गंगा-जमुनी लखनऊ के रहने वालों का जीवन और आपसी रिश्तों का सुंदर विवरण पढ़े इन लघु कहानियों में

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22-11-2021 09:59 AM
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गंगा-जमुनी लखनऊ के रहने वालों का जीवन और आपसी रिश्तों का सुंदर विवरण पढ़े इन लघु कहानियों में

आमतौर पर "नवाबों के शहर" के नाम से जाना जाने वाला हमारा लखनऊ शहर, अपनी ऐतिहासिक विरासतों एवं सांस्कृतिक धरोहरों का भी धनी शहर है। यहां की सांस्कृतिक संपन्नता ने हमेशा से ही कला प्रेमियों सहित बुद्धिजीवी वर्ग को भी अपनी ओर आकर्षित किया है। इसी क्रम में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित, उत्कृष्ट लेखिका एवं सिविल सेवा में सेवा करने वाली पहली मुस्लिम महिला परवीन तलहा (Parveen Talha) ने भी, लखनऊ शहर के प्रति अपने एवं जिज्ञासा को प्रसिद्ध पुस्तक "फिदा-ए-लखनऊ" के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। फिदा-ए-लखनऊ का सारांश समझने से पूर्व हम इसकी लेखिका परवीन तलहा के बारे में जानना दिलचस्प है।
परवीन की उपलब्धियां अनंत हैं। अपने मूल किरदार में परवीन तलहा एक भारतीय सिविल सेवक के रूप में जानी जाती हैं, जिन्हे सिविल सेवा (Civil Service) में सेवा देने वाली पहली मुस्लिम महिला होने का गौरव प्राप्त हैं। वह संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की सदस्य बनने वाली पहली भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी (Indian Revenue Service officer) होने के साथ ही नारकोटिक्स (Narcotics) व्यापार को काम करने में भी अपनी सेवा देने वाली पहली महिला हैं। भारतीय सिविल सेवा में उनकी अहम भूमिकाओं के संदर्भ में, भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 2014 में चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। एक सफल सिविल सेवक होने के साथ ही वह एक कुशल लेखिका भी मानी जाती हैं। एक लेखक के तौर पर अपना भविष्य देखने के संदर्भ में अपने अनुभव साझा करते हुए उनका कहना है की, "मुझे लगता है कि देश के हर नुक्कड़ और कोने में ऐसी कहानियां हैं, जो बताए जाने की प्रतीक्षा कर रही हैं" इसलिए मैं अब लिखने के अपने जुनून को आगे बढ़ाउंगी। परवीन तल्हा का जन्म भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख शहर लखनऊ के प्रसिद्ध अवध परिवार में हुआ था। वे दो भाई-बहन थे। उनके भाई, ओसामा तल्हा था। जो आगे चलकर एक प्रमुख पत्रकार बने। हालांकि दुर्भाग्य से वर्ष 1995 में युवावस्था में ही उनके भाई की अकस्मात मृत्यु हो गई । उनके पिता, मोहम्मद तलहा, एक स्वतंत्रता सेनानी और एक प्रसिद्ध वकील थे। वे भारत की जंग-ए-आज़ादी अर्थात स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम् भागीदार भी रहे थे। जिन्होंने विभाजन के दौरान भारत में ही रहने का विकल्प चुना, जबकी उनके भाई पाकिस्तान चले गए।
परवीन ने अपनी स्कूली शिक्षा लोरेटो कॉन्वेंट हाई स्कूल (Loreto Convent High School) में की, जहाँ से उन्होंने सीनियर कैम्ब्रिज प्रथम श्रेणी में पास की और कॉलेज की पढ़ाई लोरेटो कॉलेज में जारी रखी। लखनऊ विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए पास करने के बाद, परवीन ने 1965 में एक व्याख्याता के रूप में विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। सिविल सेवक के रूप में परवीन तल्हा का योगदान सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादाई साबित हो सकता है। सेवा में रहते हुए उन्होंने हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में ड्रग तस्करों के खिलाफ सख्ती से बड़ा अभियान छेड़ दिया। उनके इस साहस से अफीम की खेती करने वाले भी हैरान थे, क्योंकि उन्होंने कभी भी उस स्तर पर एक महिला को नहीं देखा था।
परवीन तल्हा ने 1965 में लखनऊ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू किया, जहाँ उन्होंने 1969 तक काम किया। वह 1969 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुईं और राजस्व सेवा में प्रवेश करने वाली पहली मुस्लिम महिला बनीं। बाद में, उन्होंने मुंबई और कोलकाता में आयुक्तालयों में और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय में भी कार्य किया। अगले कदम के रूप में उन्हें केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (Central Narcotics Bureau,) की एकमात्र महिला अधिकारी के रूप में पहली बार लाया गया, जहां उन्हें तस्करों और नशीली दवाओं के तस्करों की संपत्तियों को जब्त करने का आधिकारिक, अधिकार (official authority) प्राप्त था। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में अपने सेवा देने के बाद, परवीन तलहा को उनके प्रशिक्षण विभाग में राष्ट्रीय सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और नारकोटिक्स अकादमी (NACEN) के महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें एनएसीएन को एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) का एक मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान बनाने का श्रेय भी दिया जाता है। पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में वह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने में सफल रही, जिससे एनएसीएन, ओजोन क्षयकारी पदार्थों और पर्यावरणीय अपराधों के नियंत्रण के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने वाली एकमात्र प्रशिक्षण अकादमी बन गई। एक सफल सिविल सेवक के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाली परवीन तलहा वर्ष 2004 में राजस्व सेवा से सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क की सबसे वरिष्ठ महिला अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुईं और 30 सितंबर 2004 को संघ लोक सेवा आयोग की सदस्य बनीं। तलहा यूपीएससी की सदस्य बनने वाली पहली आईआरएस अधिकारी और मुस्लिम महिला थीं। वह 3 अक्टूबर 2009 को सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुईं।
सार्वजनिक सेवा से सेवानिवृत्त होने के पश्चात, परवीन तल्हा ने लेखक का किरदार चुना। 2013 में, उन्होंने, फ़िदा-ए-लखनऊ - टेल्स ऑफ़ द सिटी एंड इट्स पीपल (Fida-e-Lucknow - Tales ofthe City and its People) नामक एक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में लखनऊ के परिदृश्य, 22 लघु कहानियों का संग्रह है। साथ ही इस पुस्तक को औपचारिक रूप से भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा जारी किया गया था। परवीन तल्हा की पहली किताब, फिदा-ए-लखनऊ के साथ-साथ उनकी दूसरी किताब, 'ए वर्ड ट्राईस यूटर्ड' (A word thrice uttered) में हिंदू-मुस्लिम पात्रों का बहुत ही चतुर चित्रण है। इस संदर्भ में टिपण्णी करते हुए वह कहती हैं की, उन्हें लखनऊ शहर से अत्यधिक प्रेम है। वह लखनऊ की 'गंगा-जमना तहज़ीब' से प्रेरित है। उनका मानना है की लखनऊ शहर "संयुक्त संस्कृति का क्रूसिबल (Crucible) है, जिसका अर्थ है कि वहां रहने वाले सभी समुदाय दूसरी संस्कृति का हिस्सा बन जाते हैं।" लघु कहानियों का यह संग्रह लखनऊ में जीवन के स्वाद और बनावट में डूबा हुआ है। इन कहानियों के माध्यम से बुना गया है इसकी गंगा-जमुनी संस्कृति का इतिहास, और स्वतंत्रता के बाद के समय में शहर और इसके लोगों में आए बदलाव। इन कहानियों का सच्चा नायक लखनऊ वाला है, जिसका स्नेह और निष्ठा, केवल समानों के संबंधों तक ही सीमित नहीं है, और धर्म कभी भी आड़े नहीं आता। फिदा-ए-लखनऊ, लखनऊ की महिलाओं की भी कहानी है।
परवीन तलहा का जानवरों से भी गहरा नाता है। तल्हा का मानना ​​​​है कि "प्रत्येक और सब कुछ, चाहे वह जीवित हो या ईश्वर द्वारा बनाई गई निर्जीव वस्तु, सभी कुछ सेवा करने का एक उद्देश्य है, और मनुष्यों को यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि यह केवल उनका है।

संदर्भ
https://bit.ly/30OTplt
https://bit.ly/3kWqNxq
https://bit.ly/3DDum31
https://bit.ly/3x6pFwd
https://bit.ly/3oPVWnj
https://bit.ly/3oKDfSd
https://bit.ly/3kWySCn
https://en.wikipedia.org/wiki/Parveen_Talha

चित्र संदर्भ 
  1. परवीन तलहा की पुस्तक फ़िदा-ए-लखनऊ - टेल्स ऑफ़ द सिटी एंड इट्स पीपल (Fida-e-Lucknow - Tales of the City and its People) को दर्शाता एक चित्रण (amazon)
2. मंच से सभा को संबोधित करती परवीन तलहा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (Central Narcotics Bureau) के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. फ़िदा-ए-लखनऊ पुस्तक को औपचारिक रूप से भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा जारी किया गया था, जिसको दर्शाता एक चित्रण (facebook)


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