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हम जानते हैं की मसालों की प्रचुरता के कारण भारत को मसालों का देश भी कहा जाता है! लेकिन
क्या आपको पता था की, भारत दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भी
है! भारत में पिछले कुछ वर्षों के दौरान विदेशी सब्जियों जैसे विदेशी मशरूम, खट्ट-मीठा कीवी
(Kiwi), हरे जैतून, ताजा ब्रोकोली (broccoli), ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) और कई अन्य फलों और
सब्जियों की लोकप्रियता भी बड़ी है! आमतौर पर यह सभी सब्जियां विदेशों से आयात की जाती थी,
जिस वजह से इनकी कीमते भी हमारी स्थानीय सब्जियों से अधिक होती हैं। किंतु भारत में इन
विदेशी सब्जियों की बढ़ती लोकप्रियता को एक अवसर के तौर पर देखते हुए, अब देश के किसानों ने
भी इनका उत्पादन शुरू कर दिया है।
हाल के वर्षों में भारत में शहरी आबादी, होटलों, और भोजनालयों के बीच विदेशी सब्जियां काफी
लोकप्रियता हासिल कर रही हैं। हालांकि आमतौर पर ये भारत में दुनिया भर से आयात की जाती हैं,
लेकिन इनकी मांग में वृद्धि होने के कारण, हमारे देश के किसानों ने भी इनका उत्पादन करना शुरू
कर दिया है। तमिलनाडु में नीलगिरी जिला, बेहतरीन गुणवत्ता वाले लेट्यूस (Lettuce) का
उत्पादन करता है, जबकि हिमाचल प्रदेश में ताजा उगाए गए एवोकैडो (avocado) देखे जा सकते
हैं।
2018 में, भारत ने 3 बिलियन डॉलर के फलों और सब्जियों का आयात किया, जबकि 2019 में यह
आंकड़ा गिरकर 1.2 बिलियन डॉलर हो गया था। विदेशी फलों में, जो बड़ी मात्रा में आयात किए जाते
हैं, उनमें जापान के फ़ूजी सेब और अन्य प्रकार के हरे सेब, लाल अंगूर, खजूर, जामुन, कीवी फल,
विभिन्न प्रकार के मैंडरिन संतरे और कई अन्य प्रकार के खट्टे फल शामिल हैं। भारत में
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य की वृद्धि का अनुसरण अंतर्राष्ट्रीय खाद्य पदार्थों के घरेलू उत्पादन द्वारा
किया जा रहा है, जो स्वयं भी 14-16 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। भारत सरकार ने भी इस छोटे
लेकिन महत्वपूर्ण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय किसानों को विदेशी खाद्य सब्जियों तथा
फलों के बीज और पौधे उपलब्ध कराने की घोषणा की है।
भारत में 1990 के दौरान ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) को पेश किया गया था और चूंकि यह
लाभदायक लग रहा था और इसे उगाने के लिए कम इनपुट की आवश्यकता थी, इसलिए किसान
इसकी ओर बेहद आकर्षित हुए थे। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना,
तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों में
ड्रैगन फ्रूट की खेती बढ़ी है। यह फल अपने उच्च पोषण मूल्य के कारण शहरी क्षेत्रों में बहुत
लोकप्रिय है। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोचा कि ड्रैगन एक फल के लिए
"उपयुक्त" नाम नहीं है, इसलिए उन्होंने तुरंत इसका नाम कमलम रख दिया।
भारत ,अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से ब्रोकोली, आइसबर्ग लेट्यूस (Broccoli, Iceberg
Lettuce), रंगीन शिमला मिर्च, शतावरी, अजवाइन, अजमोद, ब्रसेल्स स्प्राउट्स (Brussels
Sprouts), तोरी (Zucchini) और गोभी सहित सब्जियों की एक बड़ी श्रृंखला का आयात करता है।
हालाँकि भारत के किसान भी इन सब्जियों को पूरे साल उगाते हैं। विभिन्न सरकारी और गैर-
सरकारी संगठनों ने किसानों को इन फसलों को उगाने के लिए प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहन
योजनाएं शुरू की हैं। आज हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक विदेशी साग का उत्पादन करने वाले
खेतों का घर बन गए हैं।
भारत में उगाए जाने वाले अन्य विदेशी फलों में कीवी भी शामिल हैं। इस फल का सबसे बड़ा
उत्पादन हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और
केरल में होता है। देश में बेरी (Berries) का उत्पादन भी बढ़ रहा है। नैनीताल, देहरादून और
महाबलेश्वर की हरी-भरी पहाड़ियों में स्ट्रॉबेरी के बागान स्थापित किये गए हैं।
भारत के नए जमाने के किसान तेजी से बढ़ते उच्च ग्राहक आधार के लिए एक्वापोनिक सिस्टम
(aquaponic system) में विदेशी सलाद साग उगा रहे हैं। समृद्ध भारतीय उपभोक्ता आधार के
कारण, निर्यातकों और खुदरा विक्रेताओं को विदेशी फलों और सब्जियों की मांग में वृद्धि देखने को
मिल रही है।
विदेशी फल बड़े पैमाने पर लगातार बदलती उपभोक्ता आदतों और उनके द्वारा प्रदान किए जाने
वाले स्वास्थ्य लाभों से प्रेरित होते हैं। अपने अद्भुत स्वाद और असंख्य स्वास्थ्य लाभों के कारण,
उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थ और विदेशी फलों को अपने दैनिक
आहार में शामिल कर रही है। उदाहरण के लिए, एवोकाडो, विटामिन सी, ई, के, और विटामिन बी 6
का एक उत्कृष्ट स्रोत होता है। कीवी विटामिन सी, के, ई, पोटेशियम और विटामिन ई से भरपूर होते
हैं। एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर (Antioxidants and Fiber) के अलावा, ये दोनों विदेशी फल
विटामिन सी के भी अच्छे स्रोत हैं।
कर्नाटक के किसान, जो कभी पिछवाड़े, खेत की सीमाओं और छतों तक ही सीमित थे, आज अपने
खेतों में विदेशी और स्थानीय फल ऊगा रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में, एवोकाडो, ड्रैगन फ्रूट, कटहल,
इमली, जामुन, पैशन फ्रूट, रामबूटन और मैंगोस्टीन (mangostein) जैसे 12 फलों की खेती के क्षेत्र
में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उनकी लोकप्रियता, बाजार की मांग, चरम मौसम की घटनाओं से
बचने की उनकी क्षमता और अपेक्षाकृत कम रखरखाव से प्रेरित हो रही है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (Indian Institute of Horticulture Research
(IIHR) के वैज्ञानिक, जी करुणाकरण के अनुसार, "उत्पादकों से पौधों की मांग में वृद्धि के कारण
घटिया गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री भी बेची जा रही है। रोपाई खरीदते समय उत्पादकों को सतर्क
रहना चाहिए।"
डोड्डाबल्लापुर में के एस अशोक कुमार (KS Ashok Kumar) ने अपने 40 एकड़ के अंगूर के खेत
को कटहल के बाग में बदल दिया है। वे कहते हैं, इस बदलाव का प्रमुख कारण ''पानी, प्रबंधन और
इस क्षेत्र में उगाई जाने वाली कटहल की अनोखी किस्म है। मेरे पास कटहल के फल और सब्जी
दोनों क किस्में हैं। 'यहां भूजल 1,500 फीट से नीचे है.इसलिए पानी की अधिक खपत वाली फसलें
इस क्षेत्र के लिए उपयुक्त नहीं हैं ''
पिछले एक दशक में बेमौसम बारिश और सूखे की स्थिति ने किसानों को शुष्क भूमि बागवानी के
विकल्प चुनने पर मजबूर कर दिया है। "लोग जलवायु परिवर्तन को कम करने के तरीके के रूप में
बारहमासी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। कोविड -19 के दौरान, लोग स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक
हो गए हैं। इस प्रवृत्ति के अनुसार, जल्द ही बाजार में पोष्टिक फलों और सब्जियों की मागं में
भरमार होगी। इस मुद्दे को हल करने के लिए, कर्नाटक राज्य भर के लगभग 200 किसान विदेशी
और लघु फल उत्पादक कंपनी बनाने की प्रक्रिया में भी हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3yd86v8
https://bit.ly/3I7ukn2
https://bit.ly/3I5deGp
चित्र संदर्भ
1. बिक्री हेतु रखे गए विदेशी फलों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. विदेशी फलों के दामों को दर्शाता एक चित्रण (google)
3. ड्रैगन फ्रूट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बिक्री हेतु रखे गए बेरी फलों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कटहल के फार्म को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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