हर संस्कृति में मौजूद हैं, खाद्य संरक्षण के विभिन्न तरीके

स्वाद- खाद्य का इतिहास
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हर संस्कृति में मौजूद हैं, खाद्य संरक्षण के विभिन्न तरीके

यूं तो भारत में फलों के संरक्षण के लिए अपनाए गए तरीकों में मुगल प्रभाव की विशेष भूमिका रही है, लेकिन संरक्षण के लिए अपनाए गए तरीके केवल विरासत में ही नहीं मिले हैं। आज भारत में फलों के संरक्षण के लिए जिन तरीकों को अपनाया जाता है, वे सदियों के आक्रमणों, उपनिवेशीकरण और व्यापार और समुद्री मार्गों का एक प्रतिबिंब है, जो अवशोषित तकनीकों के साथ पहले से मौजूद आहार संबंधी पूर्वाग्रहों के साथ जुड़े।देश भर में विभिन्न समुदायों ने प्रकृति, भूभाग और सामाजिक-सांस्कृतिक मतभेदों के अनुसार स्थानिक फल को संरक्षित करने के लिए अपने स्वयं के अलग तरीके तैयार किए हैं।खाद्य संरक्षण के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इसने लगभग हर क्षण हर संस्कृति में प्रवेश किया। जीवित रहने के लिए प्राचीन मनुष्य को प्रकृति का दोहन करना पड़ा। उसने जमा देने वाली जलवायु में बर्फ पर सील का मांस जमा दिया। उष्णकटिबंधीय जलवायु में खाद्य पदार्थों को धूप में सुखाया।अपने स्वभाव की वजह से भोज्य पदार्थ को जैसे ही काटा जाता है, वह खराब होना शुरू हो जाता है। इसलिए खाद्य संरक्षण ने प्राचीन मनुष्य को एक स्थान पर बने रहने और एक समुदाय बनाने में सक्षम बनाया।खाद्य संरक्षण के उपाय जान लेने के बाद उसे भोज्य पदार्थ को काटकर या प्राप्त कर तुरंत उपभोग नहीं करना पड़ा। वह उन भोज्य पदार्थों को बाद में उपयोग के लिए संरक्षित कर सकता था।प्रत्येक संस्कृति ने खाद्य संरक्षण के समानमूल तरीकों का उपयोग करके अपने स्थानीय खाद्य स्रोतों को संरक्षित किया। कुछ इतिहासकारों का मानना ​​है कि खाद्य संरक्षण केवल जीविका के लिए ही नहीं था, बल्कि यह सांस्कृतिक भी था। वे ऐसे कई विशेष अवसरों के बारे में बताते हैं, जिनमें भोज्य पदार्थों को संरक्षित किया जाता था,तथा इसका कोई धार्मिक या उत्सवपूर्ण अर्थ होता था।अमेरिका (America) में अधिक से अधिक लोग शहरों में रहते हैं और व्यावसायिक रूप से खाद्य पदार्थ प्राप्त करते हैं।उन्हें ग्रामीण आत्मनिर्भर जीवन शैली से अलग कर दिया गया है,लेकिन फिर भी, कई लोग बगीचों का उपयोग करते हैं तथा साल भर में सब्जियों और फलों की एक भरपूर फसल प्राप्त करते हैं।रिकॉर्ड किए गए इतिहास से पहले भी, दुनिया भर की प्राचीन संस्कृतियों ने खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए तरीके खोजे तथा उद्देश्यपूर्ण रूप से उन तकनीकों का आविष्कार किया जिनके द्वारा खाद्य संरक्षण किया जा सकता था। इन तकनीकों में शीतलन, जमाना, उबालना, सुखाना, सॉल्टिंग (Salting), स्मोकिंग (Smoking),पिकलिंग (Pickling), सुगरिंग (Sugaring) आदि शामिल है। ये विधियां इतनी सफल हैं कि अक्सर आधुनिक तकनीकों की सहायता से सभी आज भी प्रचलित हैं।प्राचीन काल में सूर्य और हवा प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थ को सूखा देते थे। कुछ साक्ष्यों से पता चलता है कि मध्य पूर्व और प्राचीन संस्कृतियों ने सक्रिय रूप से 12,000 ईसा पूर्व तेज धूप में खाद्य पदार्थों को सुखाया।रोमन (Romans) विशेष रूप से किसी भी सूखे फल के शौकीन थे, जिन्हें वे बना सकते थे। मध्य युग में जानबूझकर स्टिल हाउसेस (Still houses) बनाए गए, ताकि जिन स्थानों में पर्याप्त तेज धूप नहीं थी, वहां फलों,सब्जियों और जड़ी-बूटियों को सुखाया जा सके।खाद्य पदार्थों को सुखाने हेतु आवश्यक गर्मी पैदा करने के लिए आग का उपयोग और कुछ मामलों में स्मोकिंग का भी उपयोग किया जाता था।किसी भी ऐसे भौगोलिक क्षेत्र में जहां एक वर्ष में तापमान जमाने वाला हो, वहां खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए कम तापमान का उपयोग किया गया। भंडारण समय को लम्बा करने के लिए फ्रीजिंग (Freezing) ताप से कम तापमान का उपयोग किया गया। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए तलकक्षों,गुफाओं और ठंडी धाराओं का अच्छा उपयोग किया गया था।अमेरिका में बर्फ को संग्रहित करने और भोजन को बर्फ पर रखने के लिए आइसहाउस (Icehouse) बनाए गए थे। जल्द ही यह एक "आइसबॉक्स" (Icebox) में बदल गया। 1800 में यांत्रिक प्रशीतन का आविष्कार किया गया था और इसे तुरंत ही उपयोग में लाया गया। इसके अलावा 1800 के उत्तरार्ध में क्लेरेंस बर्डसे (Clarence Birdseye) ने पाया कि मांस और सब्जियों के बेहतर स्वाद के लिएबहुत कम तापमान पर त्वरित फ्रीजिंग की जा सकती है।किण्वन खाद्य संरक्षण का एक अन्य तरीकाहै। इसका आविष्कार नहीं किया गया था, बल्कि इसकी खोज की गई थी। पहली बीयर की खोज तब हुई थी,जब बारिश में जौ के कुछ दाने रह गए थे, और अवसरवादी सूक्ष्मजीवों द्वारा स्टार्च-व्युत्पन्न शर्करा को अल्कोहल में किण्वित कर दिया गया था। किण्वन प्रक्रिया को देखने, उपयोग करने और प्रोत्साहित करने के लिए प्राचीन लोगों का कौशल सराहनीय है। कुछ मानवविज्ञानी मानते हैं कि मानव जाति लगभग 10,000 ईसा पूर्व में घुमंतू भटकने वाले लोगों से जौ उगाने वाले किसानों में बदल गई ताकि बीयर बनाई जा सके।किण्वन एक मूल्यवान खाद्य संरक्षण विधि थी। यह न केवल खाद्य पदार्थों को संरक्षित कर सकता था, बल्कि उसे अधिक पौष्टिक भी बना सकता था। किण्वन के लिए जिम्मेदार सूक्ष्मजीव विटामिन का उत्पादन करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।पिकलिंग भी खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए उपयोग में लाई गई। इसका अर्थ खाद्य पदार्थ को सिरके में संरक्षित करना है। इसे बनाने के लिए पहले स्टार्च या शर्करा को किण्वित कर अल्कोहल में परिवर्तित किया जाता है,और फिर अल्कोहल को कुछ बैक्टीरिया द्वारा एसिटिक एसिड (Acetic acid) में ऑक्सीकृत किया जाता है। इस तरीके की उत्पत्ति तब हुई होगी जब भोजन को संरक्षित करने के लिए शराब या बीयर में रखा गया था। कंटेनरों को पत्थर के पात्र या कांच से बनाया जाता था, क्योंकि सिरका बर्तन से धातु को विघटित कर देता था। इस तरीके की मदद से रोमनों ने "गारम" (Garum) नामक एक सांद्रित मछली अचार की चटनी बनाई।यूरोप में नए खाद्य पदार्थों के आगमन के कारण सोलहवीं शताब्दी में खाद्य संरक्षण में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई। इस तरीके के द्वारा चटनी, रेलिसेस (Relishes), पिकलिस (Piccalillis), सरसों और केचप (Ketchups) का निर्माण हुआ।खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए निर्जलीकरण का भी उपयोग किया गया।सबसे पहला संरक्षण वास्तव में निर्जलीकरण था। प्रारंभिक संस्कृतियों ने खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए नमक का इस्तेमाल किया।विभिन्न स्रोतों से कच्चे नमक का चयन करके सॉल्टिंग करना आम बात थी।1800 के दशक में यह पता चला कि नमक के कुछ स्रोतों ने मांस को सामान्य अनपेक्षित ग्रे के बजाय लाल रंग दिया। उपभोक्ताओं ने लाल रंग के मांस को अत्यधिक पसंद किया।प्रारंभिक संस्कृतियों में शहद या चीनी के उपयोग के साथ भी भोज्य पदार्थों का संरक्षण किया गया था।फलों को शहद में रखना आम बात थी।प्राचीन ग्रीस (Greece) में, श्रीफलको शहद के साथ मिलाया जाता था, कुछ हद तक सुखाया जाता था और जार में कसकर पैक किया जाता था। रोमनों ने श्रीफल और शहद को पकाकर और इसे ठोस मिश्रण में बदलकर इस विधि में सुधार किया। भारत में भी जब उत्तरी जलवायु में फलों को सुखाने के लिए पर्याप्त धूप नहीं होती थी, तब गृहिणियों ने फलों को चीनी के साथ गर्म करके उन्हें संरक्षित करना सीखा।कैनिंग (Canning) भी खाद्य संरक्षण के लिए एक उपयोगी तरीका है। इसमें खाद्य पदार्थों को एक जार या डिब्बे में रखा जाता है और ऐसे तापमान पर गर्म किया जाता है, जिसमें सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैंऔर एंजाइम निष्क्रिय हो जाते हैं।खाद्य संरक्षण के तरीकों में कैनिंग सबसे नया तरीका है, जिसकी शुरूआत 1790 के दशक में तब हुई जब एक फ्रांसीसी हलवाई, निकोलस एपर्ट (Nicolas Appert) ने पाया कि सीलबंद कांच की बोतलों में ताप के प्रभाव ने भोजन को खराब होने से बचाया।वर्तमान समय में रेफ्रिजरेशन (Refrigeration) खाद्य संरक्षण का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।रेफ्रिजरेशन में भोज्य पदार्थों का कम तापमान पर भंडारण किया जाता है, ताकि फलों और सब्जियों को संरक्षित करने के लिए क्षय और प्राकृतिक चयापचय प्रक्रियाओं को धीमा किया जा सके। मांस, मछली उत्पादों और पहले से पके हुए खाद्य पदार्थों,आइसक्रीम, अन्य डेयरी उत्पादों, बेकरी उत्पादों और पेय पदार्थों के लंबे समय तक उपयोग के लिएरेफ्रिजरेशन का उपयोग किया जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3F74e0g
https://bit.ly/3zBbEbb
https://bit.ly/3f3sPbL
https://bit.ly/3f2y8YX
https://bit.ly/3GapJP4

चित्र संदर्भ   
1. खाद्य संरक्षण को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. प्रारंभिक खाद्य संरक्षण सुविधा स्टोर को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. किण्वन से खाद्य संरक्षण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. फ्रिज में खाद्य संरक्षण को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)

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