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भारतीय थल सेना द्वारा उपयोग किया जाने वाला महत्वपूर्ण उपकरण है, “टैंक”

रामपुर

 05-09-2023 11:55 AM
हथियार व खिलौने

युद्ध के दौरान भारतीय थल सेना द्वारा अनेक उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जो उन्हें दुश्मनों से लड़ने की पर्याप्त शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करते हैं। थल सेना द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण “टैंक (Tank)” भी है, जो कि एक प्रकार का भारी बख्तरबंद लड़ाकू वाहन है। इसका उपयोग भूमि पर होने वाले युद्ध के लिए किया जाता है, ताकि सैनिकों और हाथियारों को पर्याप्त संरक्षण प्राप्त हो सके। बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, एक शक्तिशाली आक्रामक हथियार के रूप में कार्य करता है। टैंक का एक महत्वपूर्ण इतिहास रहा है और भारत में हमारे पास विभिन्न प्रकार के टैंक मौजूद हैं। तो आइए, इस लेख के जरिए इस बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। टैंक या बख्तरबंद लड़ाकू वाहन का उपयोग, भूमि युद्ध में प्राथमिक आक्रामक हथियार के रूप में किया जाता है। यह लड़ाकू वाहन एक मजबूत कवच या बख्तरबंद सहित होता है। भारी गोला-बारूद से सहित इस लड़ाकू वाहन को उचित गतिशीलता प्रदान करने वाली दो पटरियों और एक शक्तिशाली इंजन को मिलाकर बनाया जाता है। लड़ाकू वाहन का मुख्य शस्त्र एक बुर्ज (Turret) से लगा होता है। टैंक, आधुनिक 20वीं और 21वीं सदी की थल सेनाओं का मुख्य आधार है और संयुक्त हथियार युद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि, इतिहास पर नजर डालें तो, भूमि युद्ध में टैंक का उपयोग करने की शुरूआत प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने के साथ हुई। पहले भूमि युद्ध में सैनिकों के संरक्षण के लिए विभिन्न स्थानों पर लंबी खाईयां बनाई जाती थी, जहां सैनिक दुश्मनों के हमले से संरक्षित रहते थे तथा सैंनिकों द्वारा दुश्मनों पर हमला करने के लिए उपयुक्त स्थान थे। हालांकि, इनकी प्रभावशीलता बहुत अधिक नहीं थी। परिणामस्वरूप बख्तरबंद ऑल-टेरेन (All-terrain) लड़ाकू वाहनों को भूमि युद्ध में पेश किया गया, जिससे मशीनीकृत युद्ध के एक नए युग की शुरुआत हुई। शुरुआती दौर में टैंक अच्छी गुणवत्ता के नहीं थे और उन पर बहुत अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता था। हालांकि, समय के साथ टैंकों का विकास हुआ और अंततः टैंक थल सेनाओं का मुख्य आधार बन गए। द्वितीय विश्व युद्ध तक, टैंक का डिज़ाइन काफी उन्नत हो चुका था, इसलिए भूमि युद्धों में इसका बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाने लगा। शीत युद्ध में आधुनिक टैंक सिद्धांत और सामान्य प्रयोजन के लिए मुख्य युद्ध टैंक का उदय हुआ। टैंक 21वीं सदी में भूमि युद्ध अभियानों का मुख्य आधार हैं। “टैंक” नाम का इस्तेमाल दिसंबर, 1915 में एक सुरक्षा उपकरण के रूप में किया गया था। टैंक के विकास में सहायता करने वाले विलियम ट्रिटन (William Tritton) के अनुसार, जब अगस्त 1915 में टैंक प्रोटोटाइप का निर्माण होने लगा था, तब इनके वास्तविक उद्देश्य को छुपाने के लिए जानबूझकर उनका गलत नाम इस्तेमाल किया गया। टैंक या बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों के अनेकों प्रकार हैं, जिनमें हल्के टैंक (Light tank), मीडियम टैंक (Medium tank), हैवी टैंक (Heavy tank), सुपर-हैवी टैंक (Super-heavy tank), क्रूजर टैंक (Cruiser tank), फ्लेम टैंक (Flame tank), इन्फैंट्री टैंक (Infantry tank), मुख्य युद्ध टैंक (Main battle tank), टैंक विध्वंसक (Tank destroyer), टैंकेट (Tankette), आक्रामक बंदूक (Assault gun), स्व-चालित विमान भेदी हथियार (Self-propelled anti-aircraft weapon), स्व-चालित तोपें (Self-propelled artillery), स्व-चालित मोर्टार (Self-propelled mortar) और एकाधिक रॉकेट लांचर (Multiple rocket launcher) शामिल हैं।
किसी भी देश की सैन्य ताकत को समझने के लिए टैंक एक बहुत महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है। यहां हम आपको उन लड़ाकू टैंक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका उपयोग भारतीय सेना द्वारा किया जाता है। भारतीय सेना दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक मानी जाती है तथा उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले टैंकों में निम्नलिखित टैंक शामिल हैं:
1. अर्जुन मुख्य युद्ध टैंक (Arjun Main Battle Tank - MBT)
2. टी-90 भीष्म (T-90 Bhishma)
3. टी-72 अजेय (T-72 Ajeya)
4. बीएमपी-2 इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन (BMP-2 Infantry Combat Vehicle)
5. बीएमपी-1 इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन (BMP-1 Infantry Combat Vehicle)
6. टी54 एमबीटी (T54 MBT)
7. बीएमपी-2 (बोयेवया माशिना पेखोटी) (BMP-2 (Boyevaya Mashina Pekhoty)
8. बीएमडी-2 (बोयेवया माशिना देसांता) (BMD-2 (Boyevaya Mashina Desanta)
9. डीआरडीओ टैंक एक्स/एमबीटी एक्स (कर्ण) (DRDO Tank EX / MBT Ex (Karna) भारत में बख्तरबंद युद्ध वाहनों का निर्माण तमिलनाडु राज्य के चेन्नई में अवाडी में स्थित हेवी व्हीकल फैक्ट्री (Heavy Vehicle Factory-HVF) द्वारा किया जाता है, जो “आर्मौर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड” (Armoured Vehicles Nigam Limited) के अंतर्गत संचालित है। हेवी व्हीकल फैक्ट्री की स्थापना 1961 में आयुध निर्माण बोर्ड (Ordnance Factory Board), भारत सरकार द्वारा की गयी थी, ताकि विजयंतस (Vijayantas), कार्तिक बीएलटी (Kartik BLT), एम-46 कैटापुल्ट (M-46 Catapult) और टी-72 अजेय टैंक (T-72 Ajeya tanks) जैसे भारी युद्धक्षेत्र उपकरणों का निर्माण किया जा सके। 2021 में हेवी व्हीकल फैक्ट्री को आर्मौर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड और आयुध निर्माण बोर्ड के निगमीकरण का हिस्सा बना दिया गया।

संदर्भ:
https://tinyurl.com/rpzdb8ku
https://tinyurl.com/bdncuys8
https://tinyurl.com/mp6z3vfb
https://tinyurl.com/yc8s4556
https://tinyurl.com/4u2v96s8

चित्र संदर्भ
1. अर्जुन टैंक को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. मैदान में भारतीय सेना के टैंक को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. एक टैंक के ढांचे को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. भारतीय सेना के सेंचुरियन टैंक को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. युद्धाभ्यास करते टैंक को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. अर्जुन मार्क 1 अल्फा को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)



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