Post Viewership from Post Date to 28-Dec-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2747 207 2954

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब: रामपुर के निकट ऐतिहासिक स्थल जहां स्वयं गुरु नानक जी पधारे थे

रामपुर

 27-11-2023 09:55 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

आप हमारे रामपुर में कई ऐतिहासिक और खूबसूरत गुरुद्वारों को देख सकते हैं। रामपुर में हर साल, सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी महाराज के प्रकाशोत्सव पर प्रभात फेरी का भी आयोजन किया जाता है। हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे रामपुर के पास ही नानकमत्ता साहिब भी है, जहां पर स्वयं गुरु नानक देव जी पधारे थे। गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित है। यह पवित्र स्थल सिख समुदाय के बीच बहुत महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी ने 1514 ईस्वी में कैलाश पर्वत की यात्रा (उदासी) के दौरान नानकमत्ता में ही विश्राम किया था। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार इस स्थान को पहले “गोरखमाता” के नाम से जाना जाता था, लेकिन गुरु नानक देवजी की यात्रा के बाद, इसका नाम बदलकर “नानकमत्ता” कर दिया गया, जिससे शहर की पहचान में गुरु की विरासत हमेशा के लिए अंकित हो गई। रुद्रपुर से लगभग 56 किलोमीटर दूर स्थित, नानकमत्ता में आध्यात्मिक सांत्वना और शांति की तलाश में दूर-दूर से भक्त आते हैं। खटीमा से लगभग 18 किलोमीटर और सितारगंज से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, नानकमत्ता, गुरुद्वारा, गुरु नानक देवजी के प्रेम, समानता और सार्वभौमिक भाईचारे की शिक्षाओं के प्रमाण के रूप में खड़ा है।
गुरु नानक देव जी अपनी तीसरी उदासी के दौरान यहां आए थे। उस समय तक, यह स्थान सिद्धों (योगियों - गुरु गोरखनाथ के भक्तों) का निवास स्थान हुआ करता था और इसे गोरख माता के नाम से जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि यहां रहने वाले सिद्ध, यह नहीं चाहते थे कि यहां के स्थानीय लोग इतने विद्वान बन जाएं कि उनकी ही श्रेष्ठता को चुनौती देना शुरू कर दें। इसलिए, उन्होंने अपनी गुप्त शक्तियों का उपयोग करके गरीब लोगों का शोषण किया। हालांकि बाद में यहां पधारे गुरु नानक देव जी ने योगियों को सच्चे ध्यान और मोक्ष का मार्ग दिखाया। इसके बाद इस स्थान को नानक मत्ता के नाम से जाना जाने लगा। आज यहां मौजूद नानक मत्ता गुरूद्वारे और आस-पास के अन्य गुरुद्वारों, खेतों, दान, डेयरी और उद्यान आदि की संपत्तियों और संसाधनों का प्रबंधन गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (जीपीसी) द्वारा किया जाता है। जीपीसी इन संसाधनों का उपयोग सिख धर्म मजबूत करने तथा मानवता की मदद करने के लिए करती है।
नानक मत्ता साहिब गुरुद्वारे की वास्तुकला, सिख और मुगल शैलियों के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण को दर्शाती है। इसकी जटिल नक्काशी और सुनहरे गुंबदों से सजी भव्य सफेद संगमरमर की संरचना, भव्यता और आध्यात्मिकता की आभा बिखेरती है। यहां पर दुनिया भर से श्रद्धालु आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद की आस में आते रहते हैं। गुरुद्वारे की दैनिक दिनचर्या में सुबह की प्रार्थना, दोपहर के प्रवचन और शाम के कीर्तन सत्र शामिल हैं, जो आध्यात्मिक शांति पाने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। गुरुद्वारा नानक मत्ता, न केवल सिख पूजा स्थल के रूप में, बल्कि सामुदायिक जुड़ाव और सामाजिक सेवा के केंद्र के रूप में भी कार्य करता है। इस गुरुद्वारे में आयोजित होने वाले लंगर में आने वाले सभी जातियों और धर्मों के आगंतुकों को उनकी आस्था या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है। शांति और एकता के प्रतीक के रूप खड़ा गुरुद्वारा नानक मत्ता, उन सभी के लिए आशा और प्रेरणा की किरण है जो आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन में गुरु का मार्गदर्शन चाहते हैं। इसकी स्थायी विरासत अनगिनत लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है, समुदाय की भावना को बढ़ावा दे रही है और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा दे रही है।
गुरुद्वारा नानक मत्ता की एक और बड़ी विशेषता, गुरूद्वारे से थोड़ी ही दूरी पर मौजूद “नानक सागर” भी है। नानक सागर देवहा नदी पर बने बांध द्वारा बनाई गई एक कृत्रिम झील है। खटीमा रेलवे स्टेशन से 14 किलोमीटर दूर पश्चिम में देवहा नदी पर बने नानक सागर बाँध को “नानक सागर योजना नहर” के तहत बनाया गया है। इसी योजना के तहत दूसरा बाँध नैनीताल जिले में किच्छा तहसील से 6 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में भी बनाया गया है। इन बाँधों से नहर निकालकर आसपास के खेतों में सिंचाई की जाती है। नानक सागर का शांत वातावरण शहर के लिए एक सुरम्य पृष्ठभूमि के रूप में काम करता है। इस बांध के पानी का प्रयोग आसपास के किसान खेती में सिंचाई के लिए करते हैं। हालांकि तेज़ बरसात के दिनों में नानकमत्ता के नानक सागर बांध के सभी गेट खोल दिए जाते हैं। कई बार छोड़ा गया यह अतिरिक्त पानी आसपास के निवासियों के लिए सिरदर्द बन जाता है। ऐसी स्थिति में आसपास के मैदानों में रहने वाले लोगों को ऊंचाई पर जाने के निर्देश दे दिए जाते हैं। कुल मिलाकर रामपुर के निकट स्थित यह क्षेत्र आध्यात्मिक शांति से लेकर प्राकृतिक आनंद तक सब कुछ प्रदान कर सकता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4vzkbypt
https://tinyurl.com/46fkpmv9
https://tinyurl.com/yc6nrmay
https://tinyurl.com/musthf64
https://tinyurl.com/ymvd4hmr

चित्र संदर्भ
1. गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. गोरखनाथ के गणों और गुरु नानक को दर्शाता एक चित्रण (Collections - GetArchive)
3. नानकमत्ता साहिब प्रांगण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. नानकमत्ता साहिब प्रांगण में जलाशय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. नानक सागर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id