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कुछ महीने पहले हमारे रामपुर जिले के पटवाई गांव में एक दुर्लभ सफेद उल्लू देखा गया था। उल्लू को बंदरों और कौवों के शिकारी हमलों से बचने की कोशिश करते देखा गया, हालांकि उल्लू को शिकारी हमलों से बचा लिया गया और अंततः पीपली के जंगल में छोड़ दिया गया। इस दृश्य ने प्रकृति प्रेमियों के मन में अत्यधिक जिज्ञासा उत्पन्न की, क्योंकि सफेद उल्लू, उल्लू की एक दुर्लभ प्रजाति है, तथा बहुत ही कम देखने को मिलती है। यह ध्यान देना दिलचस्प है कि हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी सफेद उल्लू देखे गए हैं।
यह सफेद बार्न उल्लू पटवाई के मिलक रोड पर एक दुकान के आगे जा गिरा था। मिलक रोड स्थित दुकानदारों ने बताया कि सफेद उल्लू को देखने के बाद कव्वे और बंदर उस पर हमला करने लगे। दुकानदारों ने उल्लू को उठा लिया, तथा वन विभाग की टीम को सफेद उल्लू के वहां होने की सूचना दी गई। सूचना के बाद पटवाई इंस्पेक्टर वहां पहुंचे और उल्लू को एक सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया। सफेद उल्लू की प्रजाति धीरे-धीरे समाप्त हो रही है, तथा इसका मुख्य कारण सफेद उल्लू से जुड़े मिथक हैं।
उदाहरण के लिए, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, उल्लू देवी लक्ष्मी का वाहन है, इसलिए इसे साथ में रखना भाग्यशाली माना जाता है। भारत में विभिन्न स्थानों पर ऐसा माना जाता है कि उल्लू के मांस से बने खाने में औषधीय गुण होते हैं, और उल्लू की आंखे खाने से व्यक्ति अंधेरे में भी देख सकता है। उल्लू के मांस को कामोद्दीपक माना जाता है। काला जादू करने वाले लोगों द्वारा उल्लू को दीवाली के दिन मारा जाता है, ताकि उन्हें जादुई शक्तियां प्राप्त हो सकें। उल्लू की हड्डियों, चोंच और पंजों से बने ताबीजों की काफी मांग है, क्योंकि लोगों का मानना है कि यह उन्हें विपत्ति से बचाता है। यूनानी पौराणिक कथाओं में उल्लू को देवी एथेना (Athena) से जोड़ा जाता है। आज भी उल्लू को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।हालांकि रोमन सभ्यता (Roman civilization) में उल्लू को आपदा का प्रतीक माना गया है।
भारत में उल्लुओं की 33 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में उल्लुओं की सबसे अधिक देखी जाने वाली छोटी और बड़ी प्रजातियों में भारतीय ईगल उल्लू (Indian Eagle Owl), स्पॉट बेलीड ईगल उल्लू (Spot Bellied Eagle Owl), डस्की ईगल उल्लू (Dusky Eagle Owl), मोटल्ड वुड उल्लू (Mottled Wood Owl), ब्राउन फिश उल्लू (Brown Fish Owl), टॉनी फिश उल्लू (Tawny Fish Owl), बफी फिश उल्लू (Buffy Fish Owl), छोटे कान-वाला उल्लू (Short Eared Owl), स्पॉटेड ऑलेट (Spotted Owlet), फॉरेस्ट ऑलेट (Forest Owlet), भारतीय स्कॉप्स उल्लू (Indian Scops Owl), माउंटेन स्कॉप्स उल्लू (Mountain Scops Owl), भारतीय बार्न उल्लू (Indian Barn Owl) आदि शामिल हैं। सामान्य बार्न उल्लू को सफेद उल्लू और दुनिया में सबसे व्यापक प्रजाति के रूप में भी जाना जाता है। बार्न उल्लू को उसके गोल चेहरे और पीठ पर भूरे या भूरे रंग की छाया से आसानी से पहचाना जा सकता है।
भारत में बार्न उल्लुओं (Barn Owl) की विभिन्न किस्में मौजूद हैं, जिनमें से सफेद बार्न उल्लू बहुत दुर्लभ है। इसलिए सफेद बार्न उल्लुओं के संरक्षण के प्रति ध्यान देने की अत्यधिक आवश्यकता है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर उल्लुओं के संरक्षण के प्रति संरक्षण अधिकारियों का रवैया बहुत उदासीन है। किंतु, वैश्विक स्तर पर एक ‘विश्व उल्लू ट्रस्ट’ (World Owl Trust-WOT) बनाया गया है, जो सभी उल्लू प्रजातियों और उनकी पारिस्थितिकी पर ध्यान केंद्रित करके वन्यजीव संरक्षण को आगे बढ़ाता है।यह ट्रस्ट समाज के सभी स्तरों पर इनके संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता के बारे में जागरूकता लाने का इरादा रखता है।
सामान्य बार्न उल्लू (Barn-owl), जिसे वैज्ञानिक तौर पर टायटो अल्बा (Tyto Alba) कहा जाता है, टायटोनिडे (Tytonidae) परिवार से संबंधित है। यह उल्लू प्रजातियां भारतीय उपमहाद्वीप, ऑस्ट्रेलिया (Australia), अफ्रीका (Africa), यूरोप (Europe), दक्षिण पूर्व एशिया (Southeast Asia), मध्य-पूर्व, यूरोप (Europe), उत्तरी अमेरिका (North America), दक्षिण अमेरिका (South America) और कैरेबियाई द्वीपों (Caribbean Islands) में पाई जाती हैं। सामान्य बार्न उल्लू एक छोटा या मध्यम आकार का पक्षी है, जिसकी लंबाई 30 से 45 सेंटीमीटर, और वजन 180 से 700 ग्राम के बीच होता है। इनके पंखों की लंबाई 85 से 95 सेंटीमीटर होती है। इनका आकार उप-प्रजातियों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होता है। उप-प्रजातियों के आधार पर, सिर और पीठ पर मौजूद पंख भूरे रंग के होते हैं। इनके शरीर का अंदरूनी हिस्सा सफेद से भूरे रंग का होता है। इनका चेहरा सफेद और दिल के आकार का होता है। सामान्य बार्न उल्लू पारिस्थितिकी तंत्र में उष्णकटिबंधीय (tropical) और समशीतोष्ण पर्णपाती (temperate deciduous), सदाबहार वन, शुष्क और अर्ध-शुष्क रेगिस्तान, और घास के मैदानों (grasslands) में पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि बार्न उल्लू प्रजातियों की वैश्विक आबादी लगभग 5,000,000 है। ‘प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ’ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) द्वारा बार्न उल्लूओं को “कम चिंताजनक"(Least Concern) जीव के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
संदर्भ:
https://t.ly/UFT3_
https://t.ly/xz1W
https://t.ly/EkXm
https://t.ly/QiPW
चित्र संदर्भ
1. एकटक देखते सफेद बार्न उल्लू को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
2. देवी लक्ष्मी को अपने वाहन बार्न उल्लू के साथ दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय ईगल उल्लू को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. सफेद बार्न उल्लू को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. हवा में उड़ते बार्न उल्लू को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
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