Post Viewership from Post Date to 18-Dec-2022 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1563 211 1774

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

मरुस्थलीकरण क्यों डरा रहा है?

रामपुर

 17-11-2022 11:51 AM
मरुस्थल

जब भी कोई जानवर अपने परिवार, या कोई इंसान अपने व्यापार का विस्तार करता है, तो उसे एक प्रकार की तरक्की कहा जा सकता है। लेकिन प्रकृति के साथ, विस्तार का यह नियम ठीक-ठीक काम नहीं कर रहा है। जिसके एक उदाहरण के तौर पर हम राजस्थान के थार रेगिस्तान को ले सकते है, जहां रेगिस्तान का निरंतर होता विस्तार, वहां की मिट्टी की उर्वरकता के साथ-साथ उत्पादन क्षमता को भी कमज़ोर कर रहा है। मानव गतिविधि, वनों की कटाई और वृक्षों का नुकसान आज मरुस्थलीकरण के मुख्य कारणों में से एक है। मरुस्थलीकरण (Desertification) एक प्रकार से शुष्क, अर्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों में भूमि का क्षरण है। यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के कारण होता है। मिट्टी का क्षरण और जलभृत का अत्यधिक दोहन, भूमि की अधिकतम क्षमता से अधिक खेती और अतिचारण भी इसका महत्वपूर्ण कारक हैं। राजस्थान का थार रेगिस्तान पिछले 20 वर्षों से हर गुजरते साल के साथ मानव निर्मित तबाही की ओर बढ़ रहा है। दरअसल सेंट्रल एरिड ज़ोन रिसर्च इंस्टीट्यूट (Central Arid Zone Research Institute (CAZRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेगिस्तानी जिलों में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी ने वहां के नाजुक परिदृश्य को चकनाचूर कर दिया है, जिसका सीधा प्रभाव इसके निवासियों और यहाँ के वातावरण पर पड़ा है।
CAZRI द्वारा 17 जून को मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए जारी रिपोर्ट ने आश्चर्यजनक दावा किया कि पश्चिमी राजस्थान के 12 जिलों में 14.88 मिलियन हेक्टेयर भूमि विभिन्न प्रकार के भूमि क्षरण से पीड़ित है, जिसके कारण मरुस्थलीकरण भी बढ़ रहा है। मरुस्थलीकरण के अवक्रमण में भूमि की उत्पादन क्षमता के नुकसान के साथ-साथ उपजाऊ मिट्टी की हानि भी शामिल है, और इस स्थिति के नुकसान को उलटने में दशकों लग सकते हैं। रिपोर्ट में बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, चुरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर, जालोर, झुंझुनू, नागौर, पाली और सीकर जिलों का अध्ययन किया गया। मरुस्थलीकरण में योगदान देने वाला सबसे बड़ा कारण जल अपरदन था। रिपोर्ट में मैप किया गया 64.69% क्षेत्र, हवा के कटाव का सामना कर रहा है। उदाहरण के लिए, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे जिलों में 10% भूमि क्षरण पानी के कटाव के कारण होता है। लाखों वर्षों से मौजूद रेतीले परिदृश्य हवा के कटाव के लिए अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और यह एक सार्वभौमिक घटना है। मरुस्थलीकरण की स्थिति को बदतर बनाने में मानव-प्रेरित गतिविधियां जैसे तेज शहरीकरण, वनों की कटाई, खनन, भूजल का अंधाधुंध उपयोग, पशुधन की आबादी में वृद्धि और गर्म गर्मी के कारण वाष्पीकरण का अहम् योगदान है।
वैज्ञानिक मान रहे हैं कि पश्चिमी राजस्थान में कुल घरेलू पशुधन की आबादी लगभग 30.18 मिलियन है, जो स्पष्ट तौर पर 1956 की जनगणना के आंकड़ों की तुलना में 14.63 मिलियन (94.72%) की वृद्धि दर्शा रही है। खनिजों और निर्माण सामग्री के लिए झुंझुनू, जालोर, जोधपुर, बाड़मेर में बड़े पैमाने पर खनन किया गया है, जिससे संतुलन काफी हद तक प्रभावित हुआ है। वनस्पति आवरण लुप्त हो गया है, जिससे भूमि कमजोर हो गई है। मरुस्थलीकरण के मद्देनज़र अजमेर के पर्यावरणविदों ने पुष्कर के नए मेला मैदान में स्थानीय अधिकारियों द्वारा भूमि के समतलीकरण पर भी चिंता जताई है। पुष्कर मेला, भारत की रहस्यमय सांस्कृतिक परंपराओं से प्रभावित लोगों के लिए स्वर्ग माना जाता है। हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीनों में, राजस्थान के पुष्कर शहर में पुष्कर उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसे व्यापक रूप से दुनिया का सबसे बड़ा पशु बाजार भी माना जाता है। इस दौरान जानवरों को बिक्री और प्रदर्शन के लिए इकट्ठा किया जाता है।
इसके अलावा, राजस्थानी और गुजराती व्यापारी (जो सिर्फ इस त्योहार के लिए शहर की यात्रा करते हैं) घटना के उच्च पर्यटन मूल्य के कारण मेले के दौरान बेचने के लिए सामान, पेंटिंग, कपड़े, आभूषण, जूते आदि की एक विस्तृत श्रृंखला भी खरीदते हैं। राजस्थानी परंपरा में सबसे शुभ कार्यक्रम पुष्कर मेले में मनाए जाते हैं, और कई लोग अपने जीवन में सौभाग्य और खुशी लाने की उम्मीद में वहां अनुष्ठान करते हैं। नतीजतन, पुष्कर अब हिंदू धर्म के धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में गहराई से अंतर्निहित हो गया है। इस मेले में, आप महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए चांदी की कान की बाली, हाथ और कलाई की चूड़ियां, कलाई और गले के लिए मोतियों की माला, कढ़ाई वाले और चमड़े के जूते, और सूती, रेशमी कपड़े जैसे विभिन्न प्रकार के सुन्दर सामान खरीद सकते हैं। पुष्कर ऊंट मेला ऊंट दौड़ के साथ शुरू होता है और आगंतुकों के साथ कई मिट्टी के दीपक जलाने के साथ समाप्त होता है। मेले की आधिकारिक शुरुआत से कम से कम एक सप्ताह पहले, चरवाहे अपने ऊंटों और मवेशियों के साथ पुष्कर में आना शुरू कर देते हैं और यहाँ अपना आवास बना लेते हैं। हालांकि इसके कारण पुष्कर के बाहरी इलाके में रेत के टीलों और पतले वनस्पति आवरण वाली नई भूमि में पशु मेले के लिए टेंट लगाने के लिए हरियाली हटाने का काम भी किया जाता रहा है। पुष्कर पशु मेला को पुराना मेला मैदान से अतिक्रमण के कारण सरकारी भूमि पर नए मेला मैदान में स्थानांतरित किया गया है। चूंकि मामला अदालत में लंबित है, इसलिए स्थानीय प्रशासन को मैदान बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से घोड़े के व्यापारियों ने प्रशासन की नाक के नीचे पिछले एक सप्ताह से भूमि को समतल करना शुरू कर दिया है। उन्होंने जेसीबी मशीनों (JCB) से रेत के टीलों और खेजड़ी और बबूल के पेड़ों सहित वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाते हुए लंबे पैच को साफ कर दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये निजी प्रभावशाली खिलाड़ी अपने लाभ के लिए स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3hL91Pf
https://bit.ly/3UUWB5l
https://bit.ly/3hHyPvw
https://bit.ly/3EfKJEC

चित्र संदर्भ
1. रेगिस्तान के बीच में स्थित एक अस्थाई घर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. चिली के अटाकामा रेगिस्तान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. थार रेगिस्तान, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पुष्कर मेले को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. पुष्कर ऊंट मेले को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ऊंट सफारी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • भारत के आधे हिस्से का निर्माण हुआ है ज्वालामुखी विस्फोट से बनने वाली चट्टानों से
    खनिज

     27-07-2024 09:24 AM


  • नई दिल्ली के छोटे अफ़ग़ानिस्तान ' में आनंद ले सकते हैं आप प्रसिद्ध अफ़ग़ानी व्यंजनों का
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     26-07-2024 09:26 AM


  • जोंक की भांति मेज़बान पौधों का पोषण चूस लेते हैं, परजीवी पौधे
    बागवानी के पौधे (बागान)

     25-07-2024 09:44 AM


  • रामपुर नहीं, परंतु भारत के उत्तरी हिमालयी क्षेत्रों को सुशोभित करते हैं, शंकुधारी वन
    निवास स्थान

     24-07-2024 09:45 AM


  • इत्र की महक को और बढ़ा देती हैं, इत्र की शानदार बोतलें
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     23-07-2024 09:30 AM


  • जानते हैं मध्यकालीन कश्मीर में लोहरा शासन से लेकर शाह मीर शासन में कैसे परिवर्तन आए
    मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक

     22-07-2024 09:38 AM


  • आइए देखें, हमारे रामपुर शहर के कुछ पुराने और दुर्लभ चलचित्र
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     21-07-2024 09:02 AM


  • रामपुर में उपलब्ध है, बाउंसी बॉल व रूबिक्स क्यूब जैसे गैर-प्रतिस्पर्धात्मक खेल
    हथियार व खिलौने

     20-07-2024 09:17 AM


  • प्रथम विश्व युद्ध में, भारतीय रियासतों के सैनिकों व शासकों का बहुमूल्य योगदान
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     19-07-2024 09:35 AM


  • चार सिद्धांतों पर आधारित है अरबों द्वारा भारत में लाई गई यूनानी चिकित्सा प्रणाली
    कीटाणु,एक कोशीय जीव,क्रोमिस्टा, व शैवाल

     18-07-2024 09:45 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id