इतिहास में मेरठ और बीयर (Beer) के संबंध की कहानी बहुत पुरानी है। यह वह समय था जब यहां भोला शराब की भट्टियां होती थी। शराब की तरह बीयर भी बहुत पुराने समय से प्रचलन में है। पहली जौ से बनी बियर के अवशेष गोडिन टेपे (Godin Tepe) उत्खनन के दौरान एक जार में मिले थे, जिसके अनुसार 3400 BC में इसका सेवन किया जाता था। लेकिन ऐसी भी संभावना है कि शायद पहली बीयर सदियों पहले बनी हो।
बियर का इतिहास
बीयर बनाने की विधि दुनिया के सबसे पुरानी रेसिपी (Recipe) में से एक है। प्राचीन मिस्र सभ्यता और मेसोपोटामिया से भी इसकी पुष्टि होती है। यह मदिरा से कम समय में तैयार होती और अधिक शक्ति प्रदान करती है। 1830 के दशक में यह मेरठ में बनती थी। इस देसी बियर का नाम था- मिस्टर भोले बियर (Mr. Bhole Beer) था और इसका बहुत ज्यादा प्रचलन था। ब्रिटिश उपनिवेश के समय मेरठ की देसी बियर के विषय में यूरोपीय अखबारों और पत्रिकाओं में काफी तारीफ की गई। यह मेरठ में तैनात यूरोपीय सैनिकों को भी बहुत पसंद थी। सैनिक ब्रांडी (Brandy) के साथ मिस्टर भोले बीयर का सेवन करते थे। सैनिकों के मदिरा भत्ते को देखते हुए, यह बीयर उन्हें ज्यादा अनुकूल पड़ती थी। धीरे-धीरे परिस्थिति ऐसी बनी कि नशे के चलते काम के प्रति लापरवाही बढ़ने लगी। मदिरा के मुकाबले मिस्टर भोले बियर स्वादिष्ट, पौष्टिक और सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती थी। इसके प्रयोग से ज्यादा नशे या बेहोशी के मामले भी सामने नहीं आए।
कैसे लगा मिस्टर भोले बीयर पर प्रतिबंध?
मिस्टर भोले बियर की लोकप्रियता और प्रचलन के बावजूद 1839 में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के डॉक्टर जॉन मरे (Doctor John Murray) ने मेरठ कैंट का मुआयना किया और अपनी रिपोर्ट में मिस्टर भोले बियर को प्रतिबंधित करने की सलाह दी। डॉक्टर मरे का मत था कि यह बियर खट्टी, बहुत ज्यादा गैस बनाने वाली और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है।
यह भी माना जाता है कि गेहूं की तरह बीयर भी कृषि आधारित समाज में विकसित हुई, जहां पर्याप्त अनाज और किण्डवन (Fermentation) के लिए पूरा समय था। एक बात तो तय है कि लोगों को बियर बहुत पसंद थी, बेबीलॉन (Babylon) के निवासियों के पास लगभग बीयर बनाने की 20 रेसिपी थी। मिस्र में पिरामिड बनाने वाले कारीगरों का भुगतान भी बीयर से होता था।
बीयर बनाने की 3800 साल पुरानी एक रेसिपी कविता की शक्ल में मौजूद है। यह प्राचीन सुमेर (आज के इराक) में हाइम टू निनकसी (Hymn to Ninkasi) नाम से मिली थी। यह सुमेर की बियर की देवी की तारीफ में लिखी गई है।
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