मुगल आभूषण और कपड़ों का निरूपण और इतिहास

लखनऊ

 01-07-2020 11:51 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

लखनऊ में मुगल साम्राज्य के दौरान जूते तथा कपड़े में चांदी और सोने के उपयोग से की गई कढ़ाई काफी प्रसिद्ध थी। मुगल काल आभूषणों के सबसे भव्य युगों में से एक था, जिसे वृत्तांत और चित्रों के माध्यम से अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है। पहले के मुगल चित्रों से संकेत मिलता है कि अकबर के शासनकाल के दौरान, विदेशी डिज़ाइनों (Designs) की एक श्रृंखला को कला में एक नया जीवन मिला था। साथ ही मुगलों द्वारा गहनों के विकास के लगभग सभी क्षेत्रों में योगदान किया गया।

मुगलों ने आभूषणों के विकास के लगभग सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया था। गहनों का उपयोग जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था, चाहे वह राजा हो, पुरुष या महिला या फिर राजा का घोड़ा ही क्यों ना हो। महिलाओं द्वारा गहने के 8 जोड़े पहने जाते थे और वहीं पगड़ी के गहने को सम्राट का विशेषाधिकार माना जाता था। उस समय यूरोप के प्रभावों में लगातार परिवर्तन को पगड़ी के गहनों के डिज़ाइन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुगल सम्राट की पगड़ी के गहने आमतौर पर सोने और कीमती रत्नों जैसे कि माणिक, हीरे, पन्ना और नीलम से बने होते थे।

साथ ही मुगल कपड़ों को 16वीं, 17वीं और 18वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप में उनके साम्राज्य की सीमा तक विकसित किया गया था। वे शानदार शैलियों की विशेषता थी और उन्हें मलमल, रेशम, मखमल और जरी वस्त्र के साथ बनाया जाता था। छोटे धब्बों, चेक (Check), और लहरों सहित विस्तृत प्रतिमान का उपयोग करके विभिन्न रंगों से उन्हें रंगा जाता था, जिसमें कोषिनील, लोहे की सल्फेट, तांबे की सल्फेट और सुरमा की सल्फेट का उपयोग किया गया था। वहीं कपड़ा काफी महीन और एक औंस से भी कम वजन का होता था, जिसमें सोने की किनारी मौजूद होती थी और मलमल लगभग पारदर्शी जितना बारीक होता था।

भारत में सोने और चांदी को न केवल एक कीमती धातु के रूप में देखा जाता है, बल्कि इसे पवित्र भी माना जाता है। यह एक कारण है कि अक्षय तृतीया और धनतेरस जैसे शुभ दिन पर भारतीय परिवारों द्वारा सोने या चांदी के आभूषण खरीदे जाते हैं क्योंकि इसे भाग्यशाली माना जाता है। वैदिक हिंदू परंपरा भी सोने को अमरता का प्रतीक मानती है। वहीं ऐसा माना जाता है कि नवरत्न की अवधारणा की उत्पत्ति एक महाराजा या एक सम्राट द्वारा पहने जाने वाले नौ रत्नों के ताबीज से हुई थी। नौ कीमती रत्नों का उपयोग नौ हिंदू देवताओं की शक्ति का प्रतीक है। नौ रत्नों के संग्रह में हीरा, पन्ना, माणिक, मोती, नीलम, बिल्ली की आंख, पुखराज, मूंगा और लाल जिक्रोन शामिल हैं। इसको पहनने का अर्थ शासक का ‘वर्चस्व ईश्वरों से जुड़ा होना’ होता है। भारतीय परंपरा में भय-मुक्ति के लिए पहने जाने वाले कई आभूषण देखे जा सकते हैं, जैसे मंगलसूत्र (मंगल का अर्थ है 'पवित्र' जबकि सूत्र का अर्थ है 'धागा'), यह विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों के लिए पहना जाता है; नजर कड़ा (एक कंगन, जो कि चांदी और काले मोतियों से बना होता है और बच्चे की कलाई पर बांधा जाता है) बच्चे को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए पहनाया जाता है आदि।

वहीं भारत में आभूषणों का न केवल पारंपरिक और सौंदर्य मूल्य है, बल्कि वित्तीय संकट के समय में सुरक्षा के स्रोत के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। शुरुआती दौर में आभूषणों का विकास कला के रूप में हुआ था। भारतीय गहनों की सुंदरता और उनके जटिल डिज़ाइन का श्रेय कई प्रयासों में निहित है। भारतीय आभूषणों ने कुचिपुड़ी, कथक या भरतनाट्यम जैसे भारत के विभिन्न लोकप्रिय नृत्य रूपों की सुंदरता को उजागर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभिन्न नृत्य रूपों का प्रदर्शन करने वाले शास्त्रीय नर्तकों को शानदार भारतीय आभूषणों से अलंकृत किया जाता है।

भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रसिद्ध आभूषणों के डिज़ाइन पारंपरिक और समकालीन दोनों शैलियों में भारतीय आभूषणों को एक विशाल विविधता प्रदान करते हैं। तमिलनाडु और केरल के सोने के आभूषणों के डिज़ाइन प्रकृति से प्रेरित होते हैं और कुंदन और मीनाकारी शैली के आभूषण मुगल राजवंश के डिज़ाइन से प्रेरित हैं। वहीं भारतीय दुल्हन के गहनों का प्रसंग और रंग इसे जटिल रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आभूषणों के आकर्षक तत्व को निखारने के लिए, हीरे और विभिन्न अन्य रत्नों का उपयोग सोने की आधार धातु पर किया जाता है। प्राचीन काल से ही भारत के शाही वर्ग द्वारा गहनों की कला को संरक्षण दिया गया है। भारतीय गहनों में व्यापक विविधता की उपलब्धता मुख्य रूप से क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर डिज़ाइनों में अंतर के कारण है, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों और उनकी जीवन शैली के लोगों के अलग-अलग स्वाद शामिल हैं। निस्संदेह, भारतीय गहनों की यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन इस लंबी यात्रा ने इसके आकर्षण में वृद्धि ही की है।

चित्र सन्दर्भ:

1.19 वीं सदी के उत्तरार्ध में "कॉस्ट्यूम ऑफ़ इंडिया - मोगल्स"(wikimedia)

2.मुगल महारानी नूरजहाँ का चित्रण(wikimedia)

3.जरदोजी शिल्प मोर(publicddomainimages)

4.जरदोजी शिल्प जूते(pixabay)

5.कुंदन मीनाकारी(Wikimedia)




संदर्भ :-

https://quod.lib.umich.edu/a/ars/13441566.0047.005?view=text;rgn=main

https://en.wikipedia.org/wiki/Mughal_clothing

https://www.culturalindia.net/jewellery/history.html

https://strandofsilk.com/indian-fashion-blog/driven-curiosity/evolution-and-journey-indian-jewellery (4)






RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id