प्रसिद्ध भव्यता के वास्तुकार, भगवान जगन्नाथ के विश्वकर्मा कर रहे हैं निर्धनता में जीवन व्यतीत

जौनपुर

 12-07-2021 08:44 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

प्रत्येक वर्ष पुरी के जगन्नाथ रथ उत्सव को मनाने के लिए जौनपुर में उर्दू चौराहा में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।इस रथयात्रा में भगवान् जगन्नाथ, बालभद्र और देवी शुभद्रा तीनों को समर्पित तीन रथ होते हैं जिस पर क्रमशः तीनों देवता विराजित होते हैं और ये रथ पारंपरिक रूप से विशेष विश्वकर्मा सेवकों द्वारा बनाए जाते हैं। विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के दौरान दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों को वास्तुकार (विश्वकर्मा) द्वारा बनाए गए विशाल रथ मंत्रमुग्ध कर देते हैं। हालांकि इन मंत्रमुग्ध कर देने वाले रथों को देखकर अधिकांश लोगों को यह विश्वास नहीं होगा कि इतने भव्य वास्तुकला को बनाने वाले वास्तुकार एक निर्धनता का जीवन जी रहे हैं।
पुरी श्री मंदिर के विभिन्न अनुष्ठानों से जुड़े सेवकों के लगभग 120 समूहों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का 2013 में एक सर्वेक्षण में आकलन किया गया था, विडंबना यह है कि इस सर्वेक्षण से कुछ खास प्राप्त नहीं हुआ और श्रीमंदिर प्रशासन द्वारा एक और सर्वेक्षण कराए जाने के लिए कहा गया है। दरसल जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव के शुरू होने के बहुत पहले से ही रथों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाता है, ये रथ पुरी के प्राचीन भगवान् जगन्नाथ के मंदिर के आँगन में बनाए जाते हैं। पुरी में कोई भी इन रथों के निर्माण का कार्य नहीं कर सकता है, यहाँ पर सदियों से रथों का निर्माण विश्वकर्मा सेवक करते आ रहे हैं। हालांकि भगवान जगन्नाथ मंदिर की वार्षिक रथयात्रा के रथों के निर्माण की विधि कई ग्रंथों में मौजूद है, लेकिन विश्वकर्मा सेवक अपने पारंपरिक ज्ञान से ही इन रथों को बनाते हैं।
मुख्यतः इन रथों का निर्माण प्रत्येक वर्ष की अक्षय तृतीय के दिन से शुरू होता है। इन रथों को बनाने के लिए विशेष पेड़ों का चयन किया जाता है, और इन पेड़ों का चयन प्रत्येक वर्ष वसंत पंचमी के दिन से शुरू हो जाता है।रथ के लिए पेड़ों का चयन करने वाले इस दल को महाराणा कहा जाता है।इन रथों को बनाने के लिए आमतौर पर नीम और नारियल के पेड़ों का उपयोग किया जाता है, इन पेड़ों को मुख्य रूप से दसपल्ला जिले के जंगलों से ही लाया जाता है। विश्वकर्मा सेवक द्वारा इन पेड़ों को शास्त्रों में वर्णित विधान के आधार पर काटा जाता है, पेड़ों को काटने से ग्राम देवी की अनुमति ली जाती है और पहला पेड़ काटने के बाद पूजा होती है, हालांकि अन्य पेड़ों को काटने के बाद गांव के मंदिर में पूजा की जाती है, फिर इन्हें पुरी लाया जाता है। इन रथों के निर्माण के समय से ही चन्दन यात्रा की शुरुआत होती है तथा इन पेड़ों के तनों को मंदिर परिसर में रखकर पूजा आदि के बाद एक चांदी की कुल्हाड़ी से सांकेतिक रूप से काटा जाता है तथा फिर इनसे रथों का निर्माण किया जाता है।रथों को बनाने वाले विश्वकर्मा सेवक कई पुश्तों से यह काम करते आ रहे हैं। इनके पूर्वजों द्वारा भी यही कार्य किया जाता था, जिसके कारण रथ बनाने में इन लोगों को विशेष योग्यता हासिल है।इन रथों को बनाने वाले विश्वकर्मा सेवक आठ श्रेणियों में बंटे हुए होते हैं।ये सभी विश्वकर्मा सेवक अलग- अलग कला के जानकार होते हैं जैसे गुणकार, पहिमहाराणा, कमर कंट नायक/ ओझा महाराणा, चंदाकार, रूपकार और मूर्तिकार, चित्रकार, सुचिकार/दरजी सेवक और रथभोई आदि।
भगवान जगन्नाथ के रथ को गरुड़ध्वज, कपिध्वज, नंदीघोष जैसे नामों से जाना जाता है।
इनकी उंचाई परस्पर 13 मीटर (Meter), 13.2 मीटर 12.9 मीटर होती है। इनमें पहिये भी भिन्न भिन्न संख्या में मौजूद होते हैं, जैसे 16 पहिये, 14 पहिये और 12 पहिये।भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा को भक्तों द्वारा नंगे पांव रथ को खींच कर निकाला जाता है, वहीं रथ के आगे-आगे भक्त शोभायात्रा में विराजमान भगवान के स्वागत में सफाई करते हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3qYAbCG
https://bit.ly/3wuHlj5
https://bit.ly/3e3PPHG

चित्र संदर्भ
1. विशाल रथ पर चित्रकारी करते विश्वकर्मा सेवक का एक चित्रण (gaatha)
2. विशाल रथ का निर्माण करते विश्वकर्मा सेवक का एक चित्रण (gaatha) 3. विशाल रथ नंदिघोष का एक चित्रण (gaatha)



RECENT POST

  • खेत में गन्ने और चुकंदर से आपके खाने की मेज़ पर क्रिस्टल के रूप में, जानें चीनी की यात्रा
    वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

     09-11-2024 09:24 AM


  • एक लुप्तप्राय प्रजाति होने के कारण, भारत में प्रतिबंधित है लाल चंदन का व्यापार
    जंगल

     08-11-2024 09:22 AM


  • कैंसर जागरूकता दिवस पर जानें, कैंसर से प्रभावित व सामान्य कोशिकाओं के बीच मौजूद अंतर को
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     07-11-2024 09:17 AM


  • क्यूरियम: एक दुर्लभ तत्व की खोज और इसके उपयोग
    खनिज

     06-11-2024 09:11 AM


  • विदेशों से खरीदा गया कच्चा तेल, आपकी जेब को ठंडा कर रहा है !
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     05-11-2024 09:39 AM


  • चलिए जानते हैं, ट्रांसजेनिक जानवरों की अद्भुत दुनिया के बारे में
    डीएनए

     04-11-2024 09:19 AM


  • आइए जानें, क्यों नहीं लिया, भारत ने 1950 के फ़ीफ़ा विश्व कप में भाग
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     03-11-2024 09:23 AM


  • एक छोटे कारखाने से शुरू होकर, आज बाटा बन गया है, जूतों की दुनिया में एक महत्वपूर्ण ब्रांड
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     02-11-2024 09:11 AM


  • भाषा से वास्तुकला तक, देखे जा सकते हैं, भारत और फ़ारस के बीच ऐतिहासिक संबंध
    धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक

     01-11-2024 09:11 AM


  • जौनपुर में, दिवाली के अगले दिन श्रद्धा के साथ मनाई जाती है, गोवर्धन पूजा
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     31-10-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id