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2021 की शरद ऋतु के बाद से ब्रिटेन में पक्षियों में फैलने वाला एवियन इन्फ्लूएंजा का प्रकोप अब तक का सबसे बड़ा रोग प्रकोप माना जा रहा है। और यह स्थिती पूरे यूरोप और अमेरिका में एक जैसी ही है। आज तक, इस प्रकोप के कारण दुनिया भर में लगभग 10 करोड़ पोल्ट्री (कुक्कुट आदि पक्षी जिन्हें फार्म पर रखा जाता है) पक्षियों की मृत्यु हो गई है। लेकिन इस बीमारी से केवल पोल्ट्री और अंडे के उत्पादन को ही खतरा नहीं है, बल्कि यह जंगली पक्षियों की आबादी को भी बुरी तरह से खतरे में डालता है।
एवियन इन्फ्लुएंजा (Avian influenza), जिसे बर्ड फ्लू के नाम से भी जाना जाता है, एक जूनोटिक (zoonotic) रोग है। यह एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैल सकता है। ज़ूनोसिस या जूनोटिक रोग किसी रोगज़नक़ के कारण मनुष्यों में होने वाला एक संक्रमण है, जो सामान्यतया एक जीवाणु, वायरस या परजीवी होता है। इसका रोगज़नक़ एक गैर-मनुष्य (पक्षी अथवा पशु) के रोगजनक से आता है। इससे संक्रमित होने वाला एक व्यक्ति रोग को कम से कम एक अन्य व्यक्ति में स्थानांतरित कर सकता है।
सामान्यतया , पश्चिमी यूरोप में बर्ड फ्लू का मौसम शरद ऋतु में शुरू होता है, जब ठंडी जलवायु क्षेत्र से लाखों प्रवासी पक्षी – जैसे कलहंस(geese), बत्तख और हंस(swans)– सर्दियों में गर्म स्थानों के लिए देशांतर गमन करते हैं। यदि ये जंगली पक्षी पोल्ट्री के संपर्क में आते हैं, तो वे जो भी रोगजनकों को अपने साथ ले आते हैं वे इन पोल्ट्री में फैल सकते हैं।
सामान्यतःएचपीएआई(Highly Pathogenic Avian Influenza) पोल्ट्री के बीच बड़े पैमाने पर मृत्यु दर का कारण बनता है, जबकि जंगली पक्षी अधिकांशतः इससे कम प्रभावित होते हैं। 2017 और 2019 के बीच, यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom ) में केवल 40 जंगली पक्षियों को एचपीएआई का वायरस सकारात्मक पाया गया था। लेकिन यह 2020-2021 में बढ़कर 317 और इस वर्ष 1 अक्टूबर 2022 तक 1,468 हो गया है।
बर्ड फ्लू मुख्य रूप से इन्फ्लूएंजा ए (influenza A) वायरस के कारण होता है।ये वायरस तेजी से उत्परिवर्तित (mutate) होते हैं और नए रूपों (variants)को बनाने के लिए अन्य इन्फ्लूएंजा वायरस से अनुवांशिक सामग्री(genetic material) को अपने जीनोम (genome) में जोड़ सकते हैं। बर्ड फ्लू के ये नए प्रकार लगभग प्रत्येक विदेशी पक्षी प्रवास के मौसम में अपने साथ ले आते हैं।
पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन का मानना है कि इस रोग के प्रकोप की लहर अंतरराष्ट्रीय व्यापार, आधुनिक कृषि प्रथाओं और प्रवासी जंगली पक्षियों का परिणाम है।
चिंता का कारण तो यह है कि हाल ही में केरल के वझुथानम में कुछ बत्तख, इन्फ्लुएंजा ए वायरस के H5N1 उपप्रकार से संक्रमित पाए गए थे। 2014-15 में, संयुक्त राज्य अमेरिका(USA) के पोल्ट्री उद्योग ने अपने इतिहास में H5N2 वायरस के सबसे बड़े प्रकोप का अनुभव किया, जिससे 5.1 करोड़ पक्षियों की मृत्यु हुई थी।
एक दूसरा चिंता का कारण यह है कि यह रोग अन्य प्रजातियों सहित मनुष्यों में भी स्थानांतरित हो सकता है। हालांकि, मानव संक्रमण के मामले कम पाए जाते हैं , संयुक्त राज्य अमेरिका की एक स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट बताती है कि यदि यह वायरस हवाई बूंदों या धूल के माध्यम से किसी व्यक्ति की आंखों, नाक या मुंह में जाता है, तो यह उस व्यक्ति में फैल सकता है। ।मनुष्यों में बर्ड फ्लू के लक्षण पहले आंखों का लाल होना और हल्के फ्लू जैसे लक्षणों से लेकर निमोनिया और सांस लेने में कठिनाई तक होते थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2003 और नवंबर 2022 के बीच पक्षियों से मनुष्यों में संचरण के केवल 868 मामले दर्ज किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 456 मौतें हुईं है।
सभी पोल्ट्री फार्मों को अपने पक्षियों को वायरस से बचाने में सहायता करने के लिए कठोर जैव सुरक्षा प्रथाओं को लागू करने की आवश्यकता है।इसमें जंगली पक्षियों के साथ संपर्क को रोकने के लिए मुक्त पक्षियों को आवास देना, उनके आवास की नियमित रूप से सफाई और उनको कीटाणुरहित करना शामिल है। इसलिए बेहतर पोल्ट्री फार्मिंग प्रबंधन की निगरानी के लिए आज उपयुक्त मानवीय नीतियों की अत्यंत आवश्यकता, है। क्योंकि न केवल इससे महामारी का खतरा है, बल्कि यह रोग जंगली पक्षी प्रजातियों की आबादी को भी गंभीर रूप से खतरे में डालता है।
पश्चिमी देशों में पहले से ही कुछ पोल्ट्री फार्म हैं जो पोल्ट्री पक्षियों को तनावमुक्त वातावरण और घूमने के लिए बहुत सारी जगह की व्यवस्था करते हैं। फैक्ट्री, फार्मिंग या औद्योगीकरण के बजाय ऐसे स्थानीय खेतों का समर्थन करना इस समस्या से निपटने के लिए उठाए जा सकने वाले सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है।
विश्व ने हाल ही में कोरोना महामारी का सामना किया है और अब कुछ मासूम पक्षियों को भी उनकी एक अलग महामारी का सामना करना पड़ रहा है। यह महामारी न केवल पक्षियों को प्रभावित करती है बल्कि मनुष्य भी इससे मोटे तौर पर प्रभावित होते हैं। अतः यह आवश्यकता समझी जा रही है कि हम समय रहते ही उचित कदम उठाएं तथा पक्षियों एवं हमें इस महामारी से बचाए।
संदर्भ –
https://bbc.in/3ES6Vof
https://bit.ly/3VF2VhW
https://bit.ly/3VCckXl
चित्र संदर्भ
1. हाथ में नन्हे चूजे को दर्शाता एक चित्रण (PIXNIO)
2. एच1एन1 वायरसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. फ्लू के लिए एक मुर्गी का परीक्षण किया जा रहा है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बर्ड फ़्लू के कारण मृत मुर्गियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)