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नवरात्रि में पाएं देवी सती यथा दुर्गा मां को समर्पित शक्ति पीठों से उनका आशीर्वाद

रामपुर

 17-10-2023 10:08 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

अभी,नवरात्रि का त्यौहार चल रहा है। अतः मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के बारे में हर कोई जान लेता है और नवरात्रि में मां के इन्हीं रूपों की आराधना भी की जाती है। साथ ही, इस त्यौहार के दौरान मां दुर्गा के शक्ति पीठों का एक अलग ही महत्व हो जाता है।
शक्तिपीठ देवी-केंद्रित संप्रदाय, ‘शक्तिवाद’ में महत्वपूर्ण मंदिर और तीर्थ स्थल हैं। ये मंदिर आदि शक्ति देवी के विभिन्न रूपों को समर्पित हैं। श्रीमद देवी भागवतम जैसे विभिन्न पुराणों में, विभिन्न संख्या में, जैसे कि, 51, 52, 64 और 108 शक्ति पीठों का अस्तित्व बताया गया है। इनमें से 18 पीठों को मध्ययुगीन हिंदू ग्रंथों में,अष्टादश महा (प्रमुख) के रूप में नामित किया गया है। देवी भागवत में, 108 एवं देवी गीता में 72 शक्ति पीठों का वर्णन मिलता है, जबकि, तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्ति पीठ बताए गए हैं। देवी पूजा के इन ऐतिहासिक स्थलों में से अधिकांश पीठ भारत में हैं।लेकिन, बांग्लादेश में सात, पाकिस्तान में तीन, नेपाल में तीन और तिब्बत, श्रीलंका एवं भूटान में भी एक-एक शक्ति पीठ पाए जाते हैं।
विभिन्न किंवदंतियां भी प्रचलित हैं, जो शक्ति पीठों के अस्तित्व में आने की कहानियां बताती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती, देवी सती की मृत्यु की कहानी पर आधारित है। उनकी मृत्यु पर, दुख से पीड़ित, भगवान शिव जी ने (जो सती के पति थे), सती के मृत शरीर को उठाया, तथा देवी के साथ बिताए गए, अपने क्षणों को याद करते हुए, तांडव किया एवं वह पूरे ब्रह्मांड में घूमते रहे। अतः श्री विष्णु ने, अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग करके देवी सती के शरीर को 51 भागों में काट दिया। माना जाता है कि, जहां–जहां इस तरह देवी सती के अंग,वस्‍त्र और गहने पृथ्वी पर गिरे थे,वह पवित्र स्थल बन गए, जहां सभी लोग देवी को श्रद्धांजलि दे सकते थे।
क्या आप जानते हैं कि, महाराष्ट्र राज्य में साढ़े तीन शक्ति पीठ मौजूद हैं? दरअसल, ये देवी के चार मंदिर हैं। आइए, जानते हैं।महालक्ष्मी अंबाबाई, कोल्हापुर: कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी या अंबाबाई मंदिर, स्कंद पुराण में सूचीबद्ध 18 महा शक्ति पीठों में से एक और 52 शक्तिपीठों में से भी एक है। यह वह स्थान है, जहां मां सती की तीन आंखें गिरी थीं। कोल्हापुर शक्ति पीठ विशेष धार्मिक महत्व रखता है,क्योंकि, माना जाता है कि, यहां व्यक्ति या तो इच्छाओं से मुक्ति प्राप्त कर सकता है या उन्हें पूरा कर सकता है। कोल्हापुर पीठ को करवीर पीठ या श्री पीठम के नाम से भी जाना जाता है। पूरे महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना से हर वर्ष लाखों भक्त इस मंदिर में आते हैं। तुलजाभवानी, तुलजापुर: तुलजापुर में स्थित, तुलजा भवानी मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है। यहां मां पार्वती अपने तुलजा भवानी रूप में रहती हैं।वह भारत की संरक्षक देवी अर्थात कुलस्वानिमी भी हैं। इसे 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। रेणुका देवी, माहुरगड़: रेणुका या रेणु देवी की पूजा,मुख्य रूप से महाराष्ट्र में की जाती है। “रेणु” का अर्थ “परमाणु/ब्रह्मांड की माता” है।इसके अलावा, इस देवी की पूजा आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी की जाती है।महाराष्ट्र के माहुर में स्थित, रेणुका देवी का मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है। माता रेणुका का एक अन्य मंदिर,कोंकण क्षेत्र में स्थित है, जिसे पद्माक्षी रेणुका के नाम से भी पूजा जाता है। सप्तश्रृंगी, सप्तश्रृंगी गड़: सप्तश्रृंगी गड़ महाराष्ट्र के नासिक शहर से, 60 किलोमीटर दूर स्थित एक शक्ति पीठ है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी सप्तश्रृंगी निवासिनी सात पर्वत चोटियों के भीतर निवास करती हैं(सप्त का अर्थ है, सात और श्रृंग का अर्थ है,शिखर)। हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस स्थान पर आते हैं।यह मंदिर भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है और यह वह स्थान है जहां,मां सती की दाहिनी बांह गिरी थी। महाराष्ट्र के साढ़े तीन शक्ति पीठों में से यह एक अर्धशक्तिपीठ है। इसके अलावा, देवी मां के कुछ प्रमुख शक्तिपीठ निम्नलिखित हैं: कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी: असम में,गुवाहाटी के निकट कामाख्या में,यह मंदिर स्थित है, जो कि, देवी सती को समर्पित है। एक पौराणिक सत्य है कि,अम्बूवाची पर्व के दौरान मां भगवती रजस्वला होती हैं, और उनकी गर्भ गृह स्थित महामुद्रा(योनि-तीर्थ) से तीन दिनों तक निरंतर जल-प्रवाह के स्थान से, रक्त प्रवाहित होता है। कालीघाट शक्तिपीठ, कोलकाता: प्रमुख शक्तिपीठों में कालीघाट की मां काली अन्यतम हैं। कालीघाट में मां सती के दाहिने पांव की चार अंगुलियां गिरी थीं। पुराणों में, मां काली को शक्ति का रौद्रावतार माना जाता है। हिंगलाज भवानी, पाकिस्तान: हिंगलाज माता मंदिर, पाकिस्तान में,हिंगोल नदी के तट पर हिंगलाज में स्थित एक शक्ति पीठ मंदिर है। यह 52 शक्ति पीठों में से एक है और कहा जाता हैं कि, यहां सती माता का ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था। अम्बाजी मंदिर, गुजरात: अम्बाजी माता मंदिर, गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरासुर पर्वत पर स्थित है। अरासुरी अम्बाजी मंदिर में कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है, बल्कि यहां मुख्य आराध्य रूप में, केवल एक पवित्र श्रीयंत्र की पूजा की जाती है। देवी तालाब मंदिर, जालंधर: जालंधर में स्थित यह मंदिर, 52 शक्ति पीठों में से एक है। इस स्थान पर, देवी सती का बांया वक्ष गिरा था। गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल: गुजयेश्वरी मंदिर, काठमांडु, नेपाल में स्थित एक शक्ति पीठ मंदिर है। यहां मां सती के शरीर के दोनो घुटने गिरे थे। यहां की शक्ति महाशिरा हैं एवं भैरव कपाली हैं। पीताम्बरा,दतिया: पीताम्बरा पीठ मध्यप्रदेश के दतिया शहर में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। इस स्थान पर बगलामुखी देवी तथा धूमावती माता की पूजा की जाती है। त्रिपुर सुंदरी, त्रिपुरा: त्रिपुरा में, राधाकिशोरपुर गांव पर सती माता का दायां पैर गिरा था, जहां अब यह शक्ति पीठ स्थित है। ज्वाला देवी मंदिर, कांगड़ा: ज्वाला देवी का मंदिर भी, 51 शक्ति पीठों में से एक है, जो हिमाचल प्रदेश में,कालीधार पहाड़ी के बीच बसा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, ज्वाला देवी में मां सती की जिह्वा (जीभ) गिरी थी। इनके अलावा उत्तरांचल में पुर्णागिरी माता, उज्जैन में हरसिद्धि माता,नैना देवी मंदिर,तारापीठमंदिर, कोलकाता, नंदा देवी,अल्मोड़ा आदि, सहित अन्य कई मंदिर देवी मां के 108 शक्ति पीठों में मुख्य माने जाते हैं। यहां हमें, उत्तराखंड के कुछ शक्ति पीठों का जिक्र मिला है। उत्तराखंड को देवभूमि या देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है। भक्तों का मानना है कि, यह भूमि भगवान शिव और उनकी पत्नी, देवी शक्ति की उपस्थिति से पावन हुई है। यहांभी, देवी शक्ति को समर्पित कई मंदिर हैं। आइए, पढ़ते हैं। मनसा देवी मंदिर: यह हरिद्वार के पांच तीर्थ स्थानों या पंच-तीर्थों में से एक है। कहा जाता है कि,देवी मनसा की उत्पत्ति भगवान शिव के मन से हुई थी।बिल्व पर्वत पर स्थित, यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। चंडी देवी मंदिर: चंडी देवी मंदिर देवी शक्ति का विश्राम स्थल था। यह हरिद्वार में, नील पर्वत पहाड़ी पर स्थित है। एक किंवदंती है कि, देवी शक्ति ने चंडी के अवतार में शुंभ और निशुंभ राक्षसों को मारने के बाद, यहां विश्राम किया था। सती कुंड: सती कुंड हरिद्वार में स्थित, एक पवित्र कुंआ है, जहां देवी पार्वती की पूजा की जाती है। चंद्रबदनी मंदिर: चंद्रबदनी मंदिर टेहरीगढ़वाल में स्थित है। कहा जाता है कि, जहां यह मंदिर स्थित है वहां मां सती का धड़ गिरा था। कालीमठ: कालीमठ एक प्रमुख शक्तिपीठ है, जो रुद्रप्रयाग में स्थित है। यह एकमात्र स्थान है, जहां देवी काली अपनी बहनों, देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती के साथ पूजनीय हैं। नैना देवी मंदिर: नैनीताल में स्थित प्रतिष्ठित नैना देवी मंदिर,देवी के शक्ति पीठों में से एक है। किंवदंती है कि, इस स्थान पर देवी सती की आंखें (नयन) गिरी थीं। कसार देवी मंदिर: प्रसिद्ध कसार देवी मंदिर, अल्मोडा के दर्शनीय स्थल में स्थित है। कहा जाता है कि, देवी दुर्गा भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए यहां स्वयं प्रकट हुई थीं। हाटकालिका मंदिर: हाटकालिका, पिथौरागढ के गंगोलीहाट कस्बे में स्थित देवी महाकाली को समर्पित एक मंदिर है। इसकी स्थापना 1,000 वर्षों से भी पहले, गुरु आदि शंकराचार्य ने की थी। इस मंदिर में, सदियों से निरंतर पवित्र अग्नि जलती आ रही है, और कहा जाता है कि, इसमें देवी काली की शक्ति है। पूर्णागिरी मंदिर: मां पूर्णागिरी मंदिर चंपावत जिले के टनकपुर कस्बे के पास स्थित है। कहा जाता है कि, देवी सती की नाभि जिस स्थान पर गिरी थी, वहां आज यह मंदिर स्थित है। वाराही देवी मंदिर: यह मंदिर लोहाघाट से 60 किलोमीटर की दूरी पर, देवीधुरा में स्थित है और इसे देवी दुर्गा के 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के पास ही,गगोरी नामक स्थान है, जहां दो विशाल चट्टानों वाली गुफाएं हैं। कहा जाता है कि, देवी ने इन दोनों चट्टानों के बीच से होकर अपने ग्रह में प्रवेश किया था। गर्जिया देवी मंदिर: यह मंदिर कोसी नदी के बीच स्थित एक चट्टान के ऊपर बना है। गर्जिया देवी पहाड़ों के राजा, गिरिराज की बेटी, देवी पार्वती का एक रूप है। यह मंदिर रामनगर के पास गर्जिया गांव में स्थित है। कोटगाड़ी (कोकिला) देवी मंदिर: यह मंदिर कुमाऊं पहाड़ियों में,पांखू गांव में कालीनाग पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। कोकिला देवी मां दुर्गा का एक दिव्य रूप हैं। कहा जाता है कि,कोटगाड़ी एक ब्राह्मण गांव था और कभी देवी कोटगाड़ी मनुष्य रूप में, यहां रहती थीं और लोगों के बीच हुए विवादों में न्याय करती थीं।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकालीकपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधानमोस्तुते||



संदर्भ
https://tinyurl.com/2cupazw8
https://tinyurl.com/4mns8827
https://tinyurl.com/yv7zd4b7
https://tinyurl.com/mummt2uc

चित्र संदर्भ
1.श्री हिंगलाज माता मंदिर शक्ति पीठ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. महालक्ष्मी अंबाबाई, कोल्हापुर मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. तुलजाभवानी, तुलजापुर मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. रेणुका देवी, माहुरगड़ मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सप्तश्रृंगी, सप्तश्रृंगी गड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. कालीघाट शक्तिपीठ, कोलकाता को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. हिंगलाज भवानी मंदिर पाकिस्तान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. अम्बाजी मंदिर, गुजरात को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. देवी तालाब मंदिर, जालंधर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
11. गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
12. पीताम्बरा,दतिया मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
13. त्रिपुर सुंदरी, त्रिपुरा मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
14. ज्वाला देवी मंदिर, कांगड़ा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
15. मनसा देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
16. चंडी देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
17. सती कुंड हरिद्वार को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
18. चंद्रबदनी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
19. कालीमठ मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
20. नैना देवी मंदिर, नैनीताल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
21. कसार देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
22. हाटकालिका मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
23. पूर्णागिरी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
24. वाराही देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
25. गर्जिया देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
26. कोटगाड़ी (कोकिला) देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (youtube)



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