यहूदी और हिंदू दोनों धर्मों में मौजूद है शब्द शिवा

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
18-12-2021 10:36 AM
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यहूदी और हिंदू दोनों धर्मों में मौजूद है शब्द शिवा

शिवा नाम भले ही केवल दो शब्दों से मिलकर बना है, किंतु इसकी अंतहीन व्यापकता और विविध अर्थ इस शब्द को ब्रह्माण्ड के सबसे शक्तिशाली एवं अर्थपूर्ण उच्चारण में से एक बना देते है। सनातन धर्म में शिव सबसे प्रमुख त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश) में से एक माने जाते हैं। यदि हम शाब्दिक तौर पर समझे तो शिव का अर्थ होता है "'वह जो होकर भी नहीं है। दूसरी ओर यहूदी धर्म में भले ही यह शब्द सीधे तौर पर भगवान शिव को संदर्भित न कर रहा हो, लेकिन यहाँ भी शिवा शब्द "जीवन के अंत" को ही सारगर्भित कर रहा है।
यहूदी धर्म में शिवा (अथवा शिवाह, ˈʃɪvə / ; Hebrew Name שבעה "सात" ) एक सप्ताह यानी सात दिनों के दुःख एवं मातम की बैठक अवधि को कहा जाता है, जिसमे सात प्रथम श्रेणी के रिश्तेदार: पिता, माता, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन तथा जीवनसाथी समाविष्ट अर्थात शामिल होते हैं। हालांकि इस बैठक में पारंपरिक रूप से दादा-दादी तथा पौत्र- पौत्रियाँ सम्मिलित नहीं होते हैं। शिवा यहूदी धर्म में शोक की प्रथा का एक हिस्सा है। यहूदी परंपरा के अनुसार स्वर्गवासी व्यक्ति की अंत्येष्टि यथासंभव मृत्यु के एक दिन के भीतर कर दी जाती है, जिसके पश्चात शोक की अवधि सात दिन चलती है, जिस दौरान परिवार के सदस्यों को पारंपरिक रूप से एक घर (अधिमानतः मृतक के घर) में इकट्ठा होना होता है और आगंतुकों से मिलना होता है। हालांकि कुछ मामलों में जब रिश्तेदार विभिन्न शहरों में रहते हैं या एक जगह रहना असुविधाजनक होता है, तब शिवा कई स्थानों में किया जा सकता है।
अंत्येष्टि के समय शोक के प्रतीक के रूप में आमतौर से एक बाहरी परिधान को फाड़ दिया जाता है, जिसके पश्चात् यह फटा परिधान शिवा के अंत तक पहना जाता है। इस क्रिया को केरियाह (keriah) कहा जाता है। रूढ़िवादी यहूदियों में एक साधारण वस्त्र ही पहना जाता है, जबकि अरूढ़िवादी यहूदियों में, विकल्प के रूप में एक छोटे काले रिबन के टुकड़े को कपड़ों में पिन से लगा लिया जाता है। हिब्रू शब्द "शिवा" अर्थ "सात" होता है अतः शिवा की प्रामाणिक अवधि भी सात दिन की ही होती है। अंतिम संस्कार का दिन शिवा के प्रथम दिन के रूप में गिना जाता है, यद्यपि अंत्येष्टि के बाद मातम करने वालों के अपने स्थानों पर पहुँचने से पहले यह क्रिया प्रारंभ नहीं हो पाती है। सातवें दिन शिवा आमतौर पर सुबह, प्रार्थना के पश्चात् समाप्त होता है। यदि शिवा के दौरान योम टव (Yom Tov) अर्थात ऐसा पवित्र दिन जिनमें रोश हशानाह (Rosh Hashanah) , योम किप्पुर (Yom Kippur) , सुक्कोट (Sukkot) , पास्सोवर (Passover) तथा शव्योत (Shavuot) शामिल हैं) का प्रथम दिन पड़ता है तो शिवा का अंत मान लिया जाता है, फिर चाहे जितने भी दिन उसे किया गया हो। अगर मृत्यु योम टव के दौरान होती है, तो अंत्येष्टि के पूर्ण हो जाने तक शिवा प्रारंभ नहीं होता।
कई रूढ़िवादी यहूदी और कुछ सुधारवादी यहूदी सामान्य तौर पर तीन दिन की शिवा की अवधि का पालन करते देखे जा रहे हैं। कुछ सुधारवादी यहूदियों के यहाँ शिवा सिर्फ एक दिन का होता है। दिन का यह भाग अंत्येष्टि से लौट कर प्रारंभ होता है और उसी दिन बाद में समाप्त हो जाता है। मातम करने वाले अपना सामान्य जीवन अगले दिन से प्रारंभ कर देते हैं। जहाँ यहूदी धर्म में शिवा मृत्यु के बाद के सात दिनों को संदर्भित करता है वही हिंदू धर्म में भी समय और मृत्यु के विजेता के रूप में हिंदू भगवान शिव के एक पहलू को कलंतक या कालिंजर (संस्कृत: कालांतक, मृत्यु और समय का अंत) से अभिव्यक्त किया गया है। जो स्वयं भगवान यम द्वारा व्यक्त किया गया है। उन्हें यम को हराने या मारने के रूप में चित्रित किया गया है। जब बाद में शिव के कलंतक शब्द का अर्थ है "वह जो मृत्यु को समाप्त करता है"। यह नाम दो संस्कृत शब्दों से लिया गया है-काल (काल) जिसका अर्थ है "मृत्यु या समय" और अंतक (अन्तक) जिसका अर्थ है "वह जो समाप्त होता है"। उनके अन्य नाम हैं-
1. कालकाल (कालकाल) -वह व्यक्ति जो मृत्यु की मृत्यु है या वह व्यक्ति जो मृत्यु को मार सकता है।
2.कालसंहार (कालसंहार) -मृत्यु का नाशक।
3.कलारी (कालारी) -मौत का दुश्मन।
4.कालहारा (कालहार) -मृत्यु का नाश करने वाला।
5.कालाहारी (कालहरी) -जो मृत्यु को हर लेता है।
6.मार्कंडेयनुग्रह (मार्कण्डेयानुग्रह) -मार्कंडेय पर कृपा करना।
7.मृत्युंजय (मृत्युंजय) -वह जिसने मृत्यु पर विजय प्राप्त की।

संदर्भ
https://bit.ly/3dYsx5l
https://bit.ly/3mcuLCU
https://en.wikipedia.org/wiki/Kalantaka
https://en.wikipedia.org/wiki/Shiva_(Judaism)

चित्र संदर्भ
1. यहूदी अंतिम संस्कार को दर्शाता एक चित्रण (istock)
2. एक लाल शिवा मोमबत्ती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में यम यम की छाती पर नृत्य करते हुए कलंतक, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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