दुनिया में सेब का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है भारत, कुछ किस्में उगती हैं कम ऊंचाई वाले शहरों में भी

साग-सब्जियाँ
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दुनिया में सेब का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है भारत, कुछ किस्में उगती हैं कम ऊंचाई वाले शहरों में भी

भारत दुनिया में सेब का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है‚ जो अलग-अलग कारणों से ध्यान आकर्षित कर रहा है। भारत में अब तक सेब का सबसे बड़ा उत्पादक कश्मीर रहा है लेकिन सभी सेब के पेड़ों को फलने-फूलने के लिए पहाड़ों की जरूरत नहीं होती है। सेब की कुछ किस्में बालकनियों पर भी फल-फूल रही हैं जो मुंबई‚ पुणे और बेंगलुरु जैसे कम ऊंचाई वाले शहरों में बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। भारतीय बाजार में विदेशी फलों और सब्जियों की बढ़ती लोकप्रियता में सेब भी शामिल है। भारत आजकल विदेशी मशरूम (mushrooms)‚ टैंगी कीवी (tangy kiwis)‚ हरे जैतून (green olives)‚ ताजी ब्रोकली (broccoli)‚ ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) और कई अन्य सब्जी और फलों का आनंद ले रहा है‚ जो आजकल शहरी आबादी‚ होटलों और भोजनालयों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। भारत दुनिया में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत ने 2018 में 3 बिलियन डॉलर के फल और सब्जियां आयात की थी। भारत सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय किसानों को विदेशी खाद्य सामग्रियों के बीज और पौधे उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। बड़ी मात्रा में आयात किए जाने वाले फलों में जापान के फ़ूजी (Fuji) और अन्य किस्मों के हरे सेब‚ लाल अंगूर‚ खजूर‚ जामुन‚ कीवी और कई अन्य प्रकार के खट्टे फल शामिल हैं। भारतीय विविध जलवायु के कारण कुछ सेबों को दूसरों की तुलना में बदलना आसान है इसलिए भारतीय किसानों द्वारा हाइब्रिड सेब की खेती की जा रही है। भारतीय किसान जम्मू और कश्मीर से फ़ूजी की एक किस्म‚ लाल अंबरी सेब (Lal Ambri apples) की खेती कर रहे हैं‚ जो हिमाचल प्रदेश की अंबरी सेब की नस्ल के साथ रेड डिलीशियस (Red Delicious) सेब के संकरण का परिणाम है। यह पूरे साल उगाया जा सकता है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की सामग्री जैसे मिठाई‚ जैम‚ जेली आदि बनाने के लिए किया जाता है।
भारत में वाशिंगटन सेब (Washington Apples) सबसे लोकप्रिय सेबों में से एक है‚ जो अमेरिका (America’s) के सुदूर पश्चिमी राज्य वाशिंगटन की उपजाऊ घाटियों और पठारों से आते हैं। प्रत्येक सेब को हाथों से चुने जाने के कारण इसकी गुणवत्ता बनी रहती है। आज भारत में सेब की कई किस्में मौजूद हैं जो अपनी मिठास और स्वाद में भिन्न हैं लेकिन खाने में शानदार हैं। सेब की कुछ किस्मों में शामिल हैं: रेड डिलीशियस (Red Delicious): यह दिल के आकार का होता है और इसकी त्वचा गहरे लाल रंग की होती है। इसमें हल्का मीठा स्वाद और विशिष्ट रसदार क्रंच होता है जिससे इसका इस्तेमाल स्नैक के रूप में भी किया जा सकता है। गोल्डन डिलीशियस (Golden Delicious): इस सेब को पकाकर भी खाया जा सकता है‚ यह अंदर से सफेद होता है और इसकी त्वचा इतनी कोमल होती है कि इसे छीलने की भी आवश्यकता नहीं होती। बेक किये जाने या पकाये जाने पर भी यह अपना आकार और स्वाद बनाए रखता है। फ़ूजी (Fuji): फ़ूजी कुरकुरे और रसीले होते हैं‚ जो भिन्न रंगो जैसे पीला‚ लाल और हरा तक होता है। इसका मसालेदार मीठा स्वाद इसे सलाद के लिए उत्कृष्ट बनाता है। गाला (Gala): यह भी दिखने में दिल के आकार का होता है‚ जिसमें लाल धारियों द्वारा चिह्नित एक विशिष्ट पीली-नारंगी त्वचा होती है। मीठे स्वाद के साथ इसका उपयोग सलाद के रूप में भी किया जा सकता है। ग्रैनी स्मिथ (Granny Smith): यह चमकीले हरे रंग के होते हैं। जो स्वाद में चटपटे और कुरकुरे होते है और पकाये जाने के लिए एकदम सही होते हैं। हनीक्रिस्प (Honeycrisp): इसकी बाहरी त्वचा चमकदार-लाल और पीली-हरी होती है और यह मीठे और थोड़े तीखे स्वाद के साथ कुरकुरा और रसदार होता है। इस किस्म के सेब को नाश्ते या सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है‚ इसके अलावा इसे बेक करके या किसी भी प्रकार से पकाकर भी खाया जा सकता है। क्रिप्स पिंक (Cripps Pink): यह गुलाबी लालिमा के साथ पीले रंग का होता है। जो मीठे और कुरकुरे स्वाद के साथ पकाकर भी खाया जा सकता है।
भारत में सेब का बहुत लंबा इतिहास रहा है। सेब की उत्पत्ति कजाकिस्तान से हुई और सिल्क रूट के साथ फैल गई जो कश्मीर से जुड़ा है। सेब का पहला स्रोत मुगल और दूसरा स्रोत अंग्रेज थे। 1911 में टाइम्स ऑफ इंडिया (Times of India) में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कैसे “सेब उगाने वाला उद्योग‚ जिसे कुल्लू में घर मिल गया है‚ इस देश की कुछ हद तक कम फलों की आपूर्ति के लिए एक बहुत ही स्वागत योग्य अतिरिक्त साबित हुआ है।” नौशाद परवेज कहते हैं “एक मूक क्रांति हो रही है”। देश भर में कम ऊंचाई (3‚000 फीट से नीचे) और उच्च तापमान (45 डिग्री सेल्सियस) पर सेब की तीन किस्में: अन्ना (Anna)‚ डोरसेट गोल्डन (Dorsett Golden) और एचआरएमएन-99 (HRMN-99) उगाई जा रही हैं‚ क्योंकि उन्हें 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे 1‚000 या अधिक घंटे की ठंडी परिस्थितियों में पनपने वाले उच्च ऊंचाई वाले सेबों की तुलना में प्रति वर्ष केवल 150-200 घंटे की ठंडी परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। नौशाद कहते हैं‚ “प्रगतिशील किसान और कुछ संगठन पिछले पांच वर्षों से 29 राज्यों में परीक्षण कर रहे हैं और हमें बहुत उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं।” 1999 में बिलासपुर के किसान हरिमन शर्मा ने अपने आंगन में फल देने वाले सेब के बीज की खोज की थी।
उन्होंने कम ठंड वाली किस्म एचआरएमएन-99 जिसे उनके नाम पर हरिमन भी कहा जाता है‚ को संभवत बेर के साथ सामरिक संशोधन करके विकसित किया। उन्हें भारत के ऐप्पल मैन (Apple Man) के नाम से भी जाना जाता है। 2017 में उन्हें राष्ट्रपति से एक पुरस्कार सहित सभी तिमाहियों से मान्यता प्राप्त हुई। जम्मू के सर्जन डॉ केसी शर्मा‚ जो पूरे देश में उत्पादकों को एचआरएमएन-99 पौधे प्रदान कर रहे हैं‚ कहते हैं‚ “इसे भारत में कहीं भी उगाया जा सकता है। यह उचित जल निकासी के साथ 300-लीटर प्लास्टिक ड्रम में मुंबई की इमारतों की बालकनियों में भी लगाये जा रहे हैं और यह केरल से लेकर मणिपुर तक हर जगह बढ़ रहा है।”

संदर्भ:
https://bit.ly/3srfuR3
https://bit.ly/34oB7cD
https://bit.ly/3Gzf28j
https://bit.ly/3L8PmCO

चित्र संदर्भ   

1. हाथ में सेब उठाये पहाड़ी महिला को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. लाल सेबों को दर्शाता एक चित्रण (Unsplash)
3. गोल्डन डिलीशियस (Golden Delicious) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. फ़ूजी (Fuji) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. गाला (Gala) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ग्रैनी स्मिथ (Granny Smith) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. हनीक्रिस्प (Honeycrisp) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. क्रिप्स पिंक (Cripps Pink) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

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