स्थलाकृति का मतलब होता है पृथ्वी का विन्यास। इसके अंतर्गत धरातलीय उच्चावच, भूभाग एवं मानव द्वारा निर्मित ऐसे सभी लक्षण आते हैं। स्थलाकृतिक मानचित्र किसी भी भूभाग की संपूर्ण पढाई के लिए आवश्यक होते हैं। रामपुर की प्रमुखता से मैदानी भूभाग है। हिमालय पर्वतश्रेणी रामपुर जिले के उत्तरी दिशा से शुरू होती है। यहाँ पर बुलाई, दोमट और मटियार मिट्टी के प्रकार मिलते हैं। रामपुर मध्य गंगा के जलोढ़ गाद से बना प्रदेश है जो उत्तर की तरफ उच्चावच और दक्षिण की तरफ जाते-जाते समतल हो जाता है। रामपुर की भू-आकृतिक विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं: 1) तराई क्षेत्र: बहुतसा उत्तरी इलाका इस क्षेत्र से व्याप्त है और बहुत जगह पर पानी की सतह उथली होती है। 2) विसर्प बाढ़ का क्षेत्र: ये क्षेत्र निचली सतह पर स्थित समतल शुष्क इलाका है। 3) नए जलोढ़ कछार का क्षेत्र: नदी स्थलाकृति जैसे पुराप्रवाह, विसर्प के पुराचिन्ह और चाप झीलें इस क्षेत्र के सामान्य लक्षण हैं। 4) पुराने जलोढ़ कछार का क्षेत्र: तराई का दक्षिणी इलाका पुराने जलोढ़ कछार का क्षेत्र है। यह क्षेत्र नए जलोढ़ कछार के क्षेत्र से उपरी सतह पर है। रामपुर का 80% इलाका इस क्षेत्र का और अंतर धाराओं का हिस्सा है। 5) खड्डे का क्षेत्र: ये बहते पानी से अपरदन होने की वजह से तैयार हुआ है तथा कोसी, पिलाखाऊ और रामगंगा की अवनालिकाओं के जाल से भरा हुआ है। ऐसी स्थलाकृति के कारण रामपुर में खनिज़ सम्पदा में कंकड़ और बालू के अलावा ज्यादा कुछ नहीं है मात्र यहाँ खेती के लिए काफी उपलब्धि है। 1. गज़ेटियर ऑफ़ द रामपुर स्टेट, 1911 2. डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट फॉर sand माइनिंग, डिस्ट्रिक्ट रामपुर,2016 3. डिस्ट्रिक्ट ग्राउंड वाटर ब्रोशर ऑफ़ रामपुर डिस्ट्रिक्ट, यु.पी: पी. के. त्रिपाठी, 2008-09 4. एम.एस.एम.ई, रामपुर 2012
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