कुश्ती और भारत का इतिहास अत्यन्त महत्वपूर्ण है यहाँ के 5000 वर्ष पुराने शिलालेखों के आधार पर भारत को कुश्ती का आरम्भिक स्थल माना जाता है। प्राचीन भारत में इसे मल्लविद्या या मल्ल युद्ध कहते थें। भारत के प्राचीन ग्रंथों रामायण और महाभारत में भी मल्ल विद्या का उल्लेख है। रामायण में इस विद्या के आराध्य देव हनुमान तथा महाभारत में भीम माने जाते हैं। भारत के साथ-साथ कुश्ती का विकास मिस्र देश में 3000 ई.पू. में हो चुका था, यहाँ प्राचीन मकबरों पर अनेक दाँव पेंच के साथ मल्ल युद्ध के चित्र बने हुये हैं। कुश्ती प्राचीन युनानियों का भी लोकप्रिय खेल था क्योंकी 776ई. पू. के ओलम्पिक खेलों में प्रचलित होने वाली पैलेस्त्रा (कुश्ती और बॉक्सिंग) प्रतियोगिता इस बात का प्रमाण देती हैं। इसके बाद कुश्ती का वर्णन 18वीं शताब्दी के इस्लामी शासकों के समय में मिलता है। इस समय तुर्की ने सारे मुस्लिमम साम्राज्य पर अधिकार कर लिया। तुर्कों व मंगोलो के समय कुश्ती फिर प्रचलित हुई। 19वीं शताब्दी में ग्रीको रोमन और मुक्त पकड़ (फ्री स्टाइल) के नाम से जानी जाती थी। ग्रीको रोमन कुश्ती में पकड़ केवल कमर के ऊपर से की जाती है। यह कुस्ती फ्रांस में लोकप्रिय हुई। भारत वर्ष में कुश्ती बहुत लोकप्रिय खेल है भारतीय पहलवानों ने प्रथम बार 1892 ई. की विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके बाद 1900 ई. की प्रतियोगिता में गुलाम मुहम्मद (गामा पहलवान) ने फ्री स्टाईल विश्व कुश्ती खिताब जीता था। इसके बाद से ही भारतीय कुश्ती ने वैश्विक स्तर पर अपना नाम ऊँचा किया। रामपुर का योगदान भारतीय कुश्ती में अतुलनीय रहा है, यहाँ के नवाबों के क्षत्रछाया में कुश्ती फली-फूली। मुहम्मद हसन खाँ मुहम्मद हसन खां उर्फ उस्ताद सोहराब खां पुत्र सफल हुसैन व रामपुर के गौरवशाली और अद्वितीय पहलवान थे। मुहल्ला खारी कुआँ का एक हिस्सा उनके अखाड़े के नाम पर ही मुहल्ला अखाड़ा सोहराब खाँ मशहूर हुआ। तकनीकी तरीके पर कसरत के माने हुए उस्ताद थें। ये नवाब हामिद अली खान के उस्ताद थें। आज भी यह अखाड़ा कार्यकर रहा है तथा यहाँ पर कई युवा कुश्ती सीखते हैं। 1. रामपुर का इतिहास, शौकत अली खाँ, रामपुर 2. उपकार, शारीरिक शिक्षा, देवेन्द्र बालायण
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