रामपुर रज़ा पुस्तकालय हस्तलिपियों का खज़ाना है। यहाँ पर अरबी, पर्शियन, संस्कृत, हिंदी, उर्दू, तुर्की, पश्तो, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ इन सभी भाषाओँ की बहुत पुरानी पांडुलिपियाँ मौजूद हैं। संस्कृत पाण्डुलिपियों में व्याकरण पर लिखा प्रोबोध चन्द्रिका ये ग्रन्थ रज़ा पुस्तकालय के बहुत महत्वपूर्ण संग्रह में से एक है। इसे श्री. बैजनाथ देव चौहान वंशी ने लिखा था तथा श्री. गिरधारी लाल मिश्रा ने इसकी प्रतिलिपि बनाई है। यहाँ पर संग्रहित कर्मकांड सूत्र पर आधारित नटराजन दिप्मिशडा इसमें आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए मंत्र दिए हैं। यहाँ पर कुल 453 के करीब संस्कृत पांडुलिपियाँ हैं जिनमे से कुछ सचित्र भी हैं। ये सारी पांडुलिपियाँ 10 विभागों में विभाजित की गयी हैं: 1) इतिहास एवं पुराण 2) न्याय एवं वेदांत 3) काव्य 4) अलंकर शास्त्र 5) धर्मं शास्त्र 6) ज्योतिष 7) व्याकरण 8) कोश 9) स्त्रोत्र 10) अन्य बहुतसी पांडुलिपियाँ लाल और काले रंग में लिखी गयी हैं तथा पिला रंग भूल सुधार के लिए इस्तेमाल किया गया है। इनका काग़ज़ हाथ से बना हुआ है। रज़ा लाइब्रेरी के संग्रह की एक और खास बात है यहाँ पर संग्रहित हिंदी भाषा के पर्शियन लिपि में लिखी गयीं पांडुलिपियाँ। मलिक मंजन की मधुमती और मलिक मुहम्मद जायसी का पद्मावत यह उनमे शामिल है। हिंदी कवी ग़ुलाम नबी रस्लिन बिलग्रामी की अंग दर्पण और रसप्रबोध, शाह मुहम्मद काजिम की नग़मातुल असरार और नदिरत-ए-शाही इस हिंदी कवी के कविताएं भी रज़ा पुस्तकालय में संग्रहित की हैं। प्रस्तुत किये गए चित्र में मुग़ल शैली की चित्रकला का उपयोग कर हस्तलिखित श्रीमद भगवद गीता (13 वॉल्यूम) के कुछ पन्ने हैं जो आज रामपुर रज़ा पुस्तकालय के महत्वपूर्ण संग्रहों में से एक है। 1. कैटेलॉग ऑफ़ संस्कृत मानुस्क्रिप्ट्स ऑफ़ रामपुर रज़ा लाइब्रेरी, रामपुर: डॉ. फरहा, 2000 2. कैटेलॉग ऑफ़ संस्कृत मानुस्क्रिप्ट्स (वॉल्यूम II): डॉ. प्रीति अगरवाल, 2015 3. रामपुर रज़ा लाइब्रेरी, मानुस्क्रिप्ट्स http://razalibrary.gov.in/manuscripts.html
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