महामारी का भारतीय कला जगत पर प्रभाव

द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य
25-01-2022 09:39 AM
Post Viewership from Post Date to 25- Feb-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1435 128 1563
महामारी का भारतीय कला जगत पर प्रभाव

महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में हमारे आंतरिक और बाहरी संसार में बहुत कुछ बदल गया है‚ लेकिन जहां हम एक ओर अभी भी कोविड-19 की तीसरी लहर के खतरे के पीछे के उलझाव को पूरी तरह से समझने के लिए संघर्ष कर रहे हैं‚ वहीं दुसरी ओर कला की दुनिया धीरे-धीरे और लगातार अपनी पूर्व महिमा पर वापस आ रही है। दुनिया भर के कला व्यवसायियों‚ संगठनों और संस्थानों ने इस महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का बखूबी से सामना किया है। महामारी ने कला जगत और कलाकारों को ऑनलाइन प्लेटफार्म में शामिल होने का अवसर दिया है।
कलाकारों और संस्थानों ने महामारी के दौरान बड़े लचीलेपन के साथ डिजिटल ब्रह्मांड में कदम रखा है‚ भले ही वे फिर से लाइव होने की हड़बड़ी के लिए तरस रहे हों। शहरी भारत में कलाकार आसानी से ऑनलाइन दर्शकों तक पहुंचे‚ क्योंकि आभासी प्रदर्शन‚ वार्ता और कला पूर्वाभ्यास आदर्श बन गए‚ और ज़ूम (Zoom)‚ यूट्यूब (YouTube)‚ फेसबुक लाइव (Facebook Live) और इंस्टाग्राम (Instagram) नए स्थान बन गए हैं। मार्च 2020 में देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा के तुरंत बाद‚ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) (National Centre for the Performing Arts (NCPA)) ने एक डिजिटल श्रृंखला ‘एनसीपीए@होम’ (‘NCPA@home’) लॉन्च की‚ जिसमें उनके अभिलेखागार से सिग्नेचर प्रदर्शन प्रदर्शित किया गया था। यूथ थिएटर फेस्टिवल थेस्पो (Youth theatre festival Thespo) ने अपने तकनीक-प्रेमी युवा कलाकारों की ऊर्जा से प्रेरित होकर‚ लाइवस्ट्रीम प्रदर्शन (livestreamed performances) किया और अपना पॉडकास्ट और ऑनलाइन सामुदायिक नेटवर्क बनाया। बेंगलुरू में भी कला और फोटोग्राफी संग्रहालय (एमएपी) (Museum of Art & Photography (MAP)) ने अपने भौतिक लॉन्च को स्थगित कर दिया और इसके बजाय अपने संग्रह को डिजिटल रूप से प्रदर्शित किया। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) (Jaipur Literature Festival (JLF)) ने 27 मिलियन से अधिक वर्चुअल व्यूज हासिल किए और अपने शाशवत प्रशंसकों की खुशी के लिए संगीत समारोह‚ ‘NH7 वीकेंडर’ (NH7 Weekender) को 65‚000 से अधिक दर्शकों के लिए लाइवस्ट्रीम किया था‚ दर्शकों के घरों की सुरक्षा में प्रदान की जाने वाली वैकल्पिक बारटेंडिंग सेवा के साथ।
टी एम कृष्णा लिखते हैं‚ कि महामारी ने हमारे सांस्कृतिक स्थान की अपर्याप्तता‚ कलाकारों के लिए आर्थिक समर्थन की कमी और सोशल मीडिया को कला-निर्माण को निर्देशित करने की अनुमति देने के खतरों को उजागर किया है। इन दो साल की अवधि में जब हमारा सोशल मीडिया चेहरा हमारा वास्तविक व्यक्तित्व बन गया‚ तो कंटेंट क्रिएटर (Content Creator) और इन्फ्लुएंसर (Influencer) जैसे सोशल मीडिया द्वारा बनाए गए पोर्टफोलियो बहुत अधिक प्रभावशाली हो गए हैं। जो लोग इन उपाधियों से अलंकृत होते हैं‚ वे एक कलाकार की तरह व्यवहार करते हैं और ऐसी चीजें तैयार करते हैं जो कला से मिलती जुलती हों। लेकिन क्या वे कलाकार हैं और क्या वे कला बना रहे हैं? हमें कलाकार और सामग्री निर्माता के बीच अंतर करना होगा। सभी कलाकार सामग्री निर्माता हैं‚ लेकिन सभी सामग्री निर्माता कलाकार नहीं हैं। वे कहते हैं कि इस सब में कला कहाँ है? कुछ लोग मान सकते हैं कि यह चर्चा हाई-ब्रो एलीटिज़्म है। क्या हम कलाकारों को कला निर्माण की नैतिकता‚ उसकी सामाजिक स्थिति और भावनात्मक ऊर्जा पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है? आइए हम डिजिटल माध्यम को सोशल मीडिया सर्कस से न जोड़ें‚ वे एक जैसे नहीं हैं।
जब कला की मंशा बदल जाती है‚ तो कला का अनुभव मुड़ जाता है। मुझे इस बात की चिंता है कि जब लौकिक दुनिया सामान्य स्थिति में लौट आती है‚ तो जिस तरह से हम कला बनाते हैं और प्राप्त करते हैं वह विकृत हो जाता है। मैं इन विचारों को इस सुविधाजनक व्याख्या के साथ मिटा नहीं सकता कि यह एक प्रकार का विकास है। उन कलाकारों का क्या‚ जो संख्यात्मक रूप से सुनियोजित छिपे हुए तंत्र में काम करने में असमर्थ रहे हैं? उन्हें सिर्फ इसलिए पीछे छोड़ दिया गया क्योंकि उन्हें नहीं पता कि इस खेल को कैसे खेलना है। क्या हम सिर्फ यह कहने जा रहे हैं कि वे हार गए क्योंकि उन्होंने अनुकूलन नहीं किया? उनकी देखभाल करना और यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि उनके साथ अन्याय न हो। दुर्भाग्य से‚ शायद ही कभी हमने कला‚ कलाकारों या सौंदर्यशास्त्र के बारे में सामाजिक न्याय का रुख अपनाया हो।
कलाकृति आर्ट गैलरी (Kalakriti Art Gallery) में होने वाले प्रदर्शन ‘द अदर साइड’ (‘The Other Side’) में‚ भारत को अपना पहला इमर्सिव (immersive) और इंटरेक्टिव (interactive) आभासी आर्ट गैलरी अनुभव देने के लिए कला और प्रौद्योगिकी एक साथ आते हैं। यह प्रदर्शन चित्रकार मुजफ्फर अली के अभिनय को उजागर करने का एक प्रयास है‚ जिसमें प्राचीन दुनिया का आकर्षण‚ भव्यता‚ सुंदरता‚ कविता‚ व्यक्तिगत और पुरानी यादों के निशान शामिल हैं। यह सिनेमा से परे फिल्म निर्माता-लेखक की रचनात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करता है। मुजफ्फर अली एक फैशन डिजाइनर‚ पुनरुत्थानवादी‚ कवि और कलाकार भी हैं। कलाकृति आर्ट गैलरी की संस्थापक रेखा लाहोटी बताती हैं कि मुजफ्फर अली के साथ प्रदर्शनी की योजना पिछले दो सालों से बनाई जा रही थी‚ लेकिन महामारी के कारण इसे रोक दिया गया और अब जब कला परिदृश्य धीरे-धीरे जीवंत हो रहा है‚ तो हम सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शो कर रहे हैं। यह प्रदर्शनी आगंतुक या खरीदार अनुभव के डिजिटल परिवर्तन में एक अग्रणी कदम है‚ क्योंकि यह पूरी तरह से इंटरैक्टिव और एक वेबसाइट अनुभव से कहीं अधिक है। इस गैलरी ने आभासी वास्तविकता (वीआर) तकनीक के माध्यम से वास्तविक समय में कला को देखने का एक पूर्ण और इमर्सिव संवेदी अनुभव बनाने के लिए टेरापैक्ट (Terapact) के साथ भागीदारी की है‚ जिससे रीयल-टाइम 3 डी प्रदर्शनी(real-time 3D exhibition) और एक आर्ट गैलरी पूर्वाभ्यास सक्षम हो सके।
एक साधारण टच इंटरफेस (touch interface) या वीआर हेडसेट (VR headset) का उपयोग करके‚ आगंतुक पूरी तरह से आर्ट गैलरी का अनुभव कर सकते हैं‚ किसी भी गैलरी स्थान के माध्यम से चल सकते हैं‚ अंतर्निहित मीडिया सामग्री के साथ बातचीत कर सकते हैं और वास्तविक स्थान में कलाकृतियों की कल्पना कर सकते हैं और साथ ही पूछताछ या खरीदारी कर सकते हैं। ‘कादरी आर्ट गैलरी’ (Kadari Art Gallery) के संस्थापक सुप्रजा राव कहते हैं कि “दिलचस्प बात यह है कि महामारी के दौरान कला अच्छा प्रदर्शन कर रही है‚ लोगों को महंगे कपड़ों या गहनों की आवश्यकता नहीं है‚ क्योंकि इसमें भाग लेने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं। वे ज्यादातर घर पर रहकर‚ खाली दीवारों को घूरते रहते हैं‚ और इसने उन्हें एक सुंदर घर के महत्व को समझाया। इससे कला की बिक्री में वृद्धि शुरू हुई है और यहां तक कि जब गैलरी बंद थी‚ तब भी कलाकृतियां ऑनलाइन बेची गई।”
सुप्रजा ने बताया कि “मैंने महामारी के दौरान लक्ष्मण एले (Laxman Aelay’s) के काम की नई श्रृंखला को देखा। मैं उन्हें 90 के दशक से जानता हूं और हमेशा उनके काम करने के तरीके से प्यार करता हूं। लेकिन इस बार बात अलग थी‚ वो ब्लैक एंड व्हाइट ड्रॉइंग खास थीं‚ मुझे उनसे प्यार हो गया और मैंने एक विशिष्ट प्रदर्शनी की योजना बनाई। प्रारंभ में हमने एक आभासी प्रदर्शनी करने के बारे में सोचा‚ लेकिन कार्य इतने पेचीदा हैं कि वे भौतिक रूप से देखे जाने योग्य हैं।” लक्ष्मण कहते हैं‚ “यह नई श्रृंखला लॉकडाउन का नतीजा है‚ हम पर्याप्त कला आपूर्ति का स्रोत नहीं बना सके। मेरे पास केवल कागज और स्याही थी‚ और मैंने उनका उपयोग 60 चित्र बनाने के लिए किया था। उनमें से अठारह प्रदर्शन पर हैं‚ क्योंकि वे बहुत जटिल हैं और उन्हें अलग करने की आवश्यकता है। अन्य गैलरी की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं।” महामारी के कारण बंद कर दी गई “स्टेट गैलरी ऑफ आर्ट” (State Gallery of Art) ने भी फिर से अपने दरवाजे खोल दिए और अब ‘कलर्स ऑफ हार्मनी’ (Colours of Harmony) शीर्षक के साथ पेंटिंग्स‚ मूर्तियों और तस्वीरों की एक समूह प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहा है।
हैदराबाद भी “द सोसाइटी टू सेव द रॉक्स” (The Society to Save the Rocks) द्वारा “रॉक्स मैटर” (Rocks Matter) शीर्षक के साथ एक आभासी फोटो प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहा है। यह संगीता वर्मा और अशोक कुमार वूटला द्वारा क्यूरेट किया गया है और गोएथे-ज़ेंट्रम (Goethe-Zentrum) में हो रहा है। कलाकृति आर्ट गैलरी‚ “एंथोलॉजी ऑफ द न्यू” (Anthology of the New) नामक एक समूह प्रदर्शनी की भी मेजबानी कर रही है‚ जो कुछ सबसे प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा 60 से अधिक कलाकृतियों के माध्यम से समकालीन भारतीय कला की समृद्धि‚ विविधता और गहराई की एक झलक प्रदान करती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3rEPAIZ
https://bit.ly/3Kwnw3c
https://bit.ly/3Ir6Ub7

चित्र संदर्भ   
1. कंटेंट क्रिएटर (Content Creator) को दर्शाता एक चित्रण (stageten)
2. लाइवस्ट्रीम प्रदर्शन को दर्शाता एक चित्रण(The Japan Times)
3. ऑनलाइन प्रसारण देखते दर्शकों को दर्शाता एक चित्रण (MalayMail)
4. रीयल-टाइम 3 डी प्रदर्शनी को दर्शाता एक चित्रण (Travel + Leisure)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.