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भारत के ग्रामीण एवं शहरी इलाक़ों में बहुत सारे घर और वाणिज्यिक इमारतें ऐसी हैं जहाँ प्रचुर मात्रा
में सूरज की किरणें आती हैं।जिन इलाक़ों में सूरज की किरणें अधिक मात्रा में आती हैं वहाँ सोलर
पैनल स्थापित करके हम सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। इससे हम न केवल अपनी
बिजली में खर्च होने वाले पैसों को बल्कि पर्यावरण पर हो रहे नुकसान को काफी हद तक नियंत्रित
कर सकते हैं। जैसा कि सर्दी आ गई है, घरों के लिए सौर ऊर्जा समाधानों पर ध्यान देना आज भारत
में एक वास्तविकता बन रहा है। पानी गर्म करना और फोन को चार्ज (Charge)करने के अलावा, घरों
की छतों पर सौर ऊर्जा प्रणाली में निवेश करके एक टीवी (T.V) और एक बल्ब (Bulb) आसानी से
इस्तेमाल किया जा सकता है।कई लोग यह मानते हैं कि सर्दियों के महीनों में सौर ऊर्जा पैनल कम
प्रभावी हो जाते हैं, लेकिन यह सच नहीं है।हालांकि यह सच है कि प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश और यूवी
(UV) किरणों के संपर्क में आने पर सौर पैनलों का ऊर्जा उत्पादन अपने चरम पर होता है,
लेकिनतापमान सौर पैनल के समग्र प्रदर्शन में बड़ी भूमिका नहीं निभाता है।वहीं यदि सौर पैनलों
द्वारा दी जाने वाली ऊर्जा के उत्पादन की बात आती है तो ठंड का मौसम इसके लिए काफी
फायदेमंद हो सकता है। सौर पैनल अनिवार्य रूप से एक अन्य इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) उपकरण हैं,
जैसे कंप्यूटर (Computer), रेडियो (Radio) या घरेलू उपकरण। किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की
तरह, वे गर्म तापमान की तुलना में ठंडे मौसम की स्थिति में अधिक कुशलता से कार्य करते
हैं।आर्थिक दृष्टिकोण से घर या व्यापार मालिकों के लिए सौर पैनल स्थापित करने का सबसे अच्छा
समय सर्दियों के महीने भी हो सकते हैं।वहीं जैसा कि ठंड के समय में लोग सौर ऊर्जा लगाने की
मांग अक्सर काफी मंद होती है। इसलिए इसकी कीमत भी इन दिनों कम होती है। वहीं ठंडा तापमान
स्वयं सौर पैनलों (Panel) के लिए हानिकारक नहीं है,बल्कि ठोस जगहों पर ठंड के मौसम के प्रभावों
से सचेत रहने की आवश्यकता है।
साथ ही सोलर पैनल में कई तरह की दिक्कतें भी आती हैं। ये सभी दिक्कतें या तो क्षेत्र की वजह से
है या क्षेत्र का इनसे कोई संबंध नहीं है। सबसे आम समस्या जो क्षेत्र संबंधी न होकर सौर पैनलों में
देखी जाती है, वो निम्नलिखित है:
1. पैनलों पर हॉट स्पॉट (Hot spots ) :हॉट स्पॉट उच्च तापमान वाले हिस्से होते हैं जो सौर पैनल के
केवल एक हिस्से को प्रभावित करते हैं और इसके परिणामस्वरूप दक्षता में स्थानीय कमी होती है,
और इसलिए, उच्च तापमान से प्रभावित क्षेत्र में कम उत्पादन शक्ति और त्वरित सामग्री गिरावट
होती है।
2. सूक्ष्म दरारें :सूक्ष्म-फ्रैक्चर, जिसे सूक्ष्म-दरार के रूप में भी जाना जाता है, सौर सेल (Solar Cell)
गिरावट के एक रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। सौर सेल में उपयोग किया जाने वाला सिलिकॉन
(Silicon) बहुत पतला होता है, और गर्मी संबंधी साइकलिंग (Cycling) के परिणामस्वरूप फैलता
और सिकुड़ता है।
3. स्नैलट्रैल (Snail trails) संदूषण:स्नैलट्रैल पैनल का मलिनकिरण आम तौर पर मैदान पर बिजली
उत्पादन के कुछ वर्षों बाद उत्पन्न होता है।
4. संभावित प्रेरित गिरावट प्रभाव :संभावित-प्रेरित गिरावट तथाकथित बिखरे हुए विद्युत धाराओं के कारण
क्रिस्टलीय फोटोवोल्टिक मॉड्यूल (Crystalline photovoltaic modules) में एक संभावित-प्रेरित
निष्पादन गिरावट है।
5. आंतरिक जंग, प्रदूषण:आंतरिक क्षरण तब होता है, जब नमी मापांक के अंदर घुस जाती है।
वहीं भारत में सौर ऊर्जा भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के हिस्से के रूप में काफी तेजी से विकासशील
उद्योग है। 30 नवंबर 2021 तक देश की सौर स्थापित क्षमता 48.556 GW थी।भारत सरकार का
2022 के लिए 20 GW क्षमता का प्रारंभिक लक्ष्य था, जिसे निर्धारित समय से चार साल पहले
हासिल कर लिया गया था।2015 में 100 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखते हुए 2022
तक 100 गीगावाट सौर क्षमता (छत पर लगाने वाले सौर पैनल से 40 गीगावाट सहित) का लक्ष्य
बढ़ाया गया था।भारत ने सौर संयंत्रों के प्रवर्तकों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए लगभग 42 सौर
पार्क स्थापित किए हैं।भारत ने सौर संयंत्रों के प्रवर्तकों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए लगभग 42
सौर पार्क स्थापित किए हैं।नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा था कि 36.03 गीगावाट
(31 जनवरी, 2021 तक) सौर परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं और 23.87
गीगावाट निविदा प्रक्रिया में हैं।छत पर लगने वाले सौर ऊर्जा 2.1 गीगावॉट का उत्पादन करता है,
जिसमें से 70% औद्योगिक या वाणिज्यिक है।सौर उत्पादों ने ग्रामीण जरूरतों को पूरा करने में तेजी
से मदद की है; 2015 के अंत तक देश में सिर्फ दस लाख सौर लालटेन बेचे गए, जिससे मिट्टी के
तेल की आवश्यकता कम हो गई।उस वर्ष, एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत 1,18,700 सौर होम
लाइटिंग सिस्टम (Solar home lighting systems) स्थापित किए गए और 46,655 सौर स्ट्रीट
(Street) लाइटिंग स्थापना प्रदान किए गए; भारत में सिर्फ 14 लाख (1.4 मिलियन) से अधिक सौर
कुकर (Cooker) वितरित किए गए।भारत द्वारा संस्थापक सदस्य के रूप में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय
सौर गठबंधन का मुख्यालय भारत में है।
हालांकि सौर खंड उन्नत बैटरी (Battery) प्रौद्योगिकियों के लिए एक बड़ा बाजार अवसर प्रदान करता
है, निर्माताओं के पास बैटरी की तकनीकी सीमाओं को संबोधित करने के लिए कुछ पृष्टभूमि है, जैसे
चार्जिंग (Charging) विशेषताओं, गर्मी संबंधीनिष्पादन और गहनआवर्तन बैटरी चार्ज करने के लिए
बूस्ट करंट (Boost current) की आवश्यकताहोती है।चूंकि सौर कंपनियां निर्माताओं से सीधे बैटरी
खरीद सकती हैं और बिक्री के बाद सेवाओं और तकनीकी सहायता की आवश्यकता होती है, इसलिए
इन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए बैटरी कंपनियों की व्यापक उपस्थिति होनी चाहिए।इसलिए, ऊर्जा
भंडारण भारत के लिए एक विशाल आर्थिक अवसर का प्रतिनिधित्व करती है।वहीं भारत में मित्सुबिशी
इलेक्ट्रिक (Mitsubishi Electric) ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए समाधान लॉन्च (Launch) किए, जिसमें
हाई-स्पीड प्रोफेशनल पैकेज (M80 HS-Pro) के साथ, कंपनी की योजना बड़े पैमाने पर उत्पादन-
इलेक्ट्रॉनिक सेगमेंट (Electronic segment) को लक्षित करने की है। मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक
कम्प्यूटरीकृत न्यूमेरिकल कंट्रोलर (Mitsubishi Electric Computerized Numerical Controllers)
ने विभिन्न बाजार क्षेत्रों के लिए उन्नत पेशेवर पैकेजों के साथ एम80 (M80) श्रृंखला के तहत नए
समाधान लॉन्च किए। जापानी कंपनी का दावा है कि नई एम80 सीरीज सीएनसी (CNC) यह
सुनिश्चित करती है कि व्यवसाय तेजी से, सुचारू संचालन और बेहतर सज्जा प्राप्त करें, इस प्रकार,
संचालन के लिए उच्च उत्पादकता और लाभप्रदता को सक्षम बनाया जाता है।एम80 सीरीज़ (Series)
में पेश किए गए नए समाधान विभिन्न खंडों में हैं, जैसे - इलेक्ट्रॉनिक सेगमेंट (Electronic
Segment) के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन, मेडिकल सेगमेंट (Medical Segment) के लिए पुर्जों
का उत्पादन, जनरल मोल्ड सेगमेंट (General Mold Segment) के लिए डाई मोल्ड (Die Mold)
और हाई-एंड टर्न सेगमेंट (High-End Turn Segment) के लिए मल्टी-एक्सिस (Multi-Axis) का बड़े
पैमाने पर उत्पादन।इन समाधानों के लॉन्चपर, मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक इंडिया ने कहा, "मित्सुबिशी
इलेक्ट्रिक सीएनसी भारतीय विनिर्माण उद्योग को उन समाधानों के साथ मदद कर रहा है जो भारत
के विकास के लिए लक्षित क्षेत्रों को आवृत करते हैं, यह कदम सरकार के 'मेक इन इंडिया (Make in
India)' आंदोलन का समर्थन करने के लिए एक पहल है, जो संपूर्ण देश के निर्माता यह सुनिश्चित
करते हैं कि आत्मा निर्भार भारत भी उच्च गुणवत्ता वाला हो।"
संदर्भ :-
https://bit.ly/3GW0RL5
https://bit.ly/3e8Uzez
https://bit.ly/3HfgT2X
https://bit.ly/3mk84g8
https://bit.ly/3q5JgcA
चित्र संदर्भ
1. एक भारतीय की छत पर लगे सोलर पैनल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. सौर ऊर्जा से जलती लाइट को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. इमारतों की छत पर लगे सोलर पैनल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. सौर ऊर्जा भंडारण बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5.मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक (Mitsubishi Electric) कार को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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