अवध और रोहिलखंड रेलवे की स्थापना 1872 में भारतीय रेल शाखा कंपनी के उपक्रम अंतर्गत हुई थी। इसका मुख्यालय लखनऊ में स्थित था। सन 1888 में सरकार ने अवध और रोहिलखंड रेलवे को अपने अधिकार में कर लिया और 1 जुलाई 1925 को ईस्ट इंडियन रेलवे में इसका विलय हो गया था।
सन 1894 में बरेली-मोरादाबाद रेलवे कडी की स्थापना के दौरान रामपुर को भी शामिल किया गया। यह रेल सेवा ज़िले में तक़रीबन 25 मील चलती थी। रामपुर, धमोरा और मिलक यह रामपुर ज़िले के रेल स्थानक थे तथा रामपुर नवाब के लिए एक अलग स्थानक का निर्माण किया गया। लार्ड कर्ज़न के संग्रह में से ‘रामपुर चित्रावली’ में नवाब के इस रेल स्थानक का छायाचित्र मौजूद है। इसे किसी अनजान छायाचित्रकार ने सन 1905 में खिंचा था। यह चित्रावली नवाब हामिद अली खान ने 8 जून 1905 में कर्ज़न को भेंट किया था।
रेलवे के निर्माण से रामपुर में व्यापार में बढ़ोतरी हुई तथा ज़िले की आमदनी में इजाफा हुआ। रेलवे के आने के बाद यातायात, संचार-संपर्क, आयात में बढ़ोत्री हुई तथा नौकरियों में इजाफा हुआ।
आज रामपुर की यह धरोहर खाक में मिल रही है। प्रस्तुत चित्र को देखा जाए तो यह साफ़ दिख रहा है की नवाब के रेल के डिब्बे और स्थानक का इस्तेमाल एक गोदाम की तरह हो रहा है तथा वह बुरी तरह से बहुत जगह ढह चूका है और ढह रहा है। रेल के डिब्बे सड रहे हैं। प्रस्तुत चित्र देखें तो आपको इस का अंदाज़ा लग सकता है, चित्र 1 रामपुर रेलवे स्थानक का है और चित्र 2 नवाब के रेलवे स्थानक और रेलडिब्बे का है।
अगर इस दरोहर को सहेजकर रखें और थोड़ा काम कराएं तो पर्यटन के लिए अच्छा साबित हो सकता है जिसके अंतर्गत विरासत-सैर, संग्रहालय आदि का निर्माण किया जा सकता है। इससे रोजगार भी बढ़ सकता है और रामपुर शहर तथा ज़िले की आमदनी भी।
1. रामपुर स्टेट गज़ेटियर 1911
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Oudh_and_Rohilkhand_Railway
3.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/n/019pho000430s42u00049000.htm
4.http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/n/019pho000000036u00047000.html
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