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भारतीय लोगों का "चाय के प्रति प्रेम" तो जग जाहिर है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि भारत में “कॉफ़ी (coffee)” को व्यावसायिक रूप से आजादी से पहले से बेचा जा रहा है। दरअसल 1936 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में देश का पहला इंडियन कॉफ़ी हाउस (Indian Coffee House) स्थापित किया गया था। आज हम इसके इतिहास के साथ-साथ यह भी जानेगे कि कैसे बुद्धिजीवियों का पसंदीदा रहा यह स्थान, देश के केंद्र में काबिज़ सत्ता को भी उखाड़ फैंकने का दम रखता था।
इंडियन कॉफ़ी हाउस क्या होते हैं?
“इंडियन कॉफ़ी हाउस भारत में मुख्य रूप से कॉफ़ी आधारित एक रेस्तरां श्रृंखला है, जिसके देश भर में लगभग 400 आउटलेट (Outlet) या यूं कहें शाखाएं हैं।” इसका संचालन श्रमिक सहकारी समितियों द्वारा किया जाता है। यह स्थान कई पीढ़ियों से कम्युनिस्ट (Communist) और समाजवादी आंदोलनों का केंद्र रहा है। भारत की राजनीति में कॉफ़ी हाउस की इस श्रृंखला ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में कॉफ़ी 16वीं सदी से भारतीयों द्वारा उगाई जाती रही है। हालाँकि, ब्रिटिश शासकों के बीच कॉफी हाउस की अवधारणा को 18वीं शताब्दी में मद्रास और कलकत्ता में ही लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन, ब्रिटिश शासकों की नस्लीय भेदभाव नीति की वजह से, भारतीयों को इन कॉफ़ी हाउसों में जाने की अनुमति नहीं थी।
इसी के मद्देनजर 1890 के दशक के अंत में, "इंडियन कॉफ़ी हाउस" श्रृंखला का विचार उभरा। इंडियन कॉफ़ी हाउस श्रृंखला, कॉफ़ी सेस कमेटी (Coffee Cess Committee) द्वारा शुरू की गई थी, और इसका पहला आउटलेट (Outlet) 1936 में बॉम्बे (मुंबई) में खोला गया था। इसके पहले आउटलेट को 'इंडिया कॉफ़ी हाउस (India Coffee House)' नाम दिया गया था, इसे 1936 में चर्चगेट, बॉम्बे (Churchgate, Bombay) में खोला गया था, और इसका संचालन भारतीय कॉफ़ी बोर्ड द्वारा किया जाता था। 1940 के दशक के दौरान पूरे ब्रिटिश भारत में लगभग 50 कॉफ़ी हाउस स्थापित हो चुके थे। विभाजन के बाद, पाकिस्तान को अपने प्रमुख शहरों में भारतीय कॉफ़ी हाउस की शाखाएँ विरासत में मिलीं और इस तरह बौद्धिक चर्चाओं को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक स्थान के रूप में कॉफ़ी हाउस ने अपनी विरासत को जारी रखा।
हालाँकि इंडियन कॉफ़ी हाउस शुरू में बहुत लोकप्रिय हुए, लेकिन 50 के दशक के मध्य तक ये भी संकट के बादलों से घिर गए। दरअसल कॉफ़ी बोर्ड ऑफ़ इंडिया (Coffee Board of India) ने इन श्रंखलाओं को बंद करने पर विचार करना शुरू कर दिया। कॉफ़ी हाउसों के बंद होने से सैकड़ों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता था। इसका रास्ता निकालने के लिए कम्युनिस्ट नेता, एके गोपालन (AK Gopalan) के साथ कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जवाहरलाल नेहरू से मिला। नेहरू ने सिफारिश की कि यहां कार्यरत श्रमिक, कॉफी हाउस चलाने के लिए एक सहकारी समिति बनाने पर विचार करें। जल्द ही इंडियन कॉफी वर्कर कोऑपरेटिव सोसाइटी (Indian Coffee Workers Cooperative Society) का निर्माण हुआ, जिसने बोर्ड से कारोबार को अपने हाथ में ले लिया। 1957 में इस सहकारी समिति के अंतर्गत पहला कॉफ़ी हाउस दिल्ली के कनॉट प्लेस (Connaught Place) की थिएटर कम्युनिकेशन बिल्डिंग (Theater Communication Building ) में खोला गया था। जल्द ही, देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी कई सोसायटियां बन गईं और कई इंडियन कॉफ़ी हाउस आउटलेट खुल गए। अपने गर्मजोशी भरे माहौल और उचित मूल्य वाली मेनू के कारण, इन प्रतिष्ठानों में हर तरह के लोगों का आना-जाना शुरू हो गया।
कोलकाता के प्रसिद्ध कॉलेज स्ट्रीट कॉफ़ी हाउस (College Street Coffee House) में, सत्यजीत रे, मृणाल सेन और सुनील गंगोपाध्याय जैसे कई प्रतिष्ठित लोगों का आना जाना लगा रहता था।
कॉफ़ी हाउस अपने कर्मचारियों के लिए अद्वितीय ड्रेस कोड के लिए जाना जाता है, जो इसकी सभी शाखाओं में एक समान है। नए कर्मचारी आमतौर पर सफेद शर्ट, सफेद पतलून और गांधी टोपी पहनकर सफाईकर्मी के रूप में शुरुआत करते हैं। पदोन्नती होने के बाद वे अपनी वर्दी में एक हरे रंग की बेल्ट और हरे बैंड के साथ एक पगड़ी जोड़ लेते हैं। अगला पद प्रधान सहायक वाहक का होता है, जो अपनी छाती पर हरे रंग का पट्टा (ब्रेस्टप्लेट के समान) या अपनी कमर के चारों ओर एक सैश पहनता है, और उनकी पगड़ी के हरे बैंड को एक सुनहरा बॉर्डर मिलता है।
इंडिया कॉफ़ी हाउस को केवल एक व्यवसाय तक ही सीमित नहीं है। यहां के कर्मचारियों का लक्ष्य केवल लाभ अर्जित करने का नहीं होता है। वे नियमित ग्राहकों के साथ अपने संबंधों और अपने शहरों में कॉफी हाउस के सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा भी देते हैं।
60 और 70 के दशक में, कॉफ़ी हाउस एक ऐसी जगह बन गई थी, जो बातचीत, विचारों और ताज़ी बनी कॉफी की सुगंध से गुलजार रहती थी। दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित कॉफ़ी हाउस में कई राजनेताओं, बुद्धिजीवियों और कलाकारों का आना जाना लगा रहता था। यहां वे इकट्ठे होते थे, कॉफ़ी पीते थे और विविध विषयों पर चर्चा करते थे। उनकी चर्चाओं में राजनीति से जुड़े संवेदनशील मुद्दे भी शामिल होते थे। इसी दौरान जनता के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा। कॉफ़ी हाउस कई नामी और प्रतिष्ठित कार्यकर्ताओं के लिए प्रमुख बैठक स्थल बन गया। यहां आकर लोग सरकार के प्रति अपना असंतोष व्यक्त करने लगे थे।
फिर आया 1975 यानी आपातकाल का वर्ष। इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने भांप लिया कि कॉफ़ी हाउस, सरकार विरोधी गतिविधियों को हवा देने का काम कर रहा है, इसलिए उन्होंने दिल्ली के इस कॉफी हाउस को ध्वस्त करा दिया। हालाँकि, इसके तुरंत बाद इसे एक नए स्थान पर फिर से खोल दिया गया। हालांकि कनॉट प्लेस (Connaught Place) के मध्य में स्थित इसकी मूल इमारत को ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद कॉफ़ी हाउस को मोहन सिंह प्लेस (Mohan Singh Place) में फिर से शुरू किया गया, जहां यह आज भी खड़ा है। कॉफ़ी हाउस मोहन सिंह प्लेस की सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित है, जिसकी निचली मंजिल पर एक कपड़ों का बाजार है। इसका निर्माण 1969 में कराया गया था और अब यह दिल्ली के मुख्य कॉफ़ी हाउस के रूप में स्थापित हो चुका है। इंडियन कॉफ़ी हाउस की दिल्ली शाखा की मेनू में चाय और स्नैक्स (Snacks) जैसे डोसा, ऑमलेट (omelette) और फ्रेंच फ्राइज़ (French fries) उपलब्ध हैं। आज भी यहाँ पर एक कप कॉफ़ी की कीमत 40 रुपये है। आज, पूरे भारत में इंडियन कॉफ़ी हाउस की 400 शाखाएँ खुल चुकी हैं, जिनमें से प्रत्येक शाखा देश की अमूल्य विरासत का प्रतिनिधित्व करती है। इनमें से कुछ आउटलेट अपनी विरासत के कारण लगातार फल-फूल रहे हैं, जबकि अन्य कॉफी श्रृंखलाओं की बढ़ती संख्या के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
संदर्भ
http://tinyurl.com/yc4sacvy
http://tinyurl.com/3j8wrp2m
http://tinyurl.com/45vykvrm
चित्र संदर्भ
1. मेहमानों से गुलज़ार इंडिया कॉफ़ी हाउस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बेंगलुरु के इंडियन कॉफी हाउस में पगड़ी वाले वेटर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. थंपनूर.में इंडियन कॉफी हाउस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. इंडियन कॉफी हाउस के बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कनॉट प्लेस में इंडियन कॉफी हाउस को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
6. दिल्ली के इंडियन कॉफ़ी हाउस में परोसी जाने वाली मेनू को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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