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खनन प्रक्रिया के माध्यम से पृथ्वी के गर्भ से धातुओं, अयस्कों, औद्योगिक तथा अन्य उपयोगी
खनिजों को बाहर निकाला जाता है। इन सभी पदार्थों का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया
जाता है।लखनऊ की खनिज़ सम्पदा की बात करें तो भूगर्भशास्त्र अन्वेषण में यहाँ से गंगा के
साधारण कछार के अलावा कुछ भी महत्वपूर्ण खनिज़ या धातु नहीं मिला है। यहां से प्राप्त हुए
सभी खनिजों में कंकड़ सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्यूंकि इसे पुल, रास्ते एवं वास्तु निर्माण
के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कंकड़ से मिले चूना से लखनऊ के बहुत से रास्ते बनवाए गए
थे। आज भी स्थानीय रास्ते, वास्तु और बाकी बहुत सारे कामों के लिए इससे प्राप्त चूना का
इस्तेमाल किया जाता है। भट्टी में पिघलाए कंकड़ से मिले चूना का इस्तेमाल लिपाई-पुताई
आदि में किया जाता है। यहां मिलने वाली चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में
अधिकतर किया जाता है। यहां की रेह (क्षारीय मिट्टी) का इस्तेमाल कांच बनाने के लिए किया
जाता है। धोबी इसका इस्तेमाल साबुन के विकल्प के रूप में करते हैं। इस मिट्टी से खारी (सल्फेट
ऑफ़ सोडा), सज्जी (अशुद्ध कार्बोनेट ऑफ़ सोडा) और शोरा (साल्टपेटर) भी निकाला जाता है।
रेत गोमती नदी के किनारे काफी मात्रा में मिलती है और इसका इस्तेमाल वास्तु बनाने के लिए
किया जाता है।
खनन से प्राप्त होने वाला एक तत्व सोना भी है, जो कि भारत जैसे देश में महत्वपूर्ण स्थान
रखता है। कुछ समय पूर्व एक खनन अधिकारी ने यह घोषणा की थी कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के
खनिज समृद्ध जिले,सोनभद्र में लगभग 3,000 टन के सोने का भंडार मौजूद है। यह भारत के
618.2 टन के मौजूदा भंडार का पांच गुना है, जिसकी कीमत 12 लाख करोड़ रुपये से भी
अधिक हो सकती है।उत्तर प्रदेश के भूविज्ञान और खनन विभाग ने इलाके की मैपिंग और जियो-
टैगिंग के लिए जिले में एक टीम भेजी, जिसमें पाया गया कि सोनभद्र में दो ऐसे बड़े ब्लॉक हैं,
जहां सोना मौजूद है।सोना पहाड़ी प्रखंड में सोने का कुल अनुमानित भंडार 2,943 टन है।वहीं
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने यह अनुमान लगाया, कि हरदी ब्लॉक में एक और 646
किलोग्राम सोने का भंडार मिल सकता है। सोनभद्र में इतना बड़ा सोने का भंडार मिलने की
खबर के बाद से पूरे देश में लोग सोने से मालामाल होने के सपने देखने लगे थे किंतु भारतीय
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने ऐसी सभी खबरों का खंडन करते हुए उन्हें अफवाह करार दिया।भारतीय
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लगभग 3,000 टन सोने के
भंडार की कोई खोज नहीं हुई है।जिला खनन अधिकारी द्वारा किए गए दावे का खंडन करते हुए
जीएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, कुल 52806.25 टन अयस्क के कुल संसाधन से
लगभग 160 किलोग्राम सोना ही प्राप्त किया जा सकता है, 3,350 टन सोना नहीं।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council’s-WGC) के आंकड़ों के अनुसार,8,133.5 टन के
साथ सबसे बड़ा सोना भंडार अमेरिका (America) के पास है, इसके बाद 3,366 टन तथा
2,814 टन के साथ क्रमशः जर्मनी (Germany) और आईएमएफ (IMF) का स्थान है।2,451.8
टन और 2,436 टन के साथ क्रमशः इटली (Italy) और फ्रांस (France) शीर्ष पांच में शामिल
हैं।विश्व स्तर पर,खनिज उद्योग चुनौतीपूर्ण माहौल में काम कर रहा है। कम और अधिक
अस्थिर धातु की कीमतें, घटते अयस्क ग्रेड, उत्पादन लागत में वृद्धि, पर्यावरणीय दबाव और
बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा सभी इस क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। इसलिए खनिज उद्योग नई
तकनीक विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं,जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में मदद
करेगी।इन्हीं तकनीकों में से एक एक्स-रे (x-ray) तकनीक भी है,जो उत्पादकता बढ़ाने की क्षमता
रखती है।एक्स-रे के प्रभाव से सोने के परमाणु कुछ ही सेकंड में कमजोर रूप से रेडियोधर्मी हो
जाते हैं। एक अत्यधिक संवेदनशील डिटेक्टर सोने से निकलने वाले विकिरण को चयनित कर
लेता है, या पकड़ लेता है और कीमती धातु के स्तर को पढ़ लेता है। इस तकनीक का फायदा
यह है, कि ये बहुत सरल,गतिशील और सटीक है। आधा किलोग्राम तक की सामग्री को
प्लास्टिक जार में पैक किया जाता है और विश्लेषक में डाला जाता है। कुछ मिनट बाद,
विश्लेषण पूरा हो जाता है तथा नमूना अपरिवर्तित रहता है।चूंकि यह तकनीक गैर-विनाशकारी
है,इसलिए आवश्यकता होने पर प्रयोग किए गए नमूने का उपयोग अन्य परीक्षणों के लिए भी
किया जा सकता है।परमाणु विश्लेषण का उपयोग करने का मुख्य लाभ यह है कि यह सभी
प्रकार के सोने के प्रति संवेदनशील है।इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सोना किस रासायनिक या
भौतिक रूप में है, या नमूना ठोस अवस्था में है या तरल।सोने का 1% से भी कम हिस्सा तांबे
के गहरे भंडार में अयस्कों में जमा होता है।3 किलोमीटर तक की गहराई पर स्थित जमाव में,
इसकी दर 5% तक बढ़ जाती है। हालांकि यह हिस्सा बहुत कम है,क्योंकि 95% से अधिक
सोना हमेशा वातावरण में उत्सर्जित हो जाता है।तांबे के विपरीत सोना गहराई में नहीं बल्कि
सतह पर पाया जाता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3bM7SAD
https://bit.ly/3CULdxZ
https://bit.ly/3CT9m85
https://bit.ly/301FHuU
https://bit.ly/2Ynhdf0
https://bit.ly/3o84tSi
चित्र संदर्भ
1. कच्चे सोने के टुकड़े को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2 जमीन पर पड़े सोने के टुकड़ों को दर्शाता एक चित्रण (istock)
3. सोने की खदान को दर्शाता एक चित्रण (gettyimages)
4. सोने की खदान में प्रयुक्त होने वाली मशीन को दर्शाता एक चित्रण (thegoldmachine)
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