सुख-दुःख में रामपुर वासियों को एकजुट करती रही है खिचड़ी

रामपुर

 03-02-2023 10:34 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

आपको यह जानकर शायद आश्चर्य होगा कि एक स्वादिष्ट, सुलभ एवं सरल व्यंजन के रूप में प्रचलित “खिचड़ी" को रामपुरवासियों की सुख-दुःख की साथी भी माना जाता है। दरसल, रामपुर और खिचड़ी का एक सामूहिक एवं सुनहरा इतिहास रहा है, जिसकी वजह से खिचड़ी आज रामपुर में रिश्तेदारी का प्रतीक बन चुकी है।
औपनिवेशिक शासन के दौरान भी रामपुर अपने समृद्ध और आकर्षक व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध था। समय के साथ रामपुर की खाद्य संस्कृति ने इतिहासकारों और स्वाद प्रेमियों का ध्यान आकर्षित करना जारी रखा। इसी क्रम में तराना हुसैन खान अपनी किताब, “देघ से दस्तरख्वां तक: रामपुर के क़िस्से और व्यंजन” (Degh To Dastarkhwan: Qissas And Recipes From Rampur), जिसमें घरों में पकाया जाने वाला दैनिक भोजन और रसोइयों और परिवार के सदस्यों के बीच बातचीत शामिल है, में रामपुर की खाद्य संस्कृति पर प्रकाश डालती हैं । लेखिका द्वारा लिखी गई यह पुस्तक ‘रामपुर रज़ा लाइब्रेरी’ में संग्रहीत 19वीं शताब्दी के मौखिक इतिहास, परिवार की यादों और रसोई की किताबों की पांडुलिपियों पर आधारित है। तराना हुसैन खान 2010 में, अपनी पाक विरासत पर शोध करने के लिए रामपुर चली गईं और उन्होंने ‘रामपुर रज़ा लाइब्रेरी’ में पाक कला / कुकबुक पांडुलिपियों का अनुवाद करते हुए 19वीं सदी के व्यंजनों को फिर से बनाने का प्रयास शुरू किया। उन्होंने रामपुर की पाक कला में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए स्थानीय रसोइयों के साथ काम किया, जिससे उनकी पुस्तक पुनरखोज की एक व्यक्तिगत यात्रा बन गई। इस प्रक्रिया में, उनका लक्ष्य ‘तिलक चंदन’ चावल को पुनर्जीवित करना है, जो कभी रामपुरी व्यंजनों का एक अनिवार्य हिस्सा थे।
इस पुस्तक में उड़द की दाल और चावल की खिचड़ी के बारे में एक दिलचस्प अध्याय है। खान लिखती हैं कि रामपुर में कैसे करीबी दोस्त अक्सर खुद को खिचड़ी दावत के लिए आमंत्रित करते थे, या यह की खिचड़ी भोज के लिए आमंत्रित होने के साथ ही नवविवाहित दूल्हा आखिरकार परिवार का हिस्सा बन जाता था! आगे वह लिखती हैं कि अधिकांश मुस्लिम घरों में इसे चटनी, मूली अचार और गोभी गोश्त के साथ परोसा जाता था। सबसे दिलचस्प खिचड़ी ‘दाउद खानी’ होती थी, जिसमें मूंग की दाल, चावल, कीमा, पालक और अंडे शामिल होते थे। पुस्तक में, वह खिचड़ी और खीर में इस्तेमाल होने वाली एक छोटी सुगंधित किस्म ‘ चंदन’ चावल का भी उल्लेख करती है जो कभी रामपुरी भोजन का एक अभिन्न हिस्सा हुआ करते थे। इसी तरह, हंस राज भी एक स्थानीय बासमती चावल था, जो अत्यधिक सुगंधित और उच्च दीर्घायु होता था। इसका इस्तेमाल पुलाव, जर्दा और बिरयानी में किया जाता था। हालाँकि, धीरे-धीरे और लगातार इन किस्मों को नए संकरों से बदल दिया गया। समय के साथ पुलाव, खिचड़ी और खीर की बनावट और सुगंध में बदलाव आया। आज पुराने समय के लोग तिलक चंदन की सुगंध के लिए तरसते हैं ।
, मांस और मसालों का अनूठा मिश्रण रामपुर में बनने वाले व्यंजनों की विशेषता है। व्यंजनों के ज़ायके रामपुर के लोगों की तरह देहाती, विशिष्ट और मजबूत होते हैं। लेखिका रामपुर के भोजन की पेचीदगियों को भावनाओं, (दुःख और खुशी) से जोड़ती है, और दिखाती है कि कैसे भोजन की यादें बहु-संवेदी होती हैं और अक्सर विशेष भावनाओं से जुड़ी होती हैं। उदाहरण के लिए, रामपुर में, पुलाव उत्सव और अंत्येष्टि दोनों में परोसा जाता है, लेकिन दोनों अवसरों पर इसे बनाने की तैयारी और परोसने की शैली में अंतर नज़र आता है। अंत्येष्टि में परोसा जाने वाला पुलाव उतना ही भव्य होता है जितना कि शादी के खाने के लिए बनाया जाता है, लेकिन इसमें कोई मीठा व्यंजन नहीं परोसा जाता है और मेहमान संयम से खाते हैं। उड़द की दाल और चावल से बनी रामपुरी खिचड़ी, रामपुर में नवाबों और आम लोगों दोनों का मुख्य भोजन बन गई है। सर्दियों के महीनों के दौरान खिचड़ी दावतरामपुर में एक आम परंपरा है, जहां दोस्त और परिवार खिचड़ी की गर्म थाली का आनंद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं।
रामपुर में खिचड़ी खाने की परंपरा कई साल पहले से चली आ रही है, जब लोग खिचड़ी और उसके ऊपर घी से भरे एक बड़े मिट्टी के बर्तन के पास बैठते थे और भोजन आपस में साझा करते थे।आज, खिचड़ी भोज में आमतौर पर अन्य व्यंजन जैसे गोभी गोश्त, साग कोफ्ता, और चिकन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के मसालों जैसे चटनी, दही बड़ा, और मूली आचार भी शामिल होते हैं। खिचड़ी दावत में कई सामाजिक निहितार्थ होते हैं, जो मित्रों और परिवारों के बीच निकटता और आतिथ्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। खिचड़ी दावत से इंकार करना दोस्ती की अस्वीकृति के रूप में देखा जाता है।
रामपुरी खिचड़ी खाने का सबसे अच्छा समय आमतौर पर सितंबर के अंत में तब होता है जब नई फसल के चावल और उड़द की दाल उपलब्ध हो जाते है। नए चावल नर्म होते हैं और जल्दी पक जाते हैं, वहीं नई उड़द दाल का स्वाद एकदम ताज़ा होता है जो इसे और भी स्वादिष्ट बना देता है! खिचड़ी का मौसम शुरू होने से पहले, घर में मसालेदार मूली का अचार तैयार किया जाता है, जो मूली के टुकड़ों से बनाया जाता है, और जिन्हें पकने के लिए धूप में छोड़ दिया जाता है। खिचड़ी में मूली के टुकड़े और पानी मिलाया जाता है और भोजन के बाद पाचन के लिए भी पानी का सेवन किया जाता है। उड़द दाल की खिचड़ी खाने की परंपरा मुख्य रूप से मुरादाबाद के आसपास केंद्रित रोहिल्ला पठान क्षेत्र तक ही सीमित है। रामपुरियों के बीच इस व्यंजन के प्रति प्रेम इतना गहरा है कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन गया है, यह लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ता है और रामपुर के समृद्ध इतिहास और परंपराओं को संरक्षित करने में मदद करता है।

संदर्भ

https://bit.ly/3HSWNyF
https://bit.ly/3WOt6Tp
https://bit.ly/40hQsnc

चित्र संदर्भ

1. स्वादिष्ट खिचड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. तराना हुसैन खान की किताब, “देघ से दस्तरख्वां तक: रामपुर के क़िस्से और व्यंजन” को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
3. मसालेदार खिचड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. अंडा खिचड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. साथ में भोजन करते भारतीयों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • दिल्ली में आयोजित, रामपुर भोजन उत्सव ने किया है, रामपुरी व्यंजनों का सम्मान
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:23 AM


  • रामपुर में कोसी और रामगंगा जैसी नदियों को दबाव मुक्त करेंगे, अमृत ​​सरोवर
    नदियाँ

     18-09-2024 09:16 AM


  • अपनी सुंदरता और लचीलेपन के लिए जाना जाने वाला बूगनविलिया है अत्यंत उपयोगी
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:13 AM


  • अंतरिक्ष में तैरते हुए यान, कैसे माप लेते हैं, ग्रहों की ऊंचाई?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:32 AM


  • आइए, जानें विशाल महासागर आज भी क्यों हैं अज्ञात
    समुद्र

     15-09-2024 09:25 AM


  • प्रोग्रामिंग भाषाओं का स्वचालन बनाता है, एक प्रोग्रामर के कार्यों को, अधिक तेज़ व सटीक
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:19 AM


  • जानें शाही गज़ से लेकर मेट्रिक प्रणाली तक, कैसे बदलीं मापन इकाइयां
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:08 AM


  • मौसम विज्ञान विभाग के पास है, मौसम घटनाओं की भविष्यवाणी करने का अधिकार
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:22 AM


  • आइए, परफ़्यूम निर्माण प्रक्रिया और इसके महत्वपूर्ण घटकों को जानकर, इन्हें घर पर बनाएं
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:14 AM


  • जानें तांबे से लेकर वूट्ज़ स्टील तक, मध्यकालीन भारत में धातु विज्ञान का रोमाचक सफ़र
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:25 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id