक्त, मंगल ग्रह पर कार्बन का चक्रण बिना किसी जीवन को शामिल किए हो सकता है।क्यूरियोसिटी वैज्ञानिक कार्बन समस्थानिकों को मापना जारी रखेंगे,यह देखने के लिए किजब रोवर अन्य साइटों पर जाता है (जहां प्राचीन सतह अच्छी तरह से संरक्षित हो सकती है), तब क्या एक समान हस्ताक्षर मिलता है।लेकिन यह भी सम्भव हो सकता है कि बुद्धिमान जीवन-रूप ब्रह्मांड में कहीं और ग्रहों में हो।गणित और भौतिकी इस संभावित निष्कर्ष की ओर इशारा करते हैं।अंतरराष्ट्रीय डार्क एनर्जी सर्वे सहयोग (International Dark Energy Survey collaboration) करोड़ों आकाशगंगाओं का मानचित्रण कर रहा है, हजारों सुपरनोवा (Supernovae) का पता लगा रहा है, और ब्रह्मांडीयसंरचना के पैटर्न ढूंढ रहा है जो हमारे ब्रह्मांड के विस्तार को तेज करने वाली डार्क एनर्जी की प्रकृति को प्रदर्शित करता है। इसी बीच लीगेसी सर्वे ऑफ स्पेस एंड टाइम (Legacy Survey of Space andTime) द्वारा आकाशगंगा में 20 अरब सितारों के खरबों अवलोकन किये जाएंगे।एस्ट्रोबायोलॉजी (Astrobiology) के वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि साधारण जीवन, जिसमें व्यक्तिगत कोशिकाएं, या छोटे बहुकोशिकीय जीव शामिल है,ब्रह्मांड में सर्वव्यापी हैं। यह शायद हमारे अपने सौर मंडल में कई बार हुआ है।लेकिन मानवीय, तकनीकी रूप से उन्नत जीवन-रूपों की उपस्थिति को साबित करना बहुत कठिन प्रस्ताव है।यह सब सौर ऊर्जा के कारण है। पृथ्वी पर पहला साधारण जीवन संभवतः पानी के भीतर और ऑक्सीजन और प्रकाश की अनुपस्थिति में शुरू हुआ,ऐसी स्थितियाँ जिन्हें हासिल करना इतना मुश्किल नहीं है। लेकिन जिस चीज ने पृथ्वी पर उन्नत, जटिल जीवन के विकास को संभव बनाया, वह थी प्रकाश संश्लेषण हेतु सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा के लिए इसका अनुकूलन। प्रकाश संश्लेषण ने प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन का निर्माण किया, जिस पर उच्च जीवन-रूप निर्भर करता है।अधिकांश ग्रहों पर, वायुमंडल मोटे होते हैं, सतह पर पहुंचने से पहले प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं - जैसे शुक्र पर।पृथ्वी अपने पतले वातावरण को बनाए रखती है,क्योंकि यह तेजी से घूमती है और इसमें एक तरल लौह कोर होता है, जो मजबूत और सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र की परिस्थितियों के लिए उत्तरदायी है।यह मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere)पृथ्वी और उसके वायुमंडल पर मौजूद सभी जीवन को हानिकारक सौर हवाओं और सौर विकिरण के संक्षारक प्रभावों से बचाता है। ब्रह्मांड में कहीं और विकसित होने वाले बुद्धिमान जीवन-रूपों की एक उच्च सांख्यिकीय संभावना है, लेकिन बहुत कम संभावना है कि हम उनके साथ संवाद करने या बातचीत करने में सक्षम होंगे।ब्रह्मांड में बुद्धिमान जीवन का अस्तित्व इस ग्रह पर अधिकांश अन्य मनुष्यों के लिए बहुत मायने रखता है,क्यों कि इंसान मूल रूप से सामाजिक प्राणी हैं जो आपसी सम्बंध के कारण फल-फूल रहा है और यदि अलगाव की स्थिति होती है, तो वह खुद को संकट में महसूस करता है।अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना गहरी बनी हुई है, भले ही हम उनसे संपर्क करने और उनके साथ बातचीत करने में सक्षम न हों। भले ही मंगल ग्रह पृथ्वी से अधिक ठंडा ग्रह है, तथा यहां के वायुमंडल में कोई ऑक्सीजन नहीं है, और इसकी सतह पर पानी बहुत कम है। लेकिन फिर भी आधी सदी से भी अधिक समय से खगोलविदों ने ग्रह पर मामूली मौसमी रंग भिन्नताओं को देखा है। ये भिन्नताएं स्पष्ट रूप से पानी की उपलब्धता से मिलती-जुलती हैं। इन्हें मंगल ग्रह पर पौधों के जीवन के प्रमाण के रूप में व्याख्यायित किया गया है।इसके अलावा, डब्ल्यूएम सिंटन (W. M. Sinton) द्वारा सीमांत स्पेक्ट्रोस्कोपिक (Spectroscopic) अवलोकनों से पता चलता है कि मंगल की सतह पर कार्बन- हाइड्रोजन (Carbon-hydrogen) बंध वाले अणु हो सकते हैं। कार्बन और हाइड्रोजन सभी स्थलीय जीवों के लिए मौलिक तत्व हैं, और उनका संयोजन रासायनिक बंधन प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड (Nucleic acids) और अन्य जैविक निर्माण ब्लॉकों की संरचना के लिए आवश्यक है। अकेले इस आकाशगंगा में ऐसे 100 मिलियन ग्रह हो सकते हैं, जिन पर कम से कम जैव रासायनिक रूप से हमारे जैसे जीव पनपते हैं। दूसरी ओर, प्राकृतिक चयन के कारण, इन जीवों को प्रत्येक के अपने पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिए। चूंकि पर्यावरण में मामूली अंतर भी अंततः जीवों की संरचना में अत्यधिक अंतर का कारण बनता है, इसलिए यह मानना गलत है, कि अलौकिक जीवन रूप हमारे समान हो। लेकिन यह माना जा सकता है, कि कोई जीवन वहां मौजूद है।

संदर्भ:
https://go.nasa.gov/3H990wl
https://bit.ly/3IwXfzJ
https://wapo.st/3nRoa1A
https://bit.ly/3AogJUm

चित्र संदर्भ   
1. मंगल पर अंतरिक्ष यात्री को दर्शाता एक चित्रण (brobible)
2. मंगल पर रोवर को दर्शाता एक चित्रण (time)
3. रमंगल की हाइपसोमेट्रिक विज़ुअलाइजेशन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. भारत के मंगल ऑर्बिटर मिशन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मंगल सूर्य से लगभग 230 मिलियन किमी (143 मिलियन मील) है; इसकी कक्षीय अवधि लाल रंग में चित्रित 687 (पृथ्वी) दिन है। पृथ्वी की कक्षा नीली है, जिसको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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