रामपुर से अत्यन्त नज़दीग जिम कार्बट नेशनल पार्क भारतीय वनों में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसकी स्थापना 1935 ई. में देश के प्रथम नेशनल पार्क के रूप में उ0 प्र0 नेशनल पार्क एक्ट के अन्तर्गत निर्मित किया गया। इस पार्क का नाम तत्कालीन यूनाइटेड प्राविजेंस के गर्वनर कर्नल लार्ड हेली को श्रद्धांजलि अर्पित हेतु हेली नेशनल पार्क रखा गया था। शेर की दहाड़, हाथियों की चिंघाड़ के लिए कार्बेट पार्क भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क है। गढ़वाल एवं कुमाँऊ की हरी भरी वादियों में स्थित यह पार्क अगस्त सन् 1935 ई0 में बनाया गया। प्राकृतिक सुन्दरता के लिए इसकी जितनी भी अधिक बड़ाई की जाए वह कम है। साल के हरे भरे वनों से घिरी पहाडियों के बीच से कलकल करती हुई रामगंगा है जो इस पार्क की जीवन रेखा कही जाती है। बीच-बीच में पाए जाने वाले खुले घास के मैदान चौड़" इस में और अधिक चार चाँद लगा देते हैं। इस वन के स्थापना के विषय में यदि देखा जाये तो पता चलता है कि सर्वप्रथम यह वन स्थानीय शासकों के अन्तर्गत था जो की कालांतर में ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत आया। कई बदलावों व संरक्षणों के बाद सन् 1916 में इसे कालागढ़ वन प्रभाग की सारी रेंज को अभ्यारण (सैन्चुरी) घोषित कर दिया जाये। वन संरक्षक सोसाइटी ने सन् 1917 में इसे स्वीकार करने का प्रयत्न किया सन् 1938 ई0 में संयुक्त प्रांत के गर्वनर सर मैकलम हेली ने सैन्चुरी बनाने का प्रस्ताव किया। इसी वर्ष लन्दन में सम्पन्न हुई संगोष्ठी में संयुक्त प्रांत सरकार के पर्यवेक्षक के प्रयासों से राष्ट्रीय पार्क की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। 8 अगस्त 1935 को राष्ट्रीय पार्क की स्थापना हुई थी जो हेली राष्ट्रीय पार्क के नाम से जाना जाने लगा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस पार्क का नाम तत्कालीन मुख्यमन्त्री स्व. प. गोविन्द बल्लभ पंत जी के सुझाव पर रामगंगा राष्ट्रीय पार्क रखा गया। सन् 1955 में जिम एडवर्ड की केन्या में मृत्यु हो जाने के बाद श्रद्धांजलि के स्वरूप इस पार्क को कार्बेट राष्ट्रीय पार्क का नाम दिया गया। जिम कार्बट ने अपनी अनेक पुस्तकों के माध्यम से विश्व में कुमाँऊ क्षेत्र व इन क्षेत्र के अन्य जीवों का व्यापक प्रचार किया है व उसके प्रति जाग्रति पैदा की। राष्ट्रीय पार्क घोषित होने के पश्चात भी लकड़ी के कटान लगी पर रोक नहीं थी 1971-72 में ढिकाला के आस-पास 5 से 72 कि0मी0 के अन्दर कटान पर रोक लगा दी गई लेकिन अन्य क्षेत्रों में वानिकी कार्य पहले की भांति किए जाते रहे। 1 अप्रैल सन् 1973 को रामगंगा के किनारे भारत के प्रमुख संरक्षण कार्यक्रम प्रोजेक्ट टाइगर का श्री गणेश इसी राष्ट्रीय उद्यान से किया गया। सन् 1973 से 1991 तक कार्बेट राष्ट्रीय पार्क तथा टाइगर रिजर्व एक दूसरे के पूरक रहे। कार्बेट टाइगर रिजर्व के क्षेत्रफल में लगभग डेढ़ गुना वृद्धि हुई है। इस समय यह पूरा क्षेत्र फील्ड डाइरेक्टर कार्बेट टाइगर रिजर्व के अधीन है। वर्तमान काल में यह जीव अभ्यारण बाघों के वृद्धी के लिये जाना जाता है तथा यहाँ पर कई हाँथी भी मौजूद हैं जो की उत्तरभारत में अधिकतम हाँथियों का गढ है। 1. राजभाषा पत्रिका, कर्नल जिम कार्बेट एवं राष्ट्रीय कार्बेट पार्क, नाजिमा बी, रामपुर
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.