भारत में यहूदि‍यों का इतिहास और यहां की यहूदी–मुस्लिम एकता

लखनऊ

 22-07-2021 10:37 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

भारत में यहूदियों के इतिहास को यहां के सबसे प्राचीन इतिहास में गिना जाता है। यहूदी धर्म (Judaism)‚ भारत आने वाले सबसे पहले विदेशी धर्मों में से एक था। भारतीय यहूदी भारत में एक धार्मिक अल्‍पसंख्‍यक हैं जो स्‍थानीय गैर–यहूदी बहुमत से यहूदी–विरोधी तक‚ ऐतिहासिक रूप से वहाँ रहते हैं।श्रेष्‍ठ रूप से स्‍थापित प्राचीन यहूदी समुदायों नें सांस्‍कृतिक प्रसार के माध्‍यम से कई स्‍थानीय परम्‍पराओं को आत्‍मसात किया है। कुछ भारतीय यहूदी कहते हैं कि उनके पूर्वज यहूदा के प्राचीन साम्र‍ाज्‍य के समय में भारत आए थे‚ जबकि अन्‍य लोग खुद को प्राचीन इज़राइल(Israel) की दस खोई हुई जनजातियोंके वंशज के रूप में पहचानते हैं। कुछ लोग विशेष रूप से प्राचीन इज़राइल के मेनाशे(Menashe) जनजाति के वंशज होने का दावा करते हैं और उन्‍हें बनी मेनाशे (Bnei Menashe)कहा जाता है।बनी मेनाशे पूर्वोत्‍तर भारतीय राज्‍यों मिजोरम और मणिपुर के 9,000 से अधिक लोगों का एक समुह है जो बाइबिल यहूदी धर्म (Biblical Judaism)का अभ्‍यास करते थे और इजराइल की खोई हुई जनजातियों में से एक के वंशज होने का दावा करते थे। वे मुल रूप से हेडहंटर (headhunters)और एनिमिस्ट(animists) थे‚ और 20वीं सदी की शुरूआत में ईसाई धर्म(Christianity) में परिवर्तित हो गए‚ लेकिन 1970 के दशक में यहूदी धर्म में परिवर्तित होना शुरू हो गये।यह अनुमान लगाया जाता है कि भारत की यहूदी आबादी 1940 के दशक के मध्‍य में लगभग 20,000 तक पहुँच गई थी‚ और 1948में इज़राइल राज्‍य निर्माण ने भारत और दुनिया भर के नए देश में य‍हूदियों के एक स्थिर प्रवास को प्रेरित किया। जिसके बाद इज़राइल में उनके प्रवास के कारण भारत में यहुदी की संख्‍या में तेजी से गिरावट शुरू हुई।
मध्‍य पूर्व में संघर्ष को देखते हुए‚ फिलिस्‍तीन(Palestine) और इज़राइल के बीच लगातार लड़ाई के साथ‚हमारा भारत इसके विप‍रीत ही एक अध्‍ययन का विषय रहा है।भारत के कई पुराने यहूदी मंदिर (जिन्‍हें आराधनालय(Synagogues) कहा जाता है) जीर्ण–शीर्ण हो गऐ क्‍योंकि भारत में यहूदी समुदाय की संख्‍या काफी कम होने लगी थी‚ इज़राइल ने यहूदियों को वित्‍तीय प्रोत्‍साहन की पेशकश की‚ ताकि वे इज़राइल में प्रवास कर सकें। अक्‍सर भारत के कुछ सबसे पुराने आराधनालयों में मुस्लिम कार्यवाहक होते हैं। यह कई सैकड़ों वर्षों से भारत में यहूदी–मुस्लिम मित्रता की विरासत है। एक आम “अरबी”(Arabic) भाषा ने दोनों समुदायों को एक साथ ला दिया था। कोलकाता के आराधनालयों में प्रसिद्ध रूप से मुस्लिम कार्यवाहक हैं‚ जो यह सुनिश्चित करते हैं कि यहूदियों की अनु‍पस्थिति में भी सभी यहूदी धार्मिक अनुष्ठानों कों बनाए रखा जाए।
आधी सदी से भी पहले कोलकाता के भव्‍य आराधनालयों के आसन एक संपन्‍न भारतीय यहूदी समुदाय के सदस्‍यों से भरे होते थे। लेकिन आज यह मण्डली (Congregants) गायब है‚ और दो दर्जन से भी कम बचे हैं। लेकिन मुस्लिम परिवारों की कई पी‍ढ़ि‍याँ पूजा के घरों को बनाए रखना जारी रखती हैं।लगभग 1772 से 1911 तक‚ 140 वर्षों तक‚कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी रहा। पश्चिम बंगाल के मध्‍य में हुगली नदी (Hooghli River) के तट पर एक हलचल भरा वाणिज्यिक शहर था। बंगाल की खाड़ी से लगभग 150 किमी ऊपर की ओर इसकी रणनीतिक स्थिति ने न केवल व्‍यापार लाया‚ बल्कि कई विदेशी समुदायों को भी आकर्षित किया: चीनी(Chinese) से अर्मेनियाई(Armenians)तथा युनानियों (Greeks)तक‚ इस संपन्‍न शहर में प्रवास करने के लिए आये। इनमें मध्‍य पूर्व के यहूदी भी शामिल थे। कोलकाता में प्रवास करने वाला पहला यहूदी 1798 में शालोम कोहेन(Shalom Cohen) नाम का एक सीरियाई गहना व्‍यापारी था‚ जो धन की तलाश में आया था‚ जिसके बाद यहूदी अप्रवासी कोलकाता में बसने लगे। इसके बाद‚ मुख्‍य रूप से इराक(Iraq) और सीरिया (Syria)से‚ व्‍यवसाय करना तथा रेशम(silk)‚ नील(indigo) और अफीम(opium) का निर्यात कार्यशुरू हुआ। जैसे ही हीरे‚ रेशम‚ नील‚ अफीम और कपास के व्‍यापार में कोहेन की सफलता की खबर फैली‚ कोलकाता की यहूदी आबादी तेजी से बढ़ने लगी और 1900 के दशक की शुरूआत तक‚ हजारों यहूदी कोलकाता के कई हिंदुओं और मुसलमानों के साथ मिलजुल कर रहने लगे थे। 1800 के दशक के मध्‍य में‚ शहर के 3,000 यहूदियों की मेजबानी के लिए सभास्‍थ्‍ल भी बनाए गऐ थे। जहाँ अल्‍पसंख्‍यक समूह से प्रसिद्ध फिल्‍मी सितारे और तमाशा रानियों को निकला गया व मध्‍य पूर्वी और भारतीय स्‍वादों का सम्मिश्रण करते हुए‚ हाइब्रिड व्‍यंजनों (Hybrid Recipes) का अविष्‍कार भी किया गया था। दुसरे विश्‍व युद्ध के दौरान‚ यूरोप (Europe) से भागे यहूदियों ने कोलकाता में शरण ली। युद्ध के बाद‚ कोलकाता में लगभग 5,000 यहूदी रहते थे। 1940के दशक में समुदाय के चरम के दौरान‚ कोलकाता में पाँच सभास्‍थल थे‚ सा‍थ ही कई यहूदी व्‍यवसाय‚ समाचार पत्र और विद्यालय भी थे। लेकिन ब्रिटेन (Britain) से भारत की स्‍वतंत्रता के बाद, नयी सरकार के तहत देश की स्थिरता के बारे में अनिश्चितता ने भारत से यहूदियों के पलायन को प्रेरित किया। बैंकों और व्‍यवसायों का राष्‍ट्रीयकरण हो गया‚ और कई यहूदी संपत्ति के मालिक‚ उनकी संपत्ति को भारत सरकार द्वारा ले जाने के डर से पलायन कर गए।आज‚ जो कभी भारत का सबसे बड़ा यहूदी समुदाय था‚ व‍ह घटकर 24 से भी कम रह गया है‚ क्‍योंकि‍ कई यहूदी इजराइल (Israel)‚ अमेरिका (America)‚ ब्रिटेन (Britain)‚ कनाडा (Canada) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) में जाकर बस गए हैं।
आज भी कोलकाता में समर्पित मुस्लिम कार्यवाहक तीन सक्रिय सभास्‍थलों और उनकी घटती सभाओं की ओर रूख करते हैं। एक लघु फिल्‍म शोकेस (showcase) में चित्रित एक कुलपति‚ 60 वर्षों से कार्यवा‍हक रहा है। अब वह अपने दो बेटों के साथ काम साझा करता है। उनके बिना‚ एक यहूदी कोलकाता के अंतिम अवशेष गायब हो सकते थे।तीन आराधनालयों के अलावा‚ दो जिनमें जिनमें कोई यहूदी छात्र नहीं है और एक यहूदी कब्रिस्‍तान शहर में ही है। सभास्‍थलों में मण्‍डलियों की तुलना में अधिक पर्यटकों की मेजबानी होती है‚ फिर भी कार्यवाहक उन दिनों को याद करते हैं जब प्रार्थना अनुभाग भरे हुए होते थे। कई कार्यवाहक‚ जैसे सिराज खान‚ तीसरी पीढ़ी का मुस्लिम कर्मचारी‚ जिसका परिवार 120 से अधिक सालों से आराधनालय का रखरखाव कर रहा है‚ बेथ एल(Beth El) के कुछ शेष सदस्‍यों के साथ बड़े हुए हैं। कोलकाता के यहूदी समुदाय मामलों के महासचिव ए.एम कोहेन(AM Cohen) के अनुसार‚ सिराज और शहर के आराधनालय के अन्‍य मुस्लिम कार्यवाहक यहूदी परिवार का हिस्‍सा माने जाते हैं। हालांकि आज‚ कोलकाता की घटती यहूदी आबादी एक बहुत ही अनिश्चित भविष्‍य का सामना कर रही है। अब केवल कुछ उम्रदराज़ सदस्‍य बचे हैं‚ कोलकाता के अंतिम यहूदियों को डर है कि समुदाय का भविष्‍य कब्रगाहों और लुप्‍त होती सड़कों के नामों की स्‍मृति ना बन जाए।

संदर्भ:
https://bbc.in/3eBWhWE
https://on.natgeo.com/3hTA08w
https://bit.ly/3hRIhKd
https://bit.ly/3iqB6rK
https://bit.ly/36P116Y

चित्र संदर्भ

1. कोचीन में यहूदी तीर्थयात्रियों के आगमन का एक चित्रण (wikimedia)
2. भारत में यहूदी समुदायों का मानचित्र। धूसर रंग के लेबल प्राचीन या पूर्व-आधुनिक समुदायों को दर्शाते हैं जिसका एक चित्रण (wikimedia)
3. रब्बी सॉलोमन हलेवी (Rabbi Salomon Halevi ) (मद्रास सिनेगॉग के अंतिम रब्बी) और उनकी पत्नी रेबेका कोहेन, मद्रास के परदेसी यहूदीयों का एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM


  • लखनऊ की नवाबी संस्कृति को परिभाषित करती, यहां की फ़िज़ाओं में घुली,फूलों व् इत्र की सुगंध
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:24 AM


  • रक्षा क्षेत्र में, पूरे देश को आत्मनिर्भर बना रहा है, उत्तर प्रदेश
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:28 AM


  • शारदा सहायक परियोजना की नहरों ने, लखनऊ क्षेत्र के कई किसानों की मदद की है
    नदियाँ

     18-12-2024 09:28 AM


  • पक्षी जीवन से भरा हुआ है लखनऊ का प्राकृतिक परिदृश्य
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:32 AM


  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ से बचाव करना, आज के समय है आवश्यक
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:36 AM


  • आइए, कुछ सबसे लोकप्रिय यूरोपीय क्रिसमस गीतों का आनंद लें
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:47 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, लखनऊ के ग्रीन होम्स, कैसे कर रहे हैं, ऊर्जा की बचत
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:32 AM


  • आइए जानें, भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति तथा सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटना वाले शहरों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id