इंजीनियरिंग के नायाब नमूने के रूप में बनकर तैयार है, भारत की पहली अंडरवाटर सुरंग

नदियाँ
12-04-2022 09:50 AM
Post Viewership from Post Date to 17- Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1293 114 1407
इंजीनियरिंग के नायाब नमूने के रूप में बनकर तैयार है, भारत की पहली अंडरवाटर सुरंग

भारत विकासशील देश होने के साथ ही संभावनाओं और अवसरों का देश भी बनता जा रहा है! पिछले एक दशक में भारत ने तकनीक, निर्यात और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की की है। और इसी क्रम में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए, 2023 तक देश में, पहली पानी के भीतर (underwater) मेट्रो सुरंग भी तैयार हो जाएगी।
हावड़ा और कोलकाता के बीच मेट्रो संचार स्थापित करने के लिए कोलकाता में हुगली नदी के नीचे भारत की पहली अंडरवाटर टनल (underwater tunnel) का निर्माण प्रगति पर है। 2023 तक इसे पूरी तरह से चालू कर दिया जाएगा। कोलकाता ईस्ट-वेस्ट मेट्रो लाइन (Kolkata East-West Metro Line) का निर्माण कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (KMRCL) द्वारा किया जा रहा है, और यह भारत में पहली, पानी के नीचे की सुरंग है, जिसका टनल कॉरिडोर (tunnel corridor) नदी के तल से 33 मीटर नीचे बनाया गया है, और यह कोलकाता को हावड़ा से जोड़ेगा। साइट पर्यवेक्षक, मिथुन घोष के अनुसार इस परियोजना में प्रदान की जा रही सुविधाओं और सुरक्षा उपायों के अंतर्गत आपात स्थिति में यात्रियों को निकालने के लिए सुरंगों में पैदल मार्ग भी होंगे। अगर वाटर टनल एरिया के अंदर कोई तकनीकी दिक्कत आती है तो यात्रियों को स्पेशल पैसेज (special passage) से बाहर निकाला जा सकता है। उनके अनुसार पूर्व-पश्चिम हावड़ा मेट्रो स्टेशन का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है ,और उम्मीद है कि 2023 में पूर्ण सेवा शुरू हो सकती है। पानी के नीचे सुरंग बनाना निश्चित तौर पर हमेशा से ही एक चुनौती भरा काम रहा है। शुरुआती दिनों में, नदियाँ वाणिज्य का शक्तिशाली साधन मानी जाती थीं। इंसान हमेशा से नदियों के दूसरे छोर पर जाने के लिए इच्छुक रहे हैं। नदी पार करने के शुरुआती समाधान के तौर पर नौकाओं का प्रयोग किया जाने लगा, जिसके बाद, इंजीनियरों ने पुलों का निर्माण शुरू किया। जल्द ही इंसान, पानी के नीचे से सुरंग बनाकर यात्रा करने पर भी विचार करने लगे। 1818 की शुरुआत में, मार्क ब्रुनेल (Marc Brunel) नाम के एक फ्रांसीसी इंजीनियर ने एक ऐसे उपकरण "सुरंग शील्ड (tunnel shield)" का आविष्कार किया, जिससे श्रमिकों को पानी और कीचड़ से बचते हुए नदियों के नीचे सुरंग बनाने में आसानी होती थी। ब्रुनेल की "सुरंग शील्ड" एक बड़ी आयताकार लोहे की दीवार थी, जिसमें बहुत सारे छोटे शटर थे। मजदूर एक-एक करके कुछ इंच गंदगी खोदने के लिए शटर खोलते थे। थोड़ी प्रगति होने के बाद, पूरी ढाल को आगे बढ़ाया जाता था। जैसे-जैसे ढाल एक बार में कुछ इंच आगे बढ़ती, श्रमिक इसके पीछे एक मोटी ईंट की दीवार बनाते जो सुरंग का खोल बन जाती। हालांकि पूरी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय खर्च होता था। उदाहरण के लिए, लंदन में टेम्स नदी (River Thames in London) के नीचे 1,200 फुट की दुनिया की पहली अंडरवाटर टनल बनाने में श्रमिकों को नौ साल (1825 से 1843 तक) लगे। हालांकि इसके बजाय आज विज्ञान इस क्षेत्र में काफी तरक्की कर चुका है। आज, पानी के नीचे की सुरंगें अक्सर ह्यूमोंगस टनल-बोरिंग मशीनों (humongous tunnel-boring machines (TBMs) के साथ बनाई जाती हैं। हालांकि इन मशीनों की कीमत लाखों डॉलर है, लेकिन ये बहुत ही कम समय में बड़ी सुरंगें बना सकती हैं। इस मशीन में डिस्क कटर (disc cutter), एक गोलाकार प्लेट के माध्यम से रॉक काटने के लिए घूमती है, और धीरे-धीरे यह मशीन आगे बढ़ती है। जैसे-जैसे मशीन सुरंग की खुदाई करती है, यह उन दीवारों को बनाने में भी मदद करती है, जो अंततः सुरंग को सहारा देती हैं। फ्रांस और इंग्लैंड में 11 बड़े टीबीएम का उपयोग केवल तीन छोटे वर्षों में 32 मील चैनल सुरंग बनाने वाली तीन ट्यूबों को बनाने के लिए किया गया। पानी के भीतर सुरंग बनाने की एक और विधि को कट-एंड-कवर विधि (cut-and-cover method) के नाम से जाना जाता है। इस पद्धति का उपयोग करने के लिए, बिल्डर नदी के तल या समुद्र तल में एक खाई खोदते हैं। फिर वे पहले से बने स्टील या कंक्रीट ट्यूब को खाई में डुबो देते हैं। ट्यूबों को चट्टान की मोटी परत से ढकने के बाद, कार्यकर्ता ट्यूबों के वर्गों को जोड़ते हैं और शेष पानी को बाहर निकाल देते हैं। इस पद्धति का उपयोग टेड विलियम्स (Ted Williams) सुरंग बनाने के लिए किया गया था, जो बोस्टन के दक्षिणी भाग को लोगान हवाई अड्डे से जोड़ती है। गुजरते समय के साथ इंजीनियर हमेशा नए आविष्कार लेकर सामने आ रहे हैं। प्रायोगिक रॉक-कटिंग विधियों (experimental rock-cutting methods) के आधार पर, उच्च दबाव वाले पानी के जेट, लेजर या अल्ट्रासोनिक ध्वनि मशीनों की मदद से पानी के नीचे की सुरंगों का निर्माण किया जा सकता है। नई प्रौद्योगिकियां ने उन सुरंगों के निर्माण को सक्षम बना दिया हैं, जो कभी असंभव लगती थीं। जैसा की कोलकाता में होने जा रहा है।

संदर्भ
https://bit.ly/3JjrTwI
https://bit.ly/37zAePK
https://bit.ly/3ra5mMn

चित्र संदर्भ
1. अंडरवाटर सुरंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. यात्रियों को निकालने के लिए सुरंगों में पैदल मार्ग को दर्शाता एक अन्य चित्रण (wikimedia)
3. सुरंग शील्ड (tunnel shield) को दर्शाता एक अन्य चित्रण (Picryl)
4. टनल-बोरिंग मशीनों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.