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पूर्वी अफ्रीका (Africa) में बाढ़ और भूस्खलन ने दर्जनों लोगों की जान ले ली है और लाखों लोगों को अपने घरों से बेदखल कर दिया है। इस बीच, ऑस्ट्रेलिया (Australia) में हजारों मील दूर, गर्म, शुष्क मौसम की अवधि के कारण झाड़ियों में आग लगने से भी काफी नुकसान हुआ है।इन दोनों मौसमीय घटनाओं को हिंद महासागर के दोनों किनारों के बीच सामान्य से अधिक तापमान अंतर से जोड़ा गया है, जिसे कुछ मौसम विज्ञानी हिंद महासागर द्विध्रुव (Dipole) के रूप में संदर्भित करते हैं।द्विध्रुव वास्तव में क्या है और यह कैसे कार्य करता है?
समुद्र के पूर्वी भाग में तापमान पश्चिमी भाग की तुलना में गर्म और ठंडे के बीच घटता-बढ़ता रहता है।इस वर्ष द्विध्रुव का सकारात्मक चरण, छह दशकों के लिए सबसे शक्तिशाली है, अथार्थ पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्र का गर्म तापमान, पूर्व में इसके विपरीत है। इस वर्ष असामान्य रूप से मजबूत सकारात्मक द्विध्रुव का परिणाम पूर्वी अफ्रीका में औसत से अधिक वर्षा और बाढ़ तथा दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखा का कारण बन रहा है।जब हिंद महासागर में द्विध्रुवीय घटना होती है, तो वर्षा गर्म पानी के साथ चलती है, इसलिए हमें पूर्वी अफ्रीकी (African) देशों में सामान्य से अधिक वर्षा मिलती है।दूसरी ओर, हिंद महासागर के पूर्व में, समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक ठंडा होता है और उस स्थान पर वर्षा की मात्रा कम होती है।एक नकारात्मक द्विध्रुवीय चरण विपरीत परिस्थितियों, पूर्वी हिंद महासागर में गर्म पानी और अधिक वर्षा, और पश्चिम में ठंडा और सुखे की स्थिति लाता है।एक तटस्थ चरण का मतलब होगा कि हिंद महासागर में समुद्र का तापमान औसत के करीब था।
वहीं चीनी (Chinese) और ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं के एक समूह ने गेहूं की पैदावार पर विभिन्न जलवायु चालकों के प्रभावों की तुलना करने के लिए एक फसल प्रारूप और एक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम (Machine learning algorithm) का उपयोग किया। प्रतिरूपण के अनुसार, 1990 के दशक से हिंद महासागर के द्विध्रुव ने अल नीनो दक्षिणी दोलन (El Niño Southern Oscillation) को ऑस्ट्रेलिया की गेहूं की पैदावार के प्रमुख संचालक के रूप में बदल दिया है।विशेष रूप से, हिंद महासागर द्विध्रुव की वजह से शुष्क परिस्थितियों के कारण पिछले 30 वर्षों में गेहूं की पैदावार में भारी कमी आई है।हालांकि, भारतीय और दक्षिणी महासागरों के प्रभावों पर कम ध्यान दिया जाता है। अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई गेंहू की खेती में, हिंद महासागर द्विध्रुव के प्रभाव हाल के दशकों में बढ़ रहे हैं।
भविष्य में अधिक सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव घटनाओं के कारण भी अधिक सूखे की घटनाएं सामने आ रही हैं।यह जाहीर सी बात है कि मानवीय गतिविधि के कारण बढ़ते प्रदूषण से भविष्य में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होना संभव है और यही द्विध्रुव के कारण होने वाली चरम जलवायु और मौसम की घटनाओं का अधिक सामान्य होने की भविष्यवाणी देता है।नेचर (Nature) में प्रकाशित 2014 के एक अध्ययन में, ऑस्ट्रेलिया, भारत, चीन और जापान(Japan) के वैज्ञानिकों ने चरम हिंद महासागर के द्विध्रुवों पर CO2 के प्रभावों का प्रारूप तैयार किया, जैसे कि 1961, 1994 और 1997 में।यह मानते हुए कि उत्सर्जन में वृद्धि जारी है, उन्होंने अनुमान लगाया कि अत्यधिक सकारात्मक द्विध्रुवीय घटनाओं की आवृत्ति इस शताब्दी को प्रत्येक 17.3 वर्ष से प्रत्येक 6.3 वर्ष में एक से बढ़ादेगी।
संदर्भ :-
https://bbc.in/3STVeT3
https://bit.ly/3FAKoyj
https://bit.ly/3FMi2Bc
चित्र संदर्भ
1. हिंद महासागर द्विध्रुव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. उपोष्णकटिबंधीय हिंद महासागर द्विध्रुवीय मोड: स्थानिक पैटर्न और समय श्रृंखला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. हिंद महासागर की जलवायु स्थिति और (ए) शुष्क और (बी) SWWA पर गीले वर्षों के बीच संबंध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कार्बन उत्सर्जन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)