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एक क्रेडिट सूचना कंपनी(Credit information company)के अनुसार,जून 2021 तक दो साल से
ग्रामीण ऋणों पर बकाया दरों में गिरावट आई है।बकाया ऋणों में कमी के बावजूद,
माइक्रोफाइनेंस (Microfinance) बुक में अधिकतम तनाव दिखाई दे रहा है।उद्योग लॉबी
सी.आई.आई (Industry lobby CII) के सहयोग से क्रिफ हाई मार्क (Crif High Mark) द्वारा तैयार
इनॉग्रल (Inaugural) ग्रामीण व्यापार विश्वास सूचकांक अक्टूबर के लिए 63.9 प्रतिशत पर
रहा,और सकारात्मक में ऋण विस्तार, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उच्च बजट आवंटन और
सकारात्मक या तटस्थ दृष्टिकोण वाले सर्वेक्षण प्रतिभागियों को शामिल किया गया।रिपोर्ट में
बताया गया है कि जून 2019 और जून 2021 के बीच ग्रामीण खुदरा ऋण के लिए मूल्य में
0.5 प्रतिशत, सूक्ष्मवित्त के लिए 2.8 प्रतिशत और ग्रामीण वाणिज्यिक के लिए 0.2 प्रतिशत
की गिरावट आई है।देश की करीब 60 प्रतिशत आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में औसत
बेरोजगारी दर भी 2021 में बढ़कर 7.3 प्रतिशत हुई, जबकि 2019 में यह 6.8 फीसदी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों को बढ़ती महंगाई से भी काफी मुश्किलों का सामना करना
पड़ा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति ग्रामीण इलाकों में 5.9 फीसदी
रही जबकि एक साल पहले यह 4.3 प्रतिशत थी।
भारत में, दो-तिहाई कार्यबल ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था हमारी राष्ट्रीय
आय में लगभग 46 प्रतिशत का योगदान करती है। निस्संदेह, यह भारत की आर्थिक प्रगति
की रीढ़ है।कोरोना महामारी ने देश में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक बदलाव किया है और
ग्रामीण भारत ने इस दौर में भी असाधारण जुझारू क्षमता दिखायी है।उच्च गैर निष्पादित
परिसंपत्तियां (Non Performing Assets - NPA)ग्रामीण क्षेत्रों में चिंता का विषय है, जो
मुद्रास्फीति से भी जुड़ा हुआ है।उच्च गैर निष्पादित परिसंपत्ति से तात्पर्य ऐसी परिसंपत्ति से
है,जिसे बैंक उधारकर्ता से वापस नहीं ले पाता। परिणामस्वरूप उधारकर्ता द्वारा लिया गया
ऋण बैंक को कोई भी आय उत्पन्न करके नही देता।जब लोन लेने वाला व्यक्ति क़िस्त जमा
करने की तिथि के 90 दिन तक किस्त जमा नहीं करता, तब उसे गैर निष्पादित परिसंपत्ति या
NPA कहा जाता है।गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की राशि जितनी अधिक होगी, बैंक की राजस्व
धारा उतनी ही कमजोर होगी।जैसे-जैसे बैंकों का NPA बढ़ेगा, यह भारतीय सुरक्षा बाजारों में
धन की कमी लाएगा। बैंकों के शेयरधारक बहुत सारा पैसा खो देंगे क्योंकि बैंकों को खुद
बाजार में टिके रहना मुश्किल होगा।इससे बाजार में भरोसे का संकट पैदा होगा।
ऋण की
कीमत, यानी ब्याज दरें बुरी तरह से बढ़ेंगी।यह हमारे जैसे खुदरा उपभोक्ताओं को भी
प्रभावित करेगा, जिन्हें ऋण के लिए उच्च ब्याज दर चुकानी होगी।इससे सुरक्षा बाजार से धन
कम उठाया जाएगा और परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था में समग्र मांग को नुकसान
होगा। यह स्थिति निश्चित रूप से उच्च मुद्रास्फीति की ओर ले जाएगी।भारत जल्द ही
नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (National Asset Reconstruction Company
Limited–NARCL) या 'बैड बैंक' (Bad Bank)की स्थापना करने वाला है, जो उधारदाताओं की गैर-
निष्पादित संपत्तियों को अवशोषित करेगा और बैंकों की बैलेंस शीट(Balance sheet) को साफ
करेगा।बैड बैंक, एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी
देयताओं को एक नये बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है। जब किसी बैंक का NPAएक
सीमा से अधिक हो जाता है, तब एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है जो मुख्य बैंक की
देयताओं को एक निश्चित समय के लिए धारण कर लेता है।85,000 करोड़ रुपये के कम से
कम 28 गैर-निष्पादित खातों को बैड बैंक में स्थानांतरित किया जाएगा। पहले चरण में,
हालांकि, 50,000 करोड़ रुपये के 15 मामले इसमें स्थानांतरित किए जाएंगे। NARCL, जिसे
2021-22 के केंद्रीय बजट में प्रस्तावित किया गया था, का परिचालन शुरू करने के लिए अब
सभी प्रकार की मंजूरियां मिल गई है।सार्वजनिक क्षेत्रों के पास नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन
कंपनी लिमिटेड में सबसे बड़ी हिस्सेदारी होगी।वहीं निजी बैंकों के पास इंडिया डेट
रिजॉल्युशन कंपनी लिमिटेड(India Debt Resolution Company Limited) की अहम हिस्सेदारी
होगी।बैड बैंक सभी बैंकों के बैलेंसशीट को साफ सुथरा बनाने के लिए बैड परिसम्पत्तियों को
अपने पास लेगी।
परिचालन संरचना के अनुसार,NARCL बैंकों से चिन्हित किए गए खातों का
अधिग्रहण करेगा और उन्हें एकत्रित करेगा, जबकि IDRCL ऋण समाधान प्रक्रिया को
संभालेगा।यह अनूठी सार्वजनिक-निजी भागीदारी तनावग्रस्त संपत्तियों को हल करने के लिए
एकत्रीकरण, विशेषज्ञता का लाभ लाएगी। प्रारंभ में, यह अनुमान लगाया गया था कि 2 लाख
करोड़ रुपये की संपत्ति बैड बैंक में स्थानांतरित की जाएगी, लेकिन कुछ बड़े मामलों को बाद
में सुलझा लिया गया था।बैड बैंक की स्थापना के साथ बैंकिंग सेक्टर में एसेट रिजॉल्युशन में
तेजी आने की उम्मीद है।बैड बैंक के शुरू होने से बड़े पैमाने पर बैंक NPA से मुक्त हो
जाएंगे, और उनकी कार्यप्रणाली में गति आएगी।बैड बैंक की मदद से बैंक नए लोन देने में
सक्षम होगा और नए निवेश को मौका मिलेगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/3gydBMR
https://bit.ly/3GJl9Xw
https://bit.ly/3HG07KX
चित्र संदर्भ
1. विभिन्न बैंकों के एटीएम को दर्शाता एक चित्रण (ABP)
2. विभिन्न बैंकों की सूची को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. बैड बैंक को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
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