आपने बचपन से ही विभिन्न धार्मिक ग्रंथों एवं धार्मिक धारावाहिकों में, सृष्टि के रचयिता माने जाने वाले भगवान ब्रह्मा को चार सिरों (मस्तकों) के साथ ही देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि , कई पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के पांच सिर थे। किंतु प्रश्न यह उठता है कि उनका पांचवां मस्तक धार्मिक ग्रंथों और धारावाहिको में नजर क्यों नहीं आता है?
ब्रह्मा को त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के बीच ‘निर्माता’ के रूप में जाना जाता है। वह श्रृष्टि के सृजन, ज्ञान और वेदों से जुड़े हुए देवता हैं। ब्रह्म देव को उनकी छवियों में आमतौर पर लाल या सुनहरे रंग की दाढ़ी के साथ चार सिर तथा चार हाथों वाले भगवान के रूप में चित्रित किया जाता है। उनके चार मस्तक, चार वेदों का प्रतिनिधित्व करते हैं और चारों मुख, चारों दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। वह एक “कमल” पर विराजमान दर्शाए जाते हैं और उनका वाहन “हंस” होता है।
सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच, वैदिक काल तक ब्रह्मा की स्तुति एवं पूजा एक प्रमुख देवता के रूप में की जाती थी, और उनका एक समर्पित संप्रदाय भी अस्तित्व में था। किंतु 7 वीं शताब्दी तक, उनका महत्व धीरे-धीरे कम होने लगा और बाद की छवियों में उन्हें भगवान विष्णु, शिव और महादेवी जैसे अन्य प्रमुख देवी देवताओं के साथ दर्शाया जाने लगा।
सनातन धर्म में ब्रह्म देव की पूजा बहुत अधिक प्रचलित भी नहीं है और वे त्रिमूर्ति के अन्य दो देवताओं की अपेक्षा काफी कम लोकप्रिय हैं। हालांकि प्राचीन ग्रंथों में ब्रह्मा अति पूजनीय देव हैं, किंतु आज उनकी पूजा करने के लिए कोई भी समर्पित संप्रदाय नहीं है, जिस कारण भारत में शायद ही कभी प्राथमिक देवता के रूप में उनकी पूजा की जाती है। एक मान्यता यह भी है कि उनकी पूजा एक श्राप के कारण भी नहीं होती है। अतः भारत में उन्हें समर्पित कुछ ही मंदिर मौजूद हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान में पुष्कर में है। कुछ ब्रह्मा मंदिर भारत के बाहर बैंकॉक (Bangkok) जैसे शहरों में भी पाए जाते हैं।
“ब्रह्मा” शब्द की उत्पत्ति अनिश्चित मानी गई है क्योंकि वैदिक साहित्य में “ब्रह्मा” शब्द से संबंधित कई शब्द जैसे कि परम वास्तविकता' के लिए ब्रह्म और ‘पुजारी' के लिए ब्राह्मण आदि पाए जाते हैं। हिंदू त्रिमूर्ति में भगवान ब्रह्मा इक्कीस ब्रह्मांडो के स्वामी बताए गए है। भगवान ब्रह्मा में, सृष्टि के तीन गुणों सत्व, रजस् और तमस् में से रजस् गुण प्रधान है। इसी प्रकार, भगवान विष्णु में सतोगुण और भगवान शिव में तमोगुण प्रमुख माने गए हैं। ब्रह्मा का उल्लेख मैत्रायणीय उपनिषद के कुत्सायना स्तोत्र कहलाए जाने वाले छंद ५.१ में मिलता है। फिर छंद ५.२ भी इनकी व्याख्या करता है। माता सरस्वती, गायत्री और सावित्री भगवान ब्रह्मा की तीन पत्नियां मानी जाती हैं। ये सभी शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान और वेदों की देवी हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा के मूल रूप से पांच सिर थे। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि अब उनके केवल चार ही मस्तक क्यों दिखाई देते हैं, पांचवा कहाँ गया?
माना जाता है कि एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा अपनी-अपनी शक्तियों का परीक्षण कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करना चाहते थे। किंतु दोनों को अपनी श्रेष्ठता दर्शाने का कोई उचित मार्ग नहीं मिल रहा था। जिसके बाद भगवान शिव एक विशाल अग्नि स्तंभ के रूप में उनके सामने प्रकट हुए। भगवान शिव ने दोनों को चुनौती दी कि वे दोनों ऊपर और नीचे की दिशाओं में जाकर उनके (भगवान शिव के) सिर (मस्तक) और चरणों को ढूंढें। जो अपने लक्ष्य तक पहले पहुंचेगा, वह अधिक श्रेष्ट कहलायेगा!
इसके बाद भगवान विष्णु ने, जंगली सूअर के रूप में चरणों की ओर दौड़ लगाईं और अंत तक पहुँचने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। वहीं भगवान ब्रह्मा ने हंस के रूप में ऊपर की ओर उड़कर उनके मस्तक तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन वह भी इसी तरह असफल रहे। वापस लौटने पर भगवान शिव ने दोनों से पूछा कि क्या उन्हें उनका (शिव का) अंत मिला? तो भगवान विष्णु ने कहा कि उन्हें भगवान शिव का अंत अर्थात उनके चरण नहीं मिले। किंतु यहां पर भगवान ब्रह्मा ने झूठ बोला और कहा कि उन्होंने शिव का मस्तक ढूंढ लिया था। ब्रह्म देव का यह झूठ जानकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने तुरंत ही ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया।
एक अन्य संदर्भ में यह कहा जाता है कि ब्रह्मा के पांचवें सिर ने अपनी ही बेटी को आवेश में देख लिया था इसलिए भगवान शिव ने उस सिर को ही काट दिया। एक मान्यता यह भी है कि ब्रह्मा के चार सिरों में से प्रत्येक सिर एक वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और सामवेद) का पाठ कर सकता था , लेकिन पाँचवाँ सिर अकेले ही सभी चार वेदों का पाठ कर सकता था। ब्रह्मा जी की ज्ञान को आत्मसात करने और इतना ज्ञान धारण करने की क्षमता ने अन्य देवताओं को चिंतित कर दिया जिस कारण उन्होंने शिव से ब्रह्मा की शक्तियों को क्षीण करने विनती की। मान्यता है कि इसेक बाद भगवान शिव ने अपने बाएं हाथ के नाखून से ब्रह्मा के पांचवें सिर को काट दिया।
सनातन धर्म में केवल ब्रह्मा देव ही नहीं बल्कि अनेक अन्य देवी-देवता भी एक से अधिक सिर वाले हैं। उदाहरण के तौर पर वैदिक पौराणिक कथाओं में, अग्निदेव के चार सिर, पर्जन्यदेव के तीन, बृहस्पतिदेव के सात सिर हैं। यहाँ तक कि राक्षसों (रावण) और जानवरों को भी कई सिरों के साथ दर्शाया गया है।
संदर्भ
https://bit.ly/2oALTHr
https://bit.ly/3Z5Uopt
https://bit.ly/3Z7ZIZm
चित्र संदर्भ
1. ब्रह्मा स्वरूप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारत के तमिलनाडु में 900 और 1000 ईस्वी के बीच निर्मित ब्रह्म प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. वैकुण्ठ लोक को दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
4. ब्रह्मा, विष्णु, महेश को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. शिव ब्रह्म को संदर्भित करता एक चित्रण (Picryl)
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.