सौर ऊर्जा भारत में तेजी से विकसित होने वाला उद्योग है। 29 फरवरी, 2020 को देश की सौर स्थापित क्षमता 34.404 GW (gigawatt) तक पहुंच गई। दुनिया भर में मात्र भारत ऐसा देश है, जहां सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की प्रति मेगावॉट पूंजी दर सबसे कम है। पूरे भारत में अक्षय ऊर्जा के लिए सौर सबसे आसानी से सुलभ ऊर्जा है क्योंकि यहां प्रतिवर्ष 300 से अधिक धूप वाले दिन होते हैं। सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता, खास तौर पर भारत की अनुकूल भौगोलिक स्थिति को देखते हुए अविश्वसनीय है। तुलना के लिए कैलिफोर्निया ने, जो कि क्षेत्रफल में भारत का 1/8 हिस्से के बराबर है, इस साल मार्च में 49.95% ऊर्जा की मांग सौर ऊर्जा से पूरी की है। सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए भारत के मुकाबले कैलिफोर्निया की भौगोलिक स्थिति ज्यादा अनुकूल नहीं है। मार्च 2019 में उत्तर प्रदेश में 960.10 मेगावाट सौर ऊर्जा की मदद से ऊर्जा की खपत पूरी की। व्यक्तिगत तौर पर अपनी छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की तकनीक और संयंत्र संबंधी आवश्यकता एवं खर्च का आकलन करके यह पता किया जा सकता है कि कैसे यह बिजली पर हो रहे खर्च को प्रभावित करता है। हाई पावर उपकरणों को सौर ऊर्जा कैसे साधती है ,यह भी जानने की आवश्यकता है।
लॉकडाउन के बाद क्यों आ रहे हैं लंबे बिजली बिल
लंबा बिजली का बिल देखकर पहले तो उपभोक्ता सकते में आ जाता है, फिर उसे याद आती है बिजली विभाग की- "पता नहीं किस का बिल थमा दिया है"! हालांकि कभी कभार गलत बिजली के बिल के किस्से भी सामने आते रहते हैं, लेकिन आमतौर पर ऐसा बड़े पैमाने पर नहीं होता। लॉकडाउन से लोगों की शिकायत आ रही है कि उनके लंबे बिजली के बिल आ रहे हैं। बड़े प्रतिष्ठित लोग भी ट्विटर पर इस तरह की शिकायत डाल रहे हैं। यह सही है कि बिल ज्यादा आ रहे हैं- मगर क्यों? बिजली के बिल में दो मद होते हैं- एक fixed charge जो कि महीने दर महीने नहीं बदलता, दूसरा है ऊर्जा चार्ज जो हमारे बिजली के इस्तेमाल के अनुसार बनता है। अपने देश में डिजिटल बिजली के मीटर का प्रचलन नहीं है, जिसमें मीटर रीडिंग सीधे बिजली विभाग चली जाती है। लॉक डाउन की वजह से मीटर रीडर का नियमित आना बंद हो गया है और औसत रीडिंग पर बिल आ रहे हैं।
क्या होती है औसत रीडिंग?
इसकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। जगह जगह पर अलग-अलग चलन है। यह 1 महीने की औसत रीडिंग हो सकती है( पिछले वर्ष के हिसाब से) या पिछले कुछ महीनों का औसत हो सकती है, या पिछले कुछ वर्षों का भी औसत हो सकती है। इसलिए इस बारे में अपनी बिजली वितरण कंपनी से बात करनी चाहिए कि औसत का मतलब वह क्या ले रही है। कौन से महीनों का औसत है यह बिल।
क्या फर्क पड़ता है महीने से?
हमारा बिजली का उपभोग साल भर बदलता रहता है। एयर कंडीशनर और पंखे गर्मियों में ज्यादा इस्तेमाल होते हैं, जड़ों में बहुत कम। इसी के अनुसार बिजली की खपत होती है, लेकिन औसत बिल किस मौसम का है, यह स्पष्ट नहीं होता।
क्या लॉकडाउन का प्रभाव है?
निश्चित रूप से प्रभाव पड़ा है। एक सामान्य परिवार में दिन में 8 से 10 घंटे पति-पत्नी काम से बाहर जाते थे, बच्चे स्कूल जाते थे। इससे बिजली की खपत कम होती थी। लॉकडाउन में सब घर पर हैं। एसी और पंखा, जिनके लंबे बिल आते हैं, उनका उपयोग बढ़ गया है। पिछले वर्ष के मार्च जून के मुकाबले इस वर्ष इन महीनों में बिजली ज्यादा इस्तेमाल हुई है।
कोविड-19 से बचाव से राहत क्या काफी नहीं है?
जी हां, हमें इस मामले में इस दृष्टि से भी सोचना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार ने अगले 5 वर्षों के लिए बिजली के बिलों पर 8% छूट की घोषणा की है। एक और बात भी है, लॉकडाउन में घर से दफ्तर/ स्कूल का काम करने से पेट्रोल/ इंधन का खर्च बच रहा है। इसलिए अगर कहीं ज्यादा खर्च हो रहा है, तो कहीं बचत भी हो रही है। इसलिए सकारात्मक होकर परिस्थिति का मूल्यांकन करें।
सौर ऊर्जा से कम हो सकते हैं बिजली के बिल
सौर ऊर्जा अक्षय ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है, इसके प्रयोग से हमारी दैनिक बिजली की खपत पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है। छोटे से छोटा LED उपकरण भी कुछ ना कुछ मात्रा में बिजली खर्च करता है। छत पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से हम बिजली का खर्च कम कर सकते हैं या हम कम्युनिटी रूफटॉप सोलर प्लांट (Community Rooftop Solar Plant) से बिजली खरीद भी सकते हैं। PTI की रिपोर्ट के अनुसार घरेलू स्तर पर रूफटॉप पैनल लगाकर हम 95% तक मासिक बिजली का बिल कम कर सकते हैं। यह रिपोर्ट CEEW ( काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर(Council on Energy, Environment and Water)) और बिजली वितरण कंपनी BYPL (BSES Yamuna Power Limited) के संयुक्त बयान पर आधारित है। इसमें यह भी बताया गया है कि इस बचत की गणना 25 साल तक चलने वाले इन सौर उपकरणों के आधार पर की गई है।
भारत में सौर ऊर्जा के लाभ
सौर ऊर्जा के कुछ लाभ इस प्रकार हैं-
यह कभी ना खत्म होने वाली ऊर्जा का स्रोत है और भारत के अन्य गैर नवीकरणीय (Non-renewable) ऊर्जा स्रोतों का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
सौर ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है। यह इस्तेमाल के समय कार्बन डाइऑक्साइड को CO2 या पर्यावरण को दूषित करने वाली गैस उत्सर्जित नहीं करती।
सौर ऊर्जा के अनेक उपयोग हैं- गर्म करना, सुखाना, खाना बनाना और बिजली से होने वाले अन्य कार्य। यह कार, हवाई जहाज, बड़ी बिजली से चलने वाली नांव, उपग्रह, केलकुलेटर और दैनिक शहरी उपयोग के अन्य उपकरणों में इस्तेमाल हो सकती है ।
सोलर पैनल कहीं भी लगाया जा सकता है।
भारत जैसे बिजली आपूर्ति की गंभीर स्थिति से जूझ रहे देश के लिए सौर ऊर्जा अमृत ऊर्जा है।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में सोलर पैनल और पवन चक्की दिखाई दे रही है। (Wikiwand)
दूसरे चित्र में सोलर पैनल और उस पर अवशोषित होती सूर्य किरणों को दिखाया गया है। (Freepik)
अंतिम चित्र में एक उद्यान में लगे सोलर ऊर्जा पैनल दिखाए गए हैं। (Peakpx)
सन्दर्भ:
https://www.bijlibachao.com/solar/running-air-conditioner-and-other-high-power-consuming-appliances-on-solar-pv.htm
https://en.wikipedia.org/wiki/Solar_power_in_India
https://www.thebetterindia.com/148960/solar-power-electricity-saving-news/
https://www.mapsofindia.com/my-india/india/scope-of-solar-energy-in-india-pros-cons-and-the-future
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