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भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बाधा बना है तंबाकू का उपयोग और सेवन

रामपुर

 31-05-2023 09:45 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

31 मई अर्थात आज का दिन, संपूर्ण विश्व में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’(World No Tobacco Day) के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation या WHO) के सदस्य-राष्ट्रों द्वारा इस दिन को वर्ष 1987 में ‘तंबाकू की लत जैसी महामारी’, और इसके कारण होने वाली मृत्यु और बीमारियों की विश्वभर में जागरुकता लाने के लिए निश्चित किया गया था। 2023 में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ का विषय है- ‘अन्न उत्पन्न करो, तंबाकू नहीं’। इस अभियान का उद्देश्य है कि तंबाकू की फसल के लिए सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता (subsidies) सरकारी रूप से समाप्त हो, तथा इससे होने वाली बचत का उपयोग किसानों की खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार करने वाली टिकाऊ फसलों के लिए हो। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा भारत में तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों और मृत्यु की आर्थिक लागत के विषय में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 35 वर्ष से अधिक आयु के लोगों द्वारा धूम्रपान और धूम्रपान रहित तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों और समय से पहले होने वाली मृत्यु का देश पर आर्थिक बोझ हमारे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1% से अधिक है। सिर्फ तंबाकू के उपयोग से संबंधित बीमारियों के इलाज पर होने वाला प्रत्यक्ष स्वास्थ्य व्यय भारत के एक वर्ष के कुल निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय का 5.3% है। यह परिदृश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए घातक है, जिसे कोई भी देश वहन नहीं कर सकता है। ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Medical Research-ICMR) के अनुसार, 2020 में देश में कैंसर के इलाज पर खर्च होने वाले धन का 27% हिस्सा तंबाकू से संबंधित कैंसर का था। विश्व में तंबाकू का उपयोग और सेवन करने वाली लगभग 29% वयस्क आबादी के साथ, भारत, चीन के बाद, तंबाकू उत्पादों का दूसरा प्रमुख उपभोक्ता है। विश्व में भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ उपभोक्ता भी है, जो एक प्रमुख कारण है किदेश में विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बहुत कम कीमत पर उपलब् है। इसका परिणाम प्रति वर्ष लगभग 13.5 लाख भयावह मृत्यु के रूप में सामने आता है, जिन्हें दरअसल, यदि प्रयास किया जाए तो, रोका जा सकता है। वर्ष 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार, देश ने तंबाकू उत्पादों के ‘उत्पादकर’ के रूप में प्राप्त प्रत्येक 100 रुपये की तुलना में तंबाकू की खपत से उत्पन्न लागत के रूप में 816 रुपये खर्च किए। उसी वर्ष तंबाकू के कारण होने वाली बीमारियों के लिए प्रत्यक्ष चिकित्सा लागत 37,344 करोड़ रुपये थी, जबकि प्रत्यक्ष गैर-चिकित्सा लागत 1,364 करोड़ रुपये थी। तंबाकू द्वारा उत्पन्न हुए कुल आर्थिक बोझ में पुरुषों की हिस्सेदारी 91% थी, जबकि महिलाओं की हिस्सेदारी 9% थी।
तंबाकू का उपयोग और सेवन कैंसर, फेफड़े की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक (Stroke) सहित कई बड़ी बीमारियों के होने के पीछे एक कारक है। यह भारत में बीमारियों के कारण होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है,और हर साल लगभग 13 लाख लोगों की मृत्यु इन बीमारियों से होती है।
‘वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण’ (Global Adult Tobacco Survey (GATS) 2016-17 के अनुसार, हमारे देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु-वर्ग के लगभग 26.7 करोड़ वयस्क तंबाकू के उपयोगकर्ता हैं। भारत में तंबाकू के उपयोग का सबसे प्रचलित रूप धूम्ररहित तंबाकू है, और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद खैनी, गुटखा, तंबाकू के साथ सुपारी, और जर्दा हैं। जबकि, तंबाकू के धूम्रपान वाले रूपों में बीड़ी, सिगरेट और हुक्का आदि इस्तेमाल किए जाते हैं। भारत में 2011-2018 के बीच तंबाकू के उपयोग से जुड़ी स्वास्थ्य देखभाल लागत में 21% की वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (WHO Framework Convention on Tobacco Control (FCTC) में उल्लिखित मजबूत तंबाकू नियंत्रण नीतियों के व्यापक कार्यान्वयन के माध्यम से भारत तंबाकू के सेवन से होने वाली लाखों मृत्यु को टाल सकता है, और साथ ही समाज और अर्थव्यवस्था दोनों पर तंबाकू के उपयोग और सेवन से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। अतः भारत ने 5 फरवरी, 2004 को तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कन्वेंशन की पुष्टि की थी। और यह संधि 27 फरवरी, 2005 को प्रभावी हुई थी।
आज हमें अगर तंबाकू की आदत जैसी महामारी से निपटना है, तो ठोस, साक्ष्य-आधारित नीतियों को बनाने, मजबूत करने और लागू करने की आवश्यकता है। तंबाकू नियंत्रण भारत सरकार के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन इस प्रयास में देश का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए व्यापक वित्तीय और गैर-वित्तीय नीतियों के माध्यम से, सभी तंबाकू उत्पादों को अप्रभावी बनाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, ‘राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम’ (National Tobacco Control Programme (NTCP) में अधिक निवेश भी तंबाकू नियंत्रण और इसके व्यापक कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करेगा।

संदर्भ
https://rb.gy/jt6r9
https://rb.gy/qdjan
https://shorturl.at/ey089
https://rb.gy/xr942
https://rb.gy/paa1e

 चित्र संदर्भ
1. तम्बाकू चबाते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
2. जली हुई सिगरेट को संदर्भित करता एक चित्रण (Pxfuel)
3. तम्बाकू धूम्रपान के प्रतिकूल प्रभाव को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. तम्बाकू से हुए मुँह के कैंसर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. तम्बाकू प्रतिबन्ध को दर्शाता चित्रण (Max Pixel)



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