जगन्नाथ रथ पर्व के अवसर पर जानिए जगन्नाथ पुरी के रथों की उल्लेखनीय निर्माण प्रक्रिया

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
01-07-2022 10:29 AM
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जगन्नाथ रथ पर्व के अवसर पर जानिए जगन्नाथ पुरी के रथों की उल्लेखनीय निर्माण प्रक्रिया

जौनपुर के उर्दू चौराहा में श्री जगन्नाथ मंदिर में मनाए जाने वाले भव्य जगन्नाथ रथ उत्सव को देखने के लिए देश-दुनिया से लोग हमारे शहर में पधारते हैं। इस उत्सव का सबसे प्रमुख आकर्षण इनके रंगीन और विशालकाय रथ माने जाते हैं, जिनमें तीन प्रमुख देवताओं की प्रतिमाओं को सुसज्जित किया जाता है। लेकिन क्या आप इन आकर्षक रथों के निर्माण और निर्माताओं की स्थिति से अवगत हैं, जिनकी अद्भुत नक्काशी और रंग समझ, जगन्नाथ रथ उत्सव में जान फूंक देती है?
भारत में यह यात्रा मुख्य रूप से ओडिशा में जुलाई माह में आयोजित की जाती है। जगन्नाथ रथ यात्रा के मुख्य आकर्षण मंदिर के आकार के विशाल रथ होते हैं, जो जगन्नाथ मंदिर से तीन देवताओं को ले जाते हैं। यह रथ वास्तुशिल्प के चमत्कार माने जाते हैं, अतः निश्चित रूप से इन शानदार रथों के निर्माण की प्रक्रिया भी जटिल और विस्तृत होती है। हर साल नए रथों का निर्माण किया जाता है, और इन रथों को विशालता तथा भव्यता प्रदान करने के लिए लगभग 200 बढ़ई, सहायक, लोहार, दर्जी और चित्रकारों का कठिन परिश्रम और ईश्वर के प्रति अथाह समर्पण की आवश्यकता होती है। ये सभी 58 दिनों की सख्त समय सीमा के अनुसार अथक परिश्रम करते हैं तथा इन अजूबों का निर्माण करते हैं।
यह बेहद दिलचस्प है की, शिल्पकार इन रथों के निर्माण के लिए आज भी लिखित निर्देशों का पालन नहीं करते हैं। इसके बजाय, वह सारा ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने वंशजों को सौंपते हैं, जो उन्हें अपने पूर्वजों से मिला था। आज भी बढ़ई के केवल एक ही परिवार के पास, रथों के निर्माण का वंशानुगत अधिकार है।निर्माण की यह प्रक्रिया विभिन्न चरणों में होती है, जिसे प्रत्येक हिंदू कैलेंडर पर एक शुभ त्योहार के साथ मेल खाना चाहिए।
इन अद्भुत और विशालकाय रथों के निर्माण के कुछ प्रमुख चरण इस प्रकार हैं:
लकड़ी के टुकड़ों की आपूर्ति ओडिशा की राज्य सरकार द्वारा मुफ्त में की जाती है। उन्हें ज्ञान की देवी सरस्वती के जन्मदिन वसंत पंचमी (जिसे सरस्वती पूजा भी कहा जाता है) पर जगन्नाथ मंदिर कार्यालय के बाहर के क्षेत्र में पहुंचाया जाता है। यह सब जनवरी या फरवरी माह में होता है। रथ बनाने के लिए लकड़ी के 4,000 से अधिक टुकड़ों की आवश्यकता होती है, और सरकार ने 1999 में जंगलों को बचाए रखने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम भी शुरू किया। मार्च या अप्रैल में (भगवान राम के जन्मदिन) राम नवमी के अवसर पर चीरघरों में आवश्यक आकार के लट्ठों को काटने का काम शुरू हो जाता है।
पुरी में जगन्नाथ मंदिर के पास शाही महल के सामने रथ निर्माण होता है। यह सब विशेष रूप से अप्रैल या मई में शुभ अवसर अर्थात अक्षय तृतीया पर शुरू होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य फलदायी होता है। यह जगन्नाथ मंदिर में 42 दिवसीय चंदन उत्सव चंदन यात्रा की शुरुआत का भी प्रतीक होता है।
रथों का निर्माण शुरू करने से पहले, मंदिर के पुजारी पवित्र अग्नि अनुष्ठान करने के लिए एकत्र होते हैं। पुजारी, उज्ज्वल पोशाक पहने हुए, गाते हैं और मुख्य बढ़ई को देने के लिए फूलों की माला भी साथ में ले जाते हैं। तीनों रथों पर काम एक साथ शुरू और खत्म किया जाता है। रथों का निर्माण भगवान जगन्नाथ की बड़ी, गोल आंखों के साथ शुरू होता है। सभी तीन रथों के लिए कुल 42 पहियों की आवश्यकता होती है। चंदन यात्रा के अंतिम दिन पहियों को मुख्य धुरों से जोड़ा जाता है। ओडिशा के कारीगरों की शानदार शिल्प कौशल को उजागर करते हुए रथों की सजावट पर बहुत ध्यान दिया जाता है। लकड़ी को ओडिशा मंदिर वास्तुकला की डिजाइनों से प्रेरणा लेकर उकेरा जाता है। रथों के फ्रेम और पहियों को भी पारंपरिक डिजाइनों से रंगा जाता है। रथों की छतरियां लगभग 1,250 मीटर की बारीक कढ़ाई वाले हरे, काले, पीले और लाल कपड़े से ढकी होती हैं। रथों की यह ड्रेसिंग दर्जी की एक टीम द्वारा की जाती है, जो देवताओं के आराम करने के लिए कुशन का निर्माण भी करती है।
त्योहार शुरू होने से एक दिन पहले, दोपहर में, रथों को जगन्नाथ मंदिर के लायंस गेट (Lions Gate) के प्रवेश द्वार तक खींच लिया जाता है। अगली सुबह, त्योहार के पहले दिन (श्री गुंडिचा के रूप में जाना जाता है), देवताओं को मंदिर से बाहर निकाला जाता है और रथों में स्थापित किया जाता है।
रथ यात्रा समाप्त होने के बाद रथों का क्या होता है?
रथ यात्रा के बाद इन रथों को तोड़ दिया जाता है और लकड़ी का उपयोग जगन्नाथ मंदिर की रसोई में किया जाता है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से एक माना जाता है। भगवान जगन्नाथ को अर्पित करने के लिए, एक उल्लेखनीय 56 प्रकार के महाप्रसाद (भक्ति भोजन) आग पर मिट्टी के बर्तनों में तैयार किए जाते हैं। यहां के मंदिर की रसोई में प्रतिदिन 100,000 भक्तों के लिए खाना पकाने की क्षमता है। पुरी रथ यात्रा उत्सव में मंदिर के आकार के रथों का विशेष महत्व है। रथों की अवधारणा को पवित्र पाठ, कथा उपनिषद में बेहतर समझाया गया है। रथ शरीर का प्रतिनिधित्व करता है, और रथ के देवता, आत्मा का प्रतिनिधित्व करते है। बुद्धि उस सारथी के रूप में कार्य करती है जो मन और उसके विचारों को नियंत्रित करती है। इस वर्ष पुरी के जिला प्रशासन को दो साल बाद 1 जुलाई के दिन इस विशाल धार्मिक आयोजन में करीब 12 से 15 लाख लोगों की भीड़ जुटने की उम्मीद है। महामारी ने सरकार को 2020 और 2021 में रथ यात्रा में भक्तों की भागीदारी पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर कर दिया था। इस बार, भक्तों की संख्या पिछले वर्षों में भाग लेने वाले भक्तों की संख्या की तुलना में दो गुना बढ़ सकती है। जिला प्रशासन के अनुसार इस अवसर पर भक्तों के लिए आवास, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं, स्वच्छता, गतिशीलता और निर्बाध बिजली आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

संदर्भ
https://bit.ly/3AeRkOW
https://bit.ly/3OUlvPw
https://bit.ly/3AisvBQ

चित्र संदर्भ
1. निर्माणाधीन रथों, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रथ निर्माण में लगे मजदूरों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. रथ यात्रा के लिए एकत्र लकड़ियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. रथ यात्रा पुरी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

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