मुगल सम्राट अकबर द्वितीय के दरबार की हाथीदांत की प्रतिमा जर्मनी के संग्रहालय में देखी जा सकती है

म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण
08-12-2021 10:11 AM
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मुगल सम्राट अकबर द्वितीय के दरबार की हाथीदांत की प्रतिमा जर्मनी के संग्रहालय में देखी जा सकती है

भारत के उन्नीसवीं मुगल सम्राट, अकबर द्वितीय (1806 से 1837 तक शासन किया, क्योंकि उनका अधिकांश राज्य ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) द्वारा हड़प लिया गया था) को मुगल इतिहास में लगभग भुला दिया गया है।सबसे रोचक बात यह है कि इनके जीवनकाल के दौरान इनकी हाथीदांत से बनाई गई कुछ आकृति अभी भी यूरोप (Europe) और अमेरिका (America) में बहुत प्रतिष्ठित हैं।जर्मनी (Germany) में ड्रेस्डेन (Dresden) संग्रहालय पर उनके दरबार को दिखाते हुए हाथीदांत की एक प्रतिमा मौजूद है, इस प्रतिमा को कीमती रत्नों से जड़ा हुआ है। 2004 में क्रिस्टी (Christie’s) नीलामी में उनके दरबार की एक छोटी हाथीदांत की लघुचित्र सामने आई और उसे एक अमेरिकी संग्रहालय ने 12.5 लाख रुपये पर खरीदा था। इस लघुचित्र में अकबर द्वितीय को दिल्ली में अपने सुनवाई कक्ष में एक स्वर्ण मंडप के भीतर एक मोर सिंहासन पर बैठे देखा जा सकता है। लघुचित्र मुगल सत्ता की एक प्रतिकृति और भव्य वेशभूषा, अलंकृत सिंहासन, शानदार वस्त्र, और मेहराब के साथ अकबर की अदालत की प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करती है।अकबर द्वितीय के बाईं तरफ सम्राट के बेटे बहादुर शाह और अकबर के दाहिने में मिर्जा जहांगीर खड़े हुए दर्शाए गए हैं। दर्शकों में ब्रिटिश (British) निवासी, सर डेविड ओचेर्लोनी (David Ochterlony) (1758-1825) को भी दिखाया गया है, जिन्हें उनकी सैन्य टोपी द्वारा पहचाना जाता है। लघु चित्रों की कला मुगल काल: राजपूत कलाकार और उड़ीसा, जैन, राजस्थान, पहारी, डेक्कन और किशनगढ़ के चित्रकला स्कूल के दौरान अपने शीर्ष बिंदु तक पहुंची। इस समय के चित्रों में अक्सर राजाओं और रानियों की शाही जीवन शैली और बहादुरी की कहानी को दर्शाया गया। न्यू यॉर्क (New York) में 2004 में क्रिस्टी नीलामी में कुछ तीस लघुचित्र को नीलामी के लिए पेश किया गया था। इन लघुचित्र में सभी विद्यालय: मुगल, राजस्थानी, पहारी, सिख, अवध और डेक्कानी का प्रतिनिधित्व किया गया।यदि देखा जाएं तो उन्होंने कला के समकालीन कार्यों की तुलना में बहुत कम ध्यान आकर्षित किया, जिस वजह से केवल चौदह लघुचित्र ही बेचे गए। सबसे उच्चतम कीमत पर बिकने वाला सम्राट अकबर द्वितीय के दरबार का लघुचित्र था, जिसके बाद एक मुगल लघुचित्र, जिसमें रुस्तम को एक सांप से लड़ते हुए दिखाया गया था, को $10,158, यानि 4.67 लाख रुपये में बेचा गया। यह शाहजहां और जहांगीर के लिए बनाई गई 1780 के चित्राधार के एक दृश्यों की लखनऊ प्रतिलिपि है। अन्य महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय (1690-1734) की मेवार चित्रकला, जिसे 1710-20 के आसपास चित्रित किया गया था, को लगभग $9,560 (4.40 लाख रुपये) में बेचा गया। फिर सत्रहवीं शताब्दी की एक मुगल लघुचित्र, विलास में एक जोड़े को, $8,365 (3.85 लाख रुपये) के लिए बेचा गया।फिर अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत में औरंगजेब और उनके बेटे आज़म शाह के दो शाही मुगल चित्र $7,170 (3.3 लाख रुपये) पर बेचे गए।इन नीलामी से हम यह समझ सकते हैं कि मुगल लघुचित्रों के लिए राजस्थानी, पहारी या अन्य लघुचित्र के मुकाबले उच्चतम कीमतों का भुगतान किया जाता है।यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि यह सोलहवीं और सत्तरवीं शताब्दी के मुगल लघुचित्र हैं जो काफी बहुमूल्य हैं।
भारतीय लघुचित्र बाजार अनिवार्य रूप से कई अलग-अलग रुझानों को दर्शाता है, जैसे :सोलहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत में शाही मुगल दीर्घा जो मूल रूप से कथनात्मक फारसी चित्रकारी या सोलहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत के संस्कृत महाकाव्य में या उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत में ऐतिहासिक घटनाओं के दृश्य इतिहास पर संबोधोत थीं। इसके बाद हम विभिन्न प्रकार के धार्मिक ग्रंथों के चित्रण को भी देख सकते हैं। उनके अलावा, एक प्रतीकात्मक सामग्री के साथ अनुष्ठान आरेख, अर्थात, कुरानिक सुलेख, तांत्रिक यंत्र और बौद्ध मंडला हैं। वहीं शाही चित्रालय के अलावा सबसे पहली श्रेणी एक आम कलाविद्यालय में प्रचलित हुई थी, जिसमें दिल्ली और आगरा क्षेत्र शामिल हैं जहां 16 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से 19 वीं की शुरुआत तक, केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं मौजूद हैं, बल्कि पुनर्जागरण और अन्य यूरोपीय मुद्रण और कामुकों की प्रतियां भी मौजूद हैं। फिर हमारे सामने मालवा क्षेत्र की कला आई - राजस्थान के विभिन्न विद्यालय,विशेष रूप से जयपुर, बुंदी, कोटा, किशनगढ़, देवगढ़ और उदयपुर और बरुली, कंगड़ा, मंडी, जम्मू, नूरपुर और गशवाल के पहारी विद्यालय हैं। वहीं कश्मीर और गुजरात तथा अवध और डेक्कन के लघुचित्र भी मौजूद हैं। स्पष्ट रूप से, दिल्ली और आगरा के मुगलों के शाही चित्रालय की कृति तकनीकी उत्कृष्टता और मौलिकता के मामले में अन्य कार्यों से काफी उच्च थीं। बाजार मुगल शाही चित्रालय को शीर्ष पर रखता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3pAagkb
https://bit.ly/3GgKqbO
https://bit.ly/3dsZBCy
https://bit.ly/3rCRNX3
https://bit.ly/31zru9B

चित्र संदर्भ   

1. मुगल सम्राट, अकबर द्वितीय के दरबार की हाथीदांत की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (gruenes-gewoelbe)
2. अकबर द्वितीय के दरबार की हाथीदांत की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (gruenes-gewoelbe)
3. अकबर शाह द्वितीय और उसके चार पुत्र के लघुचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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