प्रौद्योगिकी विकास के बिना उन्नति के पथ पर अडिग रहना असंभव है| यह किसी भी ज़िले के लिए एक अत्यंत आवश्यक उपचार है| ब्रिटिश शासन काल से ही; रामपुर जिले में, काफी मात्रा में कपड़े का कारोबार होता था| इसका सबसे बड़ा उदाहरण है रज़ा टेक्सटाइल मिल जो की टेक्सटाइल (कपड़ा) उद्योग में सबसे आगे थी| इसकी उपलब्धियां आज इतिहास के पन्नो में लुप्त होती जा रहीं हैं| हैरत की बात तो यह है की आज भारत के कई नागरिक और नौजवानों को इसका नाम तक पता नहीं है| ना ही सिर्फ यहाँ की उद्योग में गिरावट हुई बल्कि औपचारिक रोजगार में भी गिरावट हुई है| शुरूआती दौर में यहाँ के लोग लगभग 70 प्रतिशत औपचारिक रोजगार से अपना पालन पोषण करते थे, वही आज के समय में, उपकरण और प्रौद्योगिकी विकास में कमी की वजह से यहाँ अन-औपचारिक रोजगार काफी बढ़ गया है| ब्रिटिश शासन से ले कर रामपुर के नवाब, सरकार से ले कर बड़ी प्राइवेट कंपनियाँ, सभी ने रामपुर को फायदे का स्रोत बनाया तथा इसके संसाधनों का भरपूर शोषण किया, लेकिन किसी ने इसकी तरक्की और भविष्य के बारे में नहीं सोचा| पहले, जहाँ रामपुर की जगह एक नियुक्तिकर्ता की थी, आज यहाँ के लोगों के पास ना ज़्यादा रोजगार बचा है ना ही बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने का साधन| अब मशीनों द्वरा बना कपड़ा, बाज़ार में इतनी मात्रा में उपलब्ध है की रामपुर की दस्तकारी मानो अपनी पहचान खोते जा रही है|