मेरठ से थोड़ी दूर स्थित एशिया का सबसे बड़ा शिवालिक जीवाश्म पार्क और उसका इतिहास

शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक
03-03-2022 09:54 AM
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मेरठ से थोड़ी दूर स्थित एशिया का सबसे बड़ा शिवालिक जीवाश्म पार्क और उसका इतिहास

मेरठ से 4 घंटे की दूरी पर शिवालिक फॉसिलपार्क (Shivalik Fossil Park)स्थित है, जिसे सुकेती फॉसिल पार्क (Suketi Fossil Park) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले में एक अधिसूचित राष्ट्रीय भू-विरासत स्मारक जीवाश्म पार्क है। इसमें प्रागैतिहासिक कशेरुकी जीवाश्मों और कंकालों का एक संग्रह है जो सुकेती में ऊपरी और मध्य शिवालिकके बलुआ पत्थरों और चीनी मिट्टी के भूगर्भीय संरचनाओं से प्राप्त हुए हैं।पार्क में प्लियो-प्लीस्टोसिन युग (Plio- Pleistocene - लगभग 2.5 मिलियन वर्ष) के रहने वाले विलुप्त हो चुके स्तनधारियों के खोजे गए जीवाश्म के छह आदमकद फाइबरग्लास (Fiberglass)के मॉडल (Model)को खुले मैदान में प्राकृतिक रूप से प्रदर्शित किया गया है।वहीं पार्क के परिसर के भीतर एक संग्रहालय, जीवाश्मों की देखरेख और उन्हें प्रदर्शित करता है। शिवालिक एशिया का सबसे बड़ा जीवाश्म पार्क है। पार्क में प्रदर्शनियों का उपयोग जनता के बीच वैज्ञानिक रुचि को उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, और दुनिया भर के शोध विद्वानों को विशेष अंतरराष्ट्रीय अध्ययन की सुविधा प्रदान करता है। सिरमौर जिले में एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार जीवाश्म स्थल और जीवाश्मों को अंधाधुंध रूप से निकाले जाने और बर्बाद होने से बचाने के लिए आया गया था।इसका उद्देश्य विद्वानों के शोध के लिए प्रागैतिहासिक काल की वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना भी था। इसलिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने, हिमाचल प्रदेश सरकार के सहयोग से, 23 मार्च 1974 को पार्क की स्थापना की गई। पार्क का रखरखाव भी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है। वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब पच्चीस लाख साल पहले बनी शिवालिक पहाड़ियां मानव जाति के विकास को दर्शाती हैं।इस पार्क के शिवालिकों में पाए जाने वाले स्तनधारी जीवाश्म दुनिया के सबसे समृद्धपुरावशेषों में से एक हैं।संग्रहालय के बाहर खुले क्षेत्र में प्रदर्शित फाइबरग्लास मॉडल छह विलुप्त जानवरों के हैं।वे हैं: विशालकाय भूमि कछुए, घड़ियाल, चार सींग वाला जिराफ, कृपाण-दांतेदार बाघ, बड़े दांत वाला हाथी, और दरियाई घोड़ा। एक मॉडल शिकार को अपने बड़े नुकीले दांतों से फाड़ने वाले कृपाण-दांतेदार बाघ को दर्शाता है। यह जानवर लगभग दस लाख साल पहले विलुप्त हो गया था, उसी समय हाथियों की कई प्रजातियां भी विलुप्त हो गईं थी।वहीं दरियाई घोड़े का मॉडल, आदमकद और अपने आधुनिक समकक्ष के समान दिखाई देता है, तुलनात्मक रूप से इसका मुंह बड़ा और साथ ही उसमें छह कृन्तक होते थे। करीब 25 लाख साल पहले बड़ी संख्या में मौजूद यह प्रजाति अब विलुप्त हो चुकी है।विशाल भूमि कछुए का मॉडल, जो शिवालिक क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है, यह सभी कछुओं में सबसे बड़ा था, लेकिन इसका आधुनिक समकक्ष बहुत छोटा है। अन्य मॉडल विशाल हाथी को दर्शाते हैं जो 1.5 मिलियन वर्ष पहले क्षेत्र7 में घूमते थे। आधुनिक हाथियों की तुलना में, उनके पास एक छोटी खोपड़ी, असामान्य रूप से लंबे दांत और विशाल अंग थे।इनमें से 15 प्रजातियां लगभग 1.5 मिलियन वर्ष पहले लुप्त हो गई थीं। चार सींग वाले जिराफ का एक मॉडल आधुनिक प्रजातियों के पूर्वज को दर्शाता है जो 1.5 मिलियन वर्ष पहले क्षेत्र7 में रहते थे।इसकी एक असामान्य रूप से बड़ी खोपड़ी थी, लेकिन तुलनात्मक रूप से छोटी गर्दन थी। शुरुआत में ये मॉडल पार्क के भीतर ही स्थित थे। हालाँकि जंगल में लगी आग ने कुछ मॉडलों को क्षतिग्रस्त कर दिया, और अब शेष संग्रहालय के बाहर हैं।साथ ही संग्रहालय की प्रदर्शनी में स्तनधारियों की खोपड़ी और अंगों के विभिन्न समूहों के कंकाल अवशेष, हेक्साप्रोटोडोन की खोपड़ी, कछुए, घड़ियाल और मगरमच्छ, हाथियों की 22 प्रजातियों के दांत, चट्टानें और लेखाचित्र और अतीत और वर्तमान के पौधे और पशु जीवन के कई पहलुओं से संबंधित चित्रकारी शामिल है।प्रदर्शन पर पत्थर की वस्तुएं प्रारंभिक पुरापाषाण काल ​​के हैं। संग्रहालय में उस क्षेत्र में कैप्टन कॉटली द्वारा खोजी गई प्राचीन वस्तुएं भी हैं, जहां से उन्होंने एशिया के सबसे पुराने मानव पूर्वज के अवशेष खोदे थे। पार्क में काफी अनोखी प्रदर्शनी होने के बावजूद यहाँ अधिक पर्यटक नहीं आते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ जाने के लिए मौजूद मार्ग की स्थिति काफी खराब है।सड़क की खराब स्थिति न केवल पर्यटकों को पार्क में आने से रोकती है बल्कि धन की कमी और कर्मचारियों की कमी ने भी इस जगह के रखरखाव पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पार्क में प्रदर्शित मॉडलों की देखभाल के लिए तीन चौकीदार नियुक्त किए हैं।पार्क में एक पर्यटन सूचना केंद्र है, जिसमें हिमाचल प्रदेश पर्यटन पर पुस्तिका प्रदर्शित करने के अलावा, गर्व करने के लिए कुछ भी नहीं है।पर्याप्त धन और कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करके इस पार्क को संरक्षित करने की आवश्यकता है, जो इस ऐतिहासिक स्थल की उचित देखभाल कर सके। रोड के निर्माण और रख- रखाव से भी इस ऐतिहासिक स्थान को बढ़ावा देने में काफी मदद मिल सकती है। हालांकि पर्यटन विभाग द्वारा एडीबी (ADB) की सहायता से सुकेती फॉसिल पार्क को 2018 में विकसित किये जाने का आदेश दिया गया है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार सुकेती जीवाश्म पार्क के विकास के लिए किसी भी निजी निवेश के लिए भी तैयार है।यह बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है और अगर सरकार बुनियादी ढांचा प्रदान करती है और सुकेती फॉसिल पार्क को सही रास्ते पर प्रचारित करती है तो यह पर्यटकों के दृष्टिकोण से राज्य में एक और पड़ाव हो सकता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3IvCncE
https://bit.ly/3HvIkF6
https://bit.ly/3HzTCZ4

चित्र संदर्भ   
1. दसचिंद्र नाथ पॉल द्वारा गढ़ी गई शिवालिक पहाड़ियों के विलुप्त स्टेगोडन का फाइबरग्लास आदमकद मॉडल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. शिवालिक फॉसिलपार्क (Shivalik Fossil Park) स्थित हाथियों के मॉडल को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. विशाल भूमि कछुए के मॉडल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. शिवालिक फॉसिलपार्क (Shivalik Fossil Park) स्थित संग्रहालय को दर्शाता चित्रण (youtube)

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